भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने सोमवार को विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) के लिए ग्रैन्युलर ओनरशिप डिस्क्लोजर की सीमा को बढ़ा दिया है। अब तक यह सीमा ₹25,000 करोड़ थी, जिसे बढ़ाकर ₹50,000 करोड़ कर दिया गया है। यानी अब जिन FPI का निवेश ₹50,000 करोड़ से ज़्यादा होगा, उन्हें अपने मालिकाना हक से जुड़ी अतिरिक्त जानकारी देनी होगी। SEBI का मानना है कि इससे पारदर्शिता बनी रहेगी और निवेशकों पर अनुपालन का बोझ भी कम होगा।
यह फैसला मुंबई में हुई SEBI बोर्ड मीटिंग में लिया गया जो कि नए चेयरमैन तुहिन कांत पांडे के नेतृत्व में पहली मीटिंग थी।
और क्या-क्या फैसले हुए?
कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट पर हाई लेवल कमिटी बनेगी
SEBI ने यह भी फैसला लिया है कि बोर्ड और उसके सीनियर अधिकारियों में हितों के टकराव (Conflict of Interest) को लेकर मौजूदा नियमों की समीक्षा की जाएगी। इसके लिए एक हाई लेवल कमिटी (HLC) बनाई जाएगी, जिसमें अनुभवी और विशेषज्ञ लोग शामिल होंगे। यह कमिटी अगले तीन महीनों में अपनी सिफारिशें देगी, जिन्हें SEBI बोर्ड के सामने रखा जाएगा। SEBI का कहना है कि इस कदम से पारदर्शिता, जवाबदेही और नैतिकता के उच्च मानक कायम रहेंगे।
