भारतीय ऋण (डेट) बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के निवेश में सितंबर के दौरान अब तक खासा इजाफा देखा गया है। इस महीने के पहले 11 दिनों के दौरान 15,357 करोड़ का शुद्ध निवेश हुआ है। नैशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) के आंकड़ों के अनुसार यह अगस्त में इसी अवधि में हुए 16,421 करोड़ के कुल शुद्ध निवेश से कुछ ही कम है।
अलबत्ता क्लियरिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआईएल) के आंकड़ों से पता चलता है कि इस दौरान फुली एक्सेसिबल रूट (एफएआर) के तहत नामित सरकारी प्रतिभूतियों में केवल 3,328 करोड़ का शुद्ध निवेश किया गया था। जेपी मॉर्गन द्वारा भारतीय ऋण को अपने सूचकांक में शामिल करने के ऐलान के नौ महीने के भीतर एफएआर प्रतिभूतियों में एफपीआई निवेश दोगुना हो चुका था और यह दो लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर गया।
इस सूचकांक में केवल भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा एफएआर के तहत जारी किए गए सरकारी बॉन्डों को ही शामिल किया जाता है। बाजार के सहभागियों ने कहा कि विदेशी निवेशक ज्यादा रिटर्न पाने और अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने के लिए अपने दांव का रुख अन्य श्रेणियों की ओर कर रहे हैं।
एक निजी बैंक के ट्रेजरी प्रमुख ने कहा, ‘जो पैसा आ रहा है और जो एफएआर में नहीं जा रहा है, उसका कुछ हिस्सा कॉरपोरेट बॉन्ड में जा रहा है। ज्यादा रिटर्न और विविधता भारतीय बाजारों को मजबूती के लिहाज में बेहतर बना रही हैं। कॉरपोरेट बॉन्ड में पैसा लगाने से उन्हें वास्तव में कोई नुकसान नहीं होता है, जहां उन्हें साफ तौर पर पता होता है कि पैसा बनाया जा सकता है।’
16 अक्टूबर, 2023 को एफएआर प्रतिभूतियों में निवेश एक लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया था। सितंबर 2023 में जेपी मॉर्गन ने ऐलान किया था कि वह चालू वर्ष के 28 जून से अपने व्यापक रूप से ट्रैक किए जाने वाले जीबीआई-ईएम में आरबीआई द्वारा एफएआर के तहत जारी सरकारी प्रतिभूतियों को शामिल करेगा। गुरुवार तक एफएआर प्रतिभूतियों में कुल निवेश 2.34 लाख करोड़ रुपये था जबकि 22 सितंबर, 2023 को यह 94,709 करोड़ रुपये था।
शामिल करने की प्रक्रिया 10 महीने की अवधि में चरणबद्ध तरीके से की जाएगी और 31 मार्च, 2025 तक हर महीने एक प्रतिशत भार शामिल किया जाएगा। भारतीय बॉन्ड का भार चीन की तरह 10 प्रतिशत होगा। एफएआर के तहत 38 बॉन्ड में से केवल 27 ही जेपी मॉर्गन बॉन्ड सूचकांक के लिए पात्रता मानदंड पूरा करते हैं। इसके लिए एक अरब डॉलर से अधिक का अंकित मूल्य और 2.5 वर्ष से अधिक की शेष परिपक्वता अवधि जरूरी है।
बाजार के भागीदारों की नजर अब इस महीने अमेरिकी फेडरल रिजर्व दर कटौती का चक्र शुरू करने जा रहा है। 17 से 18 सितंबर की बैठक में अमेरिकी फेड के ब्याज दरों में मोटे तौर पर 25 आधार अंक (बीपीएस) तक की कटौती की उम्मीद है।
पीएनबी गिल्ट्स के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्य अधिकारी विकास गोयल ने कहा, ‘अगर 50 आधार अंक की कटौती होती है, तो शुरुआत में तो निवेश आने से पहले निकासी होगी। इसका मतलब है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था पहले के अनुमान से धीमी है।’
उन्होंने कहा ‘इक्विटी से तुलना की जाए तो डेट बाजार काफी हद तक संरक्षित है। अगर फेड की 50 आधार अंक की कटौती के बाद एफपीआई बिक्री करते हैं तो डेट की घरेलू मांग होगी। फिर घरेलू भागीदार खरीदेंगे क्योंकि इसका मतलब यह होगा कि आरबीआई पर दरों में कटौती करने का दबाव होगा।’
वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान घरेलू बाजारों में 3.23 लाख करोड़ रुपये का विदेशी निवेश देखा गया। यह वित्त वर्ष 23 में दर्ज 45,365 करोड़ रुपये की निकासी की तुलना में बड़ा बदलाव है।