रोजाना की कारोबारी मात्रा (ट्रेडिंग वॉल्यूम) के मामले में भारतीय बाजारों ने हॉन्ग-कॉन्ग पर बढ़त बना ली है। सितंबर से ही दोनों बाजारों के रोजाना औसत कारोबार का अंतर बढ़ता रहा है और इस हफ्ते यह नई ऊंचाई पर पहुंच गया। ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के अनुसार जनवरी में भारत ने हॉन्गकॉन्ग को पीछे छोड़ दिया और वह वैश्विक स्तर पर चौथा सबसे बड़ा इक्विटी बाजार बन गया।
विशेषज्ञों ने कहा कि ये दोनों आंकड़े साफ बताते हैं कि निवेशकों का मनोभाव बदला है और भारत में ज्यादा निवेश करने को प्राथमिकता दी जा रही है। साथ ही चीन और हॉन्ग-कॉन्ग के बाजारों से निवेशक बाहर निकल रहे हैं।
साल 2020 तक हॉन्ग-कॉन्ग बाजार का ट्रेडिंग टर्नओवर और बाजार पूंजीकरण भारत के मुकाबले कई गुना था। मार्च 2020 में कोविड के कारण बाजारों के निचले स्तर पर आने के बाद हॉन्ग-कॉन्ग का मार्केट कैप (एमकैप) 4.6 लाख करोड़ डॉलर था जो भारत से 3.44 गुना ज्यादा था।
इसी तरह साल 2021 की शुरुआत में हॉन्ग-कॉन्ग का एक महीने का रोज का औसत कारोबार भारत के मुकाबले 5 गुना से ज्यादा था। अभी भारत का एमकैप 4.65 लाख करोड़ डॉलर है जबकि हॉन्ग कॉन्ग का करीब 4.56 लाख करोड़ डॉलर। वहां करीब तीन चौथाई सूचीबद्ध कंपनियां चीन की हैं।
देसी बाजारों (एनएसई व बीएसई) का एक महीने का दैनिक औसत कारोबार 16.5 अरब डॉलर (करीब 1.4 लाख करोड़ रुपये) है जो हॉन्ग-कॉन्ग एक्सचेंज के 13.1 अरब डॉलर से ज्यादा है।
नोमुरा के इक्विटी रणनीतिकार चेतन सेठ ने एक नोट में कहा कि इससे कुछ हद तक भारत व हॉन्ग-कॉन्ग/चीन के शेयरों को लेकर मौजूदा आम राय जाहिर होती है। उन्होंने निवेशकों से कहा कि हमें लगता है कि भारतीय शेयरों को लेकर आम सहमति के साथ सकारात्मक नजरिया है (हालांकि मूल्यांकन को व्यापक तौर पर बाधा के तौर पर बताया जाता है)। इसके उलट हमें यह भी लगता है कि हॉन्ग-कॉन्ग/चीन के शेयरों को लेकर जोखिम लेने की निवेशकों के इच्छा काफी कम रही है।
भारत का बेंचमार्क निफ्टी पिछले एक साल में 22 फीसदी चढ़ा है जबकि हॉन्ग-कॉन्ग का हैंगसेंग 25 फीसदी नीचे है। जनवरी में भारत में रिकॉर्ड नए ट्रेडिंग खाते खुले और ट्रेडिंग वॉल्यूम भी बढ़ा। ब्रोकिंग उद्योग ने 47 लाख नए खाते जोड़े और इस तरह से उसने पिछले महीने के 41 लाख के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया। एनएसई व बीएसई पर नकदी व डेरिवेटिव सेगमेंट में रोज का औसत कारोबार नोशनल आधार पर रिकॉर्ड 1.23 लाख करोड़ रुपये व 460 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के मुख्य कार्याधिकारी (ब्रोकिंग व वितरण) अजय मेनन ने कहा कि बजट पूर्व आई तेजी और मौजूदा सत्ता बरकरार रहने की उम्मीद में चढ़े बाजारों में खासी रफ्तार देखने को मिली। वॉल्यूम लगातार मजबूत बना रहेगा। सबसे अहम बात मिडकैप व स्मॉलकैप में तेजी है, जो नकदी खंड के कारोबार में दिखाई देती है। जब तक कि बड़ी गिरावट नहीं आती, नकदी खंड के कारोबार की मात्रा में नरमी की कोई वजह नहीं है।
हालांकि देसी बाजारों की जोरदार तेजी को देखते हुए विश्लेषकों ने कहा कि अल्पावधि में कुछ बाधाएं हो सकती हैं। नोमुरा के सेठ ने कहा कि हम भारतीय शेयरों में दबाव की संभावना से इनकार नहीं कर रहे। फिर भी हम गिरावट का इस्तेमाल खरीदारी के लिए करेंगे क्योंकि हम ढांचागत तौर पर सकारात्मक बने हुए हैं और गिरावट में खरीदारी के पक्ष में हैं। अभी भारत उभरते बाजारों में सबसे ज्यादा महंगे बाजारों में से एक है। निफ्टी एक साल आगे के पीई के 20 गुना पर कारोबार कर रहा है वहीं हैंगसेंग महज 7.5 गुने पर उपलब्ध है।