Stock Market Trading Styles: बाजार में ट्रेड करने वालों की कई तरीके होते हैं। हर ट्रेडर की स्ट्रैटेजी, सोच और टाइम फ्रेम अलग-अलग होती है। कोई कुछ सेकंड या मिनट में ही मुनाफा कमा लेना चाहता है, तो कोई कई हफ्तों या महीनों तक इंतजार करता है। दरअसल, अलग-अलग ट्रेडिंग स्टाइल्स में फर्क होता है। आइए समझते हैं किस स्टाइल में क्या स्ट्रैटेजी होती है।
हर ट्रेडर की सोच और लक्ष्य अलग होता है। कुछ लोग दिनभर ट्रेड करते हैं, वहीं कुछ लोग बाजार के ट्रेंड को देखकर लंबी अवधि के लिए पैसा लगाते हैं। किसी को छोटे-छोटे मुनाफे से संतोष होता है, तो कोई एक बड़ा मूवमेंट पकड़ना चाहता है। इसलिए, सही ट्रेडिंग स्टाइल चुनना आपके मुनाफे, समय और तनाव – तीनों पर असर डालता है।
स्कैल्पर्स वे ट्रेडर्स होते हैं जो दिन में कई बार ट्रेड करते हैं और हर ट्रेड से थोड़ा-थोड़ा मुनाफा कमाने की कोशिश करते हैं। यह स्टाइल बहुत तेज होती है और इसमें हर सेकंड मायने रखता है। स्कैल्पिंग में एक सेकंड की देरी भी नुकसान का कारण बन सकती है। इसके लिए तेज इंटरनेट, सही प्लेटफॉर्म और तकनीकी समझ जरूरी है।
मोमेंटम ट्रेडर्स बाजार की तेज चाल का फायदा उठाते हैं। अगर किसी शेयर में तेजी आई है और वह ऊपरी स्तर की ओर बढ़ रहा है, तो ये ट्रेडर्स उस लहर के साथ ट्रेड करते हैं। इस स्टाइल में ट्रेंड को सही पहचानना और सही समय पर एग्जिट करना बहुत जरूरी होता है।
ब्रेकआउट ट्रेडर्स ऐसे शेयरों पर नजर रखते हैं जो किसी अहम स्तर (जैसे सपोर्ट या रेसिस्टेंस) को पार करने की कोशिश कर रहे होते हैं। जैसे ही शेयर उस सीमा को तोड़ता है, ये ट्रेड में एंट्री करते हैं। यह स्टाइल बहुत ही टेक्निकल होती है और चार्ट्स को अच्छे से पढ़ना आना चाहिए।
स्विंग ट्रेडिंग उन लोगों के लिए है जो हर दिन ट्रेडिंग नहीं करना चाहते, लेकिन बाजार की छोटी अवधि की चाल का फायदा उठाना चाहते हैं। इसमें शेयर को कुछ दिन या हफ्तों के लिए होल्ड किया जाता है। इसके लिए तकनीकी विश्लेषण की मदद ली जाती है।
यह स्टाइल मानती है कि हर शेयर का एक औसत स्तर होता है और अगर वह उससे ऊपर या नीचे जाता है, तो एक समय के बाद वह वापस अपने औसत पर लौटता है। ऐसे में जो शेयर औसत से नीचे होता है, उसे खरीदा जाता है और जैसे ही वह ऊपर आता है, बेच दिया जाता है।
ये ट्रेडर्स खबरों पर तेजी से रिएक्ट करते हैं। जैसे ही कोई बड़ी घोषणा होती है – बजट, ब्याज दरों में बदलाव, या कोई वैश्विक घटना – ये ट्रेडर्स उसी वक्त पोजीशन लेते हैं। इस स्टाइल में बहुत तेज फैसला लेने की क्षमता चाहिए क्योंकि खबर आने के कुछ ही पलों में बाज़ार प्रतिक्रिया दे सकता है।
इंट्राडे ट्रेडिंग में शेयर उसी दिन खरीदे और बेचे जाते हैं। यह छोटे उतार-चढ़ाव पर आधारित होता है और रोजाना की निगरानी मांगता है। दूसरी ओर, पोजीशन ट्रेडिंग लंबी अवधि के लिए होती है – कुछ हफ्ते, महीने या सालों तक। इसका मकसद बाजार की बड़ी चाल का फायदा उठाना होता है।
(डिस्कलेमर: यह डीटेल ब्रोकरेज हाउसेस के ब्लॉग पोस्ट पर आधारित है। यह सिर्फ जानकारी के लिए है। शेयर बाजार में ट्रेडिंग या निवेश जोखिमों के अधीन है। निवेश संबंधी फैसला करने से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें।)