आम चुनाव का समापन करीब आते ही भारतीय उद्योग जगत नई पूंजी जुटाने की योजनाओं को धार देने में जुट गया है। सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा नई प्रतिभूतियां (सिक्योरिटीज) जारी करने की योजना के पीछे चुनाव नतीजों और पूंजीगत खर्च को लेकर आशावादी रुख तथा बेहतर मूल्यांकन प्रमुख कारण है।
बीते मंगलवार को अदाणी समूह की प्रमुख कंपनी अदाणी एंटरप्राइजेज के निदेशक मंडल ने इक्विटी के जरिये 16,600 करोड़ रुपये जुटाने की मंजूरी दी है। इससे एक दिन अदाणी एनर्जी सॉल्यूशंस ने 12,500 करोड़ रुपये जुटाने की अपनी योजना की घोषणा की थी। इसके अलावा टॉरेंट फॉर्मा, केपीआई ग्रीन तथा सेलो वर्ल्ड ने भी 750 करोड़ रुपये से 5,000 करोड़ रुपये के बीच पूंजी जुटाने का लक्ष्य रखा है। ये कंपनियां इक्विटी फंड जुटाने के लिए पात्र संस्थागत नियोजन (क्यूआईपी) को तरजीह दे रही हैं। इसके तहत कंपनी मौजूदा बाजार भाव के आसपास की कीमत पर निवेशकों को नए शेयर जारी करती है।
जेएसडब्ल्यू एनर्जी, कोफोर्ज और ऐंजल वन पिछले एक महीने के दौरान बड़े आकार के क्यूआईपी को सफलतापूर्वक अंजाम दे चुकी है। इनमें से ज्यादातर कंपनियां नई पूंजी का उपयोग अपने परिचालन के विस्तार और नए करोबार में करेंगी। निवेशक बैंकरों का कहना है कि बाजार में तेजी का फायदा उठाने के लिए कई अन्य कंपनियां ताजा पूंजी जुटाने के प्रस्ताव पर अपने बोर्ड से मंजूरी लेने की तैयारी में हैं।
बीते समय में कंपनियां चुनावों से पहले किसी तरह से शेयरों की बिक्री से परहेज करती थीं। हालांकि चुनाव नतीजे उम्मीद के अनुरूप रहने को लेकर आशावादी रुख के कारण कंपनियां इक्विटी पूंजी जुटाने की कवायद में लगी हैं।
जेएम फाइनैंशियल के प्रबंध निदेशक चिराग नेगांधी ने कहा, ‘बाजार के भागीदार बाजार के परिदृश्य (आउटलुक) को लेकर सकारात्मक हैं। नीतियों में निरंतरता और अनुकूल बाजार स्थितियों के कारण क्यूआईपी में तेजी आने की उम्मीद है।’
उद्योग के भागीदारों ने कहा कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के नियमों के अनुसार कंपनियों को तिमाही वित्तीय विवरण का खुलासा करने से पहले शेयरधारकों की बैठक बुलाने की अनुमति नहीं होती है। वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही और पूरे वित्त वर्ष के नतीजों का मौसम अब समाप्त होने वाला है, ऐसे में कंपनियों के पास शेयर बिक्री के लिए कुछ हफ्ते का ही समय बचा है।
चुनावों के दौरान उठापटक के बावजूद कुछ बढ़त गंवाने के बावजूद अधिकतर शेयर रिकॉर्ड स्तर पर कारोबार कर रहे हैं। शेयरों के दाम ज्यादा होने से कंपनियों को कम हिस्सेदारी से ज्यादा पूंजी जुटाने में मदद मिलती है।
प्राइम डेटाबेस के प्रबंध निदेशक (MD) प्रणव हल्दिया ने कहा, ‘आम तौर पर क्यूआईपी ऐसे समय में लाया जाता है जब बाजार में तेजी हो क्योंकि इससे कंपनियां उच्च मूल्यांकन पर पूंजी जुटाने में सक्षम होती हैं। क्यूआईपी में कम समय लगता है और कम खर्च आता है, जो इसे ताजा पूंजी जुटाने का पसंदीदा माध्यम बनाता है।’ बीते 6 महीने के दौरान सूचीबद्ध फर्मों ने क्यूआईपी के जरिये औसतन 9,000 करोड़ रुपये हर महीने जुटाए हैं।