बेंचमार्क सूचकांकों में आज दूसरे दिन भी तेजी रही और सेंसेक्स एवं निफ्टी 1.5 फीसदी तक चढ़ गए, जो 4 फरवरी के बाद एक दिन में आई सबसे बड़ी उछाल है। मुख्य रूप से वित्तीय और उपभोक्ता उत्पाद कंपनियों के शेयरों में लिवाली मांग से शेयर बाजार में तेजी आई।
अमेरिका और चीन में खुदरा बिक्री उम्मीद से अधिक बढ़ने और वैश्विक स्तर पर सकारात्मक रुझान के बीच यह तेजी आई। इसके साथ ही ज्यादातर वैश्विक मुद्राओं के मुकाबले डॉलर के कमजोर होने से निवेशकों का जोखिम लेने का हौसला बढ़ा है जिसका असर बाजार में दिखा।
बंबई स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स 1,131 अंक या 1.5 फीसदी चढ़कर 75,301 पर बंद हुआ। नैशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 326 अंक या 1.4 फीसदी बढ़त के साथ 22,834 पर बंद हुआ, जो सूचकांक का करीब एक महीने का उच्चतम स्तर है।
मिडकैप और स्मॉलकैप में भी 5 मार्च के बाद सबसे ज्यादा तेजी देखी गई। निफ्टी मिडकैप 2.2 फीसदी और स्मॉलकैप 2.7 फीसदी बढ़त पर बंद हुआ। बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण 7 लाख करोड़ रुपये बढ़कर 400 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया।
सोल, टोक्यो, शांघाई और हॉन्ग कॉन्ग सहित सभी प्रमुख एशियाई बाजार लाभ में रहे। यूरोपीय बाजार भी बढ़त में कारोबार कर रहे थे। सोमवार को अमेरिकी बाजार में भी तेजी आई थी। विशेषज्ञों का मानना है कि बाजार निचले स्तर को छू चुका है मगर आगे उठापटक बनी रहने की आशंका बरकरार है।
इक्विटी स्ट्रैटजिस्ट सुनील कौल ने कहा, ‘आर्थिक वृद्धि और कंपनियों की कमाई के मामले में बुरा दौर पीछे छूट चुका है और शेयर भाव में भी काफी कमी आई है। निकट अवधि में उठापटक के बीच धीरे-धीरे सुधार की उम्मीद है, क्योंकि छोटे और मझोले शेयरों में निवेशकों ने खूब दांव लगाया है। इसके साथ ही वैश्विक अनिश्चितता, खास तौर पर अमेरिका का संभावित बराबारी शुल्क भारत को नुकसान पहुंचा सकता है।’
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 695 करोड़ रुपये और घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 2,535 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे। इस साल यह चौथा मौका है जब विदेशी निवेशकों ने लिवाली की है। इस साल अभी तक उन्होंने 1.45 लाख करोड़ रुपये की बिकवाली की है।
केनेरा रोबेको एएमसी में इक्विटी प्रमुख श्रीदत्त भांडवलदार ने कहा, ‘विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के बाहर जाने का सबसे बुरा दौर खत्म हो सकता है। डॉलर के उच्चतम स्तर पर पहुंचने और अमेरिकी नीतियों के कारण बाजार में आई गिरावट के बाद आय वृद्धि और मूल्यांकन में तालमेल बैठाया जाए तो पूंजी उभरते बाजारों में वापस आ सकती है।’