Stock Market: ऑपरेशन सिंदूर के बीच भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने की वजह से शुक्रवार (9 मई) भारतीय शेयर बाजार बड़ी गिरावट लेकर ओपन हुए। जब-जब दोनों देशों के बीच जंग की स्थिति बनी है तो इसका असर बाजार पर देखने को मिला है और इस दौरान सेंसेक्स और निफ्टी में बड़ी मूवमेंट देखी गई है। हालांकि, इतिहास गवाह है कि गिरावट के बाद बाजार में तेजी से रिकवरी भी हुई है। आंकड़ों पर नजर डाले तो 1999 के कारगिल युद्ध के एक महीने बाद निफ्टी 50 ने 16.5 प्रतिशत रिटर्न दिया था। वहीं, मुंबई 26/11 हमले के बाद लगभग इंडेक्स ने 4 प्रतिशत और 2019 के पुलवामा और बालाकोट हवाई हमले के बाद 6.3 प्रतिशत दिया था।
भारत के ऑपरेशन सिंदूर का भी बाजार पर असर दिख रहा है। हालांकि, बाजार के जानकारों का मानना है कि यह शॉर्ट टर्म के लिए है और निवेशकों को घबराना नहीं चाहिए। एनालिस्ट्स का कहना है कि शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड को सबसे पहले घबराना नहीं चाहिए और निवेश को बनाये रखना चाहिए। साथ ही उन्होंने घबराहट में अपने फंड्स को नहीं बेचने की सलाह भी दी है।
बाजार में इस अस्थिरता के बीच एसआईपी (SIP) में निवेश करने वाले असमंजस की स्थिति में होंगे की क्या किया जाए। कोटक म्यूच्यूअल फंड ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि घबराकर SIP बंद करना अक्सर नुकसानदेह साबित हो सकता है। कंपनी ने अपनी रिपोर्ट ऑपरेशन सिंदूर: क्या घबराने या रुकने का समय में कहा कि यदि संभव हो तो टॉप-अप करने पर विचार करें और मौजूदा SIP को बंद न करें। निवेश को चरणबद्ध तरीके से जोड़ने पर विचार करें और घबराकर निवेश न बेचें।
बाजार की दिशा का अनुमान लगाना मुश्किल है। हालांकि पिछले बड़े संघर्ष ने बाजारों में उछाल आने से पहले अस्थायी गिरावट को ट्रिगर किया है। निवेशित रहना और जल्दबाजी में लिए गए निर्णयों से बचना लॉन्ग टर्म में फायदे में लिए सही कदम हो सकता है।
निवेश प्रकार | क्या करें | क्या न करें |
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SIP | यदि संभव हो तो टॉप-अप करने पर विचार करें | मौजूदा SIP को बंद न करें |
लंप सम | निवेश को चरणबद्ध तरीके से जोड़ने पर विचार करें | घबराकर निवेश न बेचें |
कोटक म्यूच्यूअल फंड ने कहा कि सरकार की कार्रवाई से पता चलता है कि युद्ध की संभावना कम है। हालांकि, युद्ध की स्थिति में हमें ध्यान देना चाहिए कि 1950 के बाद से भारत ने 4 बड़े युद्ध देखे हैं। पिछले बड़े संघर्ष (कारगिल-1999) में शुरुआती घबराहट के बाद इक्विटी बाज़ार मज़बूत बने रहे। हमने 2016 के बाद से दो ऐसी सर्जिकल स्ट्राइक देखी हैं (उरी और बालाकोट) और बाजारों पर इसका प्रभाव सीमित रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया कि भू-राजनीतिक घटनाओं के दौरान शार्ट टर्म में बाजार में उतार-चढ़ाव देखा जाता है। लेकिन इतिहास से पता चलता है कि वे शायद ही कभी भारत की लॉन्ग टर्म ग्रोथ स्टोरी पटरी से उतारते हैं। लॉन्ग टर्म में मैक्रो-इकोनॉमिक कारक और कमानियों के तिमाही नतीजे शेयर बाजार के प्रदर्शन को तय करते हैं।
भारत और पाकिस्तान के बीच 1990 के दशक से ही कई बड़े घटनाक्रम हुए हैं। कारगिल और संसद हमलों से लेकर उरी और पुलवामा जैसी घटनाओं ने निवेशकों की हिम्मत की परीक्षा ली है। हालांकि, सेंसेक्स और निफ्टी ने लगातार तनाव के बीच मजबूती का प्रदर्शन किया है। ऐसे में बाजार में अगर कोई गिरावट आती भी है, तो वह मामूली, शॉर्ट टर्म और काफी हद तक सेंटीमेंट्स से प्रेरित रही है।
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Event | Date | 1-month before | 1-M after | 3-M after | 6-M after | 12-M after |
Kargil War 1999 | May 3, 1999 | -8.3% | 16.50% | 34.50% | 31.60% | 29.40% |
Parliament Attack 2001 | Dec 13, 2001 | 10.10% | -0.8% | 5.30% | -0.8% | -1.3% |
Mumbai 26/11 Attacks 2008 | Nov 26, 2008 | 9.00% | 3.80% | -0.7% | 54.00% | 81.90% |
Uri Attack & Surgical Strikes 2016 | Sep 18, 2016 | 1.30% | -1.2% | -7.3% | 4.30% | 15.60% |
Pulwama Attack & Balakot 2019 | Feb 14, 2019 | -1.3% | 6.30% | 3.80% | 1.70% | 12.70% |
विश्लेषकों के अनुसार, आज भारतीय बाजारों की प्रतिक्रिया भारत और पाकिस्तान के बीच बड़े तनाव के बाद बाजारों के ऐतिहासिक रुझान के अनुरूप रही है। 1990 के दशक से, भारत और पाकिस्तान के बीच कारगिल और संसद हमलों से लेकर उरी और पुलवामा जैसे प्रकरणों ने निवेशकों की हिम्मत की परीक्षा ली है। लेकिन सेंसेक्स और निफ्टी ने लगातार मजबूती का प्रदर्शन किया है। बाजार में अगर कोई सुधार हुआ भी है, तो वह मामूली, शॉर्ट टर्म और काफी हद तक सेंटीमेंट्स से प्रेरित रहा है।
आनंद राठी रिसर्च के भारत और पाकिस्तान के बीच 11 तनावपूर्ण घटनाओं के व्यापक विश्लेषण से पता चलता है कि ऐसी आठ घटनाओं के बाद बीएसई सेंसेक्स में गिरावट आई। हालांकि, घटनाओं के तुरंत बाद अचानक गिरावट 2 प्रतिशत से 9.5 प्रतिशत तक रही।