सरकार ने सभी निजी कंपनियों के शेयरों को 30 सितंबर, 2024 तक अनिवार्य तौर पर इलेक्ट्रॉनिक रूप में तब्दील करने का निर्देश दिया है। इस पहल से वित्तीय प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ने और निगरानी बेहतर होने की उम्मीद है।
कंपनी मामलों के मंत्रालय ने 27 अक्टूबर के संशोधन में कंपनी (प्रॉस्पेक्टस एवं प्रतिभूतियों का आवंटन) विनियमन में एक नया खंड शामिल किया है जिसमें निजी कंपनियों द्वारा इलेक्ट्रॉनिक रूप में शेयर जारी करने के बारे में कहा गया है। छोटी कंपनियों को छोड़कर सभी निजी कंपनियों को उप-नियम 2 के तहत निर्धारित अवधि के भीतर केवल डीमैट रूप में शेयर जारी करने होंगे।
यह भी कहा गया है कि डिपॉजिटरीज ऐक्ट 1996 के प्रावधानों के तहत सभी प्रतिभूतियों को इलेक्ट्रॉनिक रूप में तब्दील करने की सुविधा प्रदान करनी होगी। अगर कोई निजी कंपनी वित्त वर्ष के अंतिम दिन यानी 31 मार्च 2023 को अथवा उसके बाद उस वित्त वर्ष के अंकेक्षित वित्तीय नतीजों के अनुसार छोटी कंपनी नहीं है तो उसे वित्त वर्ष खत्म होने के अगले 18 महीनों के भीतर इस नियम के प्रावधानों का अनुपालन करना होगा। जिन कंपनियों की इक्विटी पूंजी 4 करोड़ रुपये से कम और कुल कारोबार 40 करोड़ रुपये से कम है, उन्हें छोटी निजी कंपनियों की श्रेणी में रखा जाता है। अगर कोई कंपनी न तो होल्डिंग कंपनी है और न ही सहायक कंपनी तो उसे इस नियम से छूट मिलेगी।
कॉरपोरेट अनुपालन फर्म एमएमजेसी ऐंड एसोसिएट्स के संस्थापक मकरंद एम जोशी ने कहा, ‘निजी कंपनियों की कुछ श्रेणियों के शेयरों को इलेक्ट्रॉनिक रूप में तब्दील कराने की कंपनी मामलों के मंत्रालय की यह पहल वित्तीय बाजारों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में अहम कदम है। इससे भारत में कारोबारी सुगमता बढ़ाने के अलावा भौतिक शेयरों में लेनदेन के दौरान बेईमानी पर लगाम कसने में भी मदद मिलेगी।’
फिलहाल कंपनी मामलों के मंत्रालय और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा विनियमित सूचीबद्ध कंपनियों को ही अपने शेयर डीमैट करने की जरूरत होती है। निवेशक के लिए कागजी शेयर रखने में बंदिश नहीं है मगर शेयर किसी और को देते समय उन्हें इलेक्ट्रॉनिक रूप में तब्दील कराना ही होगा।
इसी प्रकार गैर-सूचीबद्ध सार्वजनिक कंपनियों के लिए भी पुनर्खरीद करने, बोनस अथवा राइट्स शेयर जारी करने के लिए अपने शेयरों को डीमैट कराना होगा।
उद्योग प्रतिभागियों ने कहा कि पंजीकृत कंपनियों में सबसे अधिक तादाद गैर-सूचीबद्ध निजी कंपनियों की है। जनवरी 2023 तक कंपनी मामलों के मंत्रालय के पास पंजीकृत करीब 14 लाख कंपनियां अथवा 95 फीसदी सक्रिय पंजीकृत कंपनियां निजी कंपनियां थीं। इनके अलावा छोटी कंपनियों की श्रेणी में करीब 50,000 कंपनियां मौजूद थीं।
उद्योग प्रतिभागियों का कहना है कि अधिकतर भारतीय कंपनियों के शेयरों को इलेक्ट्रॉनिक रूप में बदलना नियामक के साथ-साथ कंपनियों और निवेशकों के लिए भी काफी फायदेमंद साबित होगा। इससे निवेशकों के लिए नुकसान, चोरी अथवा धोखाधड़ी का जोखिम कम हो जाएगा। साथ ही वे तत्काल शेयरों का हस्तांतरण भी कर सकेंगे।