बाजार नियामक सेबी ने साल 2000 में हुए शेयर बाजार घोटाले में शामिल केतन पारेख, सिंगापुर के ट्रेडर रोहित सलगांवकर और एक अन्य व्यक्ति को अमेरिकी एफपीआई के कथित फ्रंट रनिंग ट्रेड को लेकर प्रतिभूति बाजार में प्रवेश से रोक दिया है। एफपीआई दुनिया भर में करीब 2.5 अरब डॉलर के फंडों का प्रबंधन करता है।
22 व्यक्तियों व इकाइयों के खिलाफ 188 पेज के अंतरिम आदेश में बाजार नियामक ने ऐसी कथित योजना के जरिये की गई 65.77 करोड़ रुपये की अवैध कमाई जमा कराने का निर्देश दिया है। सेबी ने 22 इकाइयों के बैंक खाते भी जब्त कर लिए हैं। सेबी के तथ्यों से पता चलता है कि पारेख व सलगांवकर करीब 2.5 साल से कथित फ्रंट रनिंग स्कीम चला रहे थे और सूचनाओं पर आधारित ट्रेड की पहचान के लिए नए अलर्ट मॉडल के बाद ये पकड़े गए।
बाजार नियामक ने आरोप लगाया है कि पारेख (जिन्हें साल 2000 में शेयर बाजार घोटाले में उनकी भूमिका के कारण शेयर बाजार में प्रवेश पर 14 साल की रोक लगाई गई थी) ने फ्रंट रनिंग ट्रेड के लिए नया तरीका बनाया ताकि नियामकीय घेरे से बाहर रह सके।
सलगांवकर ने एफपीआई के आगामी ट्रेड को लेकर सूचनाएं मुहैया कराई और इस पर पारिख ने कोलकाता में विभिन्न सहायकों के जरिये पोजीशन बनाई।
सलगांवकर का मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज व नुवामा वेल्थ मैनेजमेंट के साथ रेफरल एग्रीमेंट था, जिसके जरिये अमेरिकी एफपीआई के ट्रेड उन्हें रेफर किए जाते हैं। सेबी ने जून 2023 में अन्य अधिकरणों के साथ संयुक्त जांच के तहत 17 परिसरों में तलाशी व जब्ती अभियान चलाया था।
सेबी के पूर्णकालिक सदस्य कमलेश वाष्णेय ने आदेश में कहा है, एफपीआई जैसे बड़े क्लाइंटों के ट्रेडर रोहित सलगांवकर के साथ चर्चा करते थे ताकि उनकी ट्रेडिंग के लिए काउंटर पार्टी सुनिश्चित हो, और रेहित सलगांवकर उस सूचना का इस्तेमाल केतन पारिख को जानकारी देकर अवैध कमाई में करते थे। जब सूचना केतन पारिख तक पहुंच जाती थी तब वह अलग-अलग खातों के जरिये व्यवस्थित ट्रेड को अंजाम देते थे, जिससे संचयी तौर पर अवैध लाभ सृजित हुए।
अंतरिम कार्रवाई की जरूरत बताते हुए आदेश में कहा गया है कि पिछले घोटाले में पारेख शामिल थे और वह आदतन अपराधी हैं। इस आदेश में जिन 22 इकाइयों का जिक्र है उनमें फ्रंट रनर्स, स्टॉक ब्रोकर, इसमें सहयोग देने वाले और कई अन्य फर्मों के निदेशक शामिल हैं।
पारिख फ्रंट रनर्स को अलग-अलग नामों से पंजीकृत मोबाइल फोन के जरिये निर्देश देते थे और वे जैक, जॉन, बॉस व भाई आदि नाम से जाने जाते थे। पहचान की पुष्टि के लिए बाजार नियामक ने मोबाइल फोन के चैट, संदेश और लोकेशन के अलावा आईएमईआई नंबरों, होटल की बुकिंग और जन्मदिन के संदेश का विश्लेषण किया।
इकाइयों के बीच रकम का हस्तांतरण आंगडि़ये यानी नकदी लेनदेन के अनाधिकारिक चैनलों के जरिये हुए। सेबी ने आदेश की प्रति नुवामा और मोतीलाल ओसवाल को भेजा है ताकि ऐसे उल्लंघन को रोकने की खातिर वे अपने आंतरिक नियंत्रण की मजबूती की खातिर उचित कदम उठा सकें। पारिख को साल 2000 के शेयर घोटाले में कीमतों के जोड़तोड़ व सर्कुलर ट्रेडिंग में अपराधी ठहराया गया था।