विश्लेषकों का मानना है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा पिछले सप्ताह मौद्रिक नीति की समीक्षा में नकदी बढ़ाने के लिए उठाए गए दो मजबूत कदमों (ब्याज दर और सीआरआर में कटौती) और राजकोषीय प्रोत्साहन जारी रखने के सरकार के उपायों से आने वाले महीनों में उपभोक्ता मांग में धीरे-धीरे सुधार देखने को मिल सकता है। ऐसे में भारत में उपभोग से जुड़े शेयरों में तेजी आ सकती है।
बाजार के प्रतिभागियों को उम्मीद है कि इन शेयरों में वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी छमाही में अच्छी तेजी देखने को मिल सकती है और बेहतर आय, मुद्रास्फीति में कमी और सहायक मूल्यांकन के बल पर सूचकांक का खराब प्रदर्शन पलट सकता है। ऐस इक्विटी के आंकड़ों से पता चलता है कि कैलेंडर वर्ष 2025 (10 जून तक) में एनएसई पर निफ्टी उपभोग सूचकांक अब तक 2.4 फीसदी बढ़ा है जबकि निफ्टी 50 सूचकांक में 6.17 फीसदी की तेजी आई है।
यह अलग बात है कि इससे जुड़े शेयरों ने मिलाजुला रिटर्न दिया है। इनमें इंटरग्लोब एविएशन, टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स, ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज, भारती एयरटेल और टीवीएस मोटर में 16 फीसदी से लेकर 23 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है जबकि वरुण बेवरिजेज, ट्रेंट, आईटीसी, इन्फो ऐज और द इंडियन होटल्स में 25.4 फीसदी तक की गिरावट दर्ज हुई है।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज में प्राइम रिसर्च के वरिष्ठ शोध विश्लेषक दर्शिल शाह ने कहा, खपत से जुड़ी कंपनियों ने वॉल्यूम में सुस्त वृद्धि और कच्चे माल की ऊंची लागत से मार्जिन पर दबाव के बीच कैलेंडर वर्ष 25 में कमजोर प्रदर्शन किया। लेकिन सहायक नीतिगत कदम, राजकोषीय प्रोत्साहन और मुद्रास्फीति में नरमी के साथ हमें उम्मीद है कि वित्त वर्ष 26 की दूसरी छमाही तक कुल खपत में लगातार सुधार होगा, जिससे निफ्टी उपभोग यानी खपत सूचकांक के प्रदर्शन में सुधार होगा।
6 जून की नीतिगत घोषणा में आरबीआई ने रीपो दर को 50 आधार अंक घटाकर 5.5 फीसदी पर ला दिया जबकि सीआरआर में 100 आधार अंकों की चरणबद्ध कटौती करते हुए नवंबर तक उसे 3 फीसदी पर लाने का ऐलान किया है। इन कदमों से वित्तीय व्यवस्था में करीब 2.5 लाख करोड़ रुपये आएंगे।
यह मौद्रिक राहत हाल में उठाए गए सरकार के कदमों के बाद आई है, जिनमें घरेलू खपत को बढ़ावा देने के मकसद से आयकर छूट सीमा में वृद्धि करना शामिल है। विश्लेषकों का मानना है कि इन कदमों का कुल असर त्योहारी सीज़न और वित्त वर्ष 26 की दूसरी छमाही में सबसे अधिक दिखाई देगा। उसी समय 8वें वेतन आयोग को लागू किए जाने की संभावना होगी।
एमके ग्लोबल फाइनैंशियल सर्विसेज के शोध एवं रणनीति प्रमुख शेषाद्रि सेन ने कहा, रीपो दर में कटौती से ऋण बढ़ने में मदद मिलेगी जबकि सीआरआर में कमी से ऋण देने की क्षमता में सुधार होगा। नतीजे में ऑटोमोबाइल, टिकाऊ उपभोक्ता सामान, रियल एस्टेट और हरित ऊर्जा जैसे ज्यादा खपत वाले सेक्टरों को लाभ होगा। अनुकूल परिस्थितियों के बावजूद विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि ग्रामीण क्षेत्रों में कमजोर रिकवरी, वैश्विक अनिश्चितता या मांग में कमी जैसी व्यापक आर्थिक प्रतिकूलताएं इसे धीमा कर सकती हैं। इनपुट लागत कम होने से असंगठित कंपनियों से प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती है जिससे बड़ी कंपनियों के लिए वॉल्यूम वृद्धि को खतरा हो सकता है।
हाल ही में आई कैंटर रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2025 के दौरान एफएमसीजी की शहरी खपत में गैर-ब्रांडेड उत्पादों की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा रही, जिसे इस जोखिम का पता चलता है। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के दर्शिल शाह खपत बास्केट में गोदरेज कंज्यूमर, मैरिको, मारुति सुजूकी और मैक्रोटेक डेवलपर्स पसंद करते हैं। इस बीच, नोमुरा ने मजबूत ब्रांड, मूल्य निर्धारण शक्ति और प्रीमियम पोर्टफोलियो की उच्च साख वाली कंपनियों पर ध्यान देने की सलाह दी है। ब्रोकरेज ने गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स, मैरिको और टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स को वित्त वर्ष 26 की दूसरी छमाही में मार्जिन विस्तार की उम्मीद के बीच अपने शीर्ष उपभोग दांव के रूप में चुना है।