भारत के शेयर बाजार का मूल्यांकन पहली बार 4 लाख करोड़ डॉलर के रिकॉर्ड स्तर को लांघ गया। बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) पर सूचीबद्ध सभी कंपनियों का बाजार मूल्य आज 2.25 लाख करोड़ रुपये या 0.7 फीसदी बढ़कर 333.3 लाख करोड़ रुपये (4 लाख करोड़ डॉलर) पर पहुंच गया। इसके साथ ही भारत 4 लाख करोड़ डॉलर बाजार पूंजीकरण वाले अमेरिका, चीन और जापान जैसे देशों की जमात में शामिल हो गया।
डॉलर में बात करें तो बाजार पूंजीकरण (एमकैप) के लिहाज से दुनिया के शीर्ष 10 देशों में 2023 के दौरान अमेरिका के बाद सबसे अच्छा प्रदर्शन भारत का ही रहा है। मजबूत आय, वृहद आर्थिक स्थिता, घरेलू प्रवाह और स्मॉल एवं मिडकैप शेयरों में जोरदार तेजी के दम पर देसी बाजार के मार्केट-कैप में इजाफा हुआ है।
दिलचस्प है कि इस साल बाजार पूंजीकरण में बढ़ोतरी में मुख्य योगदान शीर्ष 100 कंपनियों का नहीं बल्कि उनसे नीचे की कंपनियों का रहा है। भारत का कुल बाजार पूंजीकरण इस साल 18 फीसदी बढ़ा है और शीर्ष 100 कंपनियों से इतर कंपनियों के बाजार मूल्य में तकरीबन 50 फीसदी इजाफा हुआ है। इसके परिणामस्वरूप भारत के कुल बाजार पूंजीकरण में इन कंपनियों की हिस्सेदारी बढ़कर 40 फीसदी से अधिक हो गई, जो एक साल पहले 35 फीसदी थी।
हाल में सूचीबद्ध होने वाली कई कंपनियों के बेहतर प्रदर्शन से भी भारत के बाजार पूंजीकरण में इजाफा हुआ है। इनमें भारतीय जीवन बीमा निगम (वर्तमान एमकैप 4.3 लाख करोड़ रुपये), जोमैटो (एमकैप 1 लाख करोड़ रुपये), पेटीएम (एमकैप 56,000 करोड़ रुपये) और नायिका (एमकैप 50,000 करोड़ रुपये) शामिल हैं। मई 2021 से प्रतिशत के हिसाब से जिन क्षेत्रों में सबसे ज्यादा वृद्धि देखी गई है उनमें पूंजीगत वस्तु (2.2 गुना वृद्धि) और रियल्टी (2.1 गुना) प्रमुख हैं। इस बीच बीएसई पर सूचीबद्ध पीएसयू, वाहन, इन्फ्रा और ऊर्जा सूचकांकों में 70-70 फीसदी से ज्यादा की तेजी आई है।
भारत ने बाजार पूंजीकरण में 3 लाख करोड़ डॉलर से 4 लाख करोड़ डॉलर तक का सफर करीब 31 महीने में पूरा कर लिया। इस दौरान बाजार में तेजी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि की तुलना में ज्यादा रही है। इसके परिणामस्वरूप एमकैप और जीडीपी का अनुपात (पिछले 12 महीने के जीडीपी के आधार पर) 24 मई, 2021 में 110 फीसदी था और एमकैप उस समय 3 लाख करोड़ डॉलर था। मगर अब यह अनुपात बढ़कर 120 फीसदी हो गया है।
भारत का एमकैप जब 50 करोड़ डॉलर, 1 लाख करोड़ डॉलर और 2 लाख करोड़ डॉलर के पड़ाव पर पहुंचा था तब एमकैप और जीडीपी का अनुपात 100 से कम था।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर डॉलर मद में जीडीपी 8 फीसदी की दर से बढ़ता है और एमकैप-जीडीपी अनुपात मौजूदा स्तर पर बना रहता है, तो भारत का एमकैप 2027 तक 5 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच सकता है। कुछ का कहना है कि यह उपलब्धि जल्द ही हासिल हो जाएगी।