विश्लेषकों का कहना है कि भारतीय शेयर बाजारों में अमेरिका के साथ संभावित व्यापार करार का असर अभी नहीं दिखा है। उनका मानना है कि अगर यह समझौता होता है तो यह प्रमुख सूचकांकों के लिए प्रमुख उछाल का काम कर सकता है। उनकी राय में इस सौदे से भारतीय शेयर बाजार में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की वापसी हो सकती है।
स्टैंडर्ड चार्टर्ड में इक्विटी रणनीति के निदेशक-प्रमुख संजीव होता ने कहा, ‘बाजार अभी भी इंतजार कर रहा है। व्यापार करार की समय-सीमा को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है कि क्या यह इस महीने होगा या अगले महीने या फिर बाद में।’ होता ने कहा, ‘जब हमें समझौते के बारे में सही समय का पता लग जाएगा, तो यह न सिर्फ घरेलू निवेशकों बल्कि एफआईआई की बाजार धारणा भी बढ़ाने में मजबूत कारक का काम करेगा।’
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने संकेत दिया है कि वाशिंगटन और नई दिल्ली नए व्यापार समझौते के करीब हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत पर लगाए गए टैरिफ को आने वाले समय में कम किया जा सकता है। ट्रंप ने कहा, ‘हम भारत के साथ समझौते पर काम कर रहे हैं, जो पहले से बहुत अलग है। वे अभी मुझे पसंद नहीं करते, लेकिन फिर से करने लगेंगे। हमें उचित समझौता मिल रहा है।’
इस साल की शुरुआत में ट्रंप ने भारत पर रूसी तेल की खरीद कम करने का दबाव बनाने के लिए अमेरिका को भारतीय निर्यात पर 50 प्रतिशत तक का ऊंचा टैरिफ लगा दिया था।
स्वतंत्र बाजार विश्लेषक अजय बोडके ने कहा कि बहुप्रतीक्षित व्यापार समझौते को लेकर लंबी अनिश्चितता के बाद बाजार अब आधिकारिक घोषणा और स्पष्ट रूपरेखा का इंतजार कर रहे हैं और उसके बाद ही कोई प्रतिक्रिया देंगे। उन्होंने कहा कि ट्रंप की इस टिप्पणी समेत कि समझौता जल्द होने वाला है, जैसे कई बयानों के बावजूद निवेशक सतर्क हैं और बाजार किसी दिशा में आगे बढ़ने से पहले वास्तविक घोषणा का इंतजार करेगा।
2025 में निफ्टी और 30 शेयरों वाला सेंसेक्स अब तक नई ऊंचाई तक पहुंचने में विफल रहे हैं और वे क्रम से 8.6 प्रतिशत और 7.3 प्रतिशत ही चढ़े हैं।
बोडके को उम्मीद है कि करार की घोषणा के बाद अल्पावधि की राहत भरी तेजी आएगी, लेकिन यह तेजी कितनी टिकाऊ है, यह व्यापक वैश्विक और घरेलू कारकों पर निर्भर करेगी। उन्होंने कहा, ‘सबसे महत्त्वपूर्ण कारक कॉरपोरेट आय में सुधार होगा। ऐसा लगता है कि आय अपने निचले स्तर पर पहुंच गई है और जैसे-जैसे हम वित्त वर्ष 2026 की दूसरी छमाही में बढ़ेंगे, इसमें तेजी की संभावना है।’
होता ने कहा कि व्यापार समझौते का व्यापक आर्थिक प्रभाव भले ही ज्यादा न हो, लेकिन बाजारों के लिए धारणा में तेजी काफी अहम हो सकती है। उन्होंने कहा कि भारतीय बाजार के लिए कई ट्रिगर उभर रहे हैं। होता ने कहा, ‘आय में मजबूत सुधार के संकेत दिख रहे हैं। इस वित्त वर्ष में लगभग 10 प्रतिशत की दो अंक की आय वृद्धि देखी जा सकती है। अगले दो वर्षों में इसमें और सुधार की संभावना है। व्यापक आर्थिक आंकड़े अनुकूल हैं, नीतिगत दिशा वृद्धि-समर्थक हैं और माल एवं सेवा कर (जीएसटी) 2.0 व्यवस्था जैसे संरचनात्मक सुधार लागू हैं।’
विश्लेषकों का कहना है कि एचएसबीसी और गोल्डमैन सैक्स जैसी वैश्विक ब्रोकरेज फर्मों द्वारा हाल में किए गए अपग्रेड (जो भारत पर ओवरवेट हो गई हैं) संकेत देते हैं कि स्थिति बदल रही है। मॉर्गन स्टेनली ने भी अपने बुल-केस सिनेरियो में जून 2026 तक सेंसेक्स के लिए 1,00,000 का लक्ष्य रखा है, जिसका एक हिस्सा भारत-अमेरिका समझौते की सफलता सेजुड़ा है।