Rupee vs Dollar: डॉलर के मुकाबले रुपया आज मजबूत होकर दो महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गया। डीलरों ने कहा कि देसी शेयर बाजार में विदेशी निवेश बढ़ने से रुपये को दम मिला है। कारोबार के दौरान स्थानीय मुद्रा डॉलर के मुकाबले 83.03 पर पहुंच गई, जो 15 दिसंबर, 2023 के बाद फीसदी के लिहाज से एक दिन में सबसे ज्यादा उछाल है।
एलकेपी सिक्योरिटीज में उपाध्यक्ष और कमोडिटी तथा करेंसी के शोध विश्लेषक (research analyst) जतिन त्रिवेदी ने कहा, ‘हाल के दिनों में डॉलर सूचकांक के उच्च स्तर पर कारोबार करने के बावजूद भारत में उल्लेखनीय आर्थिक विकास और पूंजी बाजार में निवेश बढ़ने से रुपये में मजबूती देखी गई है। रुपया 82.90 और 83.35 के दायरे में कारोबार कर सकता है।’
कारोबार की समाप्ति पर रुपया 83.10 पर बंद हुआ जो 19 मार्च के बाद सबसे ऊंचा स्तर है। बुधवार को रुपया 83.28 पर बंद हुआ था। सार्वजनिक क्षेत्र के एक बैंक के एक डीलर ने कहा, ‘शेयर बाजार में कुछ निवेश हुआ और निजी बैंकों ने दिन में डॉलर बेचे हैं।’
बाजार भागीदारों ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में हस्तक्षेप कर डॉलर की खरीद की, जिससे कारोबार के अंत में रुपये ने अपनी थोड़ी बढ़त गंवा दी। एक निजी बैंक के डीलर ने कहा, ‘मुद्रा बाजार में उठापटक को काबू में करने के लिए आरबीआई का हस्तक्षेप होगा, खास तौर पर जब चुनाव के नतीजे आने हैं।’
अमेरिका में आर्थिक आंकड़े बेहतर रहने से डॉलर के मुकाबले अधिकतर एशियाई मुद्राओं में नरमी आई। बेहतर आंकड़े आने से निवेशकों को इस साल फेडरल रिजर्व से दर कटौती की उम्मीद कम हो गई है। महीने भर बढ़त पर रहने के बाद डॉलर सूचकांक मामूली घटकर 104.89 पर रहा।
सीएमई फेडवॉच टूल के अनुसार अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा सितंबर की बैठक में दरें जस की तस रखने की संभावना 46 फीसदी हो गई है, जो हफ्ते भर पहले 35 फीसदी ही थी।
दूसरी ओर सरकारी बॉन्ड की यील्ड थोड़ी बढ़ गई क्योंकि ट्रेडरों ने सप्ताहांत (weekend) से पहले अपनी पोजिशन निपटा दी। 10 साल के सरकारी बॉन्ड की यील्ड 7 फीसदी पर बंद हुई, जो बुधवार को 6.99 फीसदी पर बंद हुई थी। बॉन्ड और विदेशी मुद्रा बाजार कल बंद रहे थे।
एक सरकारी बैंक के डीलर ने कहा, ‘बाजार में आज कुछ तेजी की उम्मीद थी मगर ऐसा नहीं हुआ। सप्ताहांत से पहले कोई भी पोजिशन लेना नहीं चाहता है क्योंकि किसी को पता नहीं है कि अमेरिकी बॉन्ड की यील्ड कैसी रहेगी।’
बॉन्ड बाजार की नजर अब मौद्रिक नीति समिति की जून में होने वाली बैठक पर टिकी है। ट्रेडर 10 वर्षीय बॉन्ड के बजाय कम अवधि वाले बॉन्ड में ज्यादा निवेश कर रहे हैं, जिससे पता चलता है कि अनिश्चितता के बीच उनका रुख सतर्क है। रिजर्व बैंक ने यील्ड चक्र में तेजी के लिए बॉन्ड पुनर्खरीद और आपूर्ति कम करने जैसे उपाय किए हैं, लेकिन इनका असर नहीं पड़ा।