मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के वेल्थ मैनेजमेंट हेड अंकित मंडोलिया की रिपोर्ट के अनुसार, 2025 के दूसरे हिस्से में भारत और दूसरे उभरते बाजारों (Emerging Markets) में निवेश का माहौल पहले से कहीं ज़्यादा बेहतर होता दिख रहा है। दुनियाभर में जो अस्थिरता और डर बना हुआ था, उसमें अब कुछ नरमी आई है और इसका सीधा फायदा भारत जैसे बाजारों को मिल रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, इस सकारात्मक माहौल की शुरुआत पश्चिम एशिया (West Asia) में तनाव कम होने से हुई है। ईरान और इज़रायल के बीच तनाव घटने और कूटनीतिक बातचीत बढ़ने से निवेशकों का भरोसा लौटा है। कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और कमोडिटी बाज़ार में स्थिरता ने भी बाज़ार का मूड सुधारा है। ब्रेंट क्रूड की कीमतें अपने हाल के ऊपरी स्तरों से नीचे आ गई हैं और सोने-चांदी जैसी मेटल्स में भी गिरावट आई है, जो भारत जैसी महंगाई-संवेदनशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए अच्छा संकेत है।
इस वैश्विक ठहराव के साथ भारत की घरेलू स्थिति भी मज़बूत हो रही है। मांग बनी हुई है, क्रेडिट ग्रोथ दिख रही है और कंपनियों के बैलेंस शीट पहले से बेहतर हैं। यह तेजी सिर्फ उत्साह के दम पर नहीं है, बल्कि earnings growth और valuation re-rating के आधार पर है। यानी जिन कंपनियों ने मुनाफा दिखाया है और आगे ग्रोथ का भरोसा है, उनमें ही निवेशक पैसा लगा रहे हैं।
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रिपोर्ट में बताया गया है कि बैंकिंग और फाइनेंशियल सर्विसेस (BFSI) सेक्टर सबसे मजबूत स्थिति में है। ICICI Bank, HDFC Bank, और Federal Bank जैसे प्राइवेट बैंक ग्रोथ, मार्जिन और एसेट क्वालिटी के मामले में आगे हैं। वहीं SBI, भारत में कैपेक्स और क्रेडिट रिवाइवल का सबसे बेहतर सरकारी विकल्प बना हुआ है। छोटे बैंकों में AU Small Finance Bank को डिजिटली लीडर माना गया है।
हाउसिंग फाइनेंस में PNB Housing, Home First और L&T Finance जैसे नाम बेहतर बैलेंस शीट और सस्ते लोन के चलते पसंद किए जा रहे हैं। हेल्थ और जनरल इंश्योरेंस में Niva Bupa जैसे प्लेयर्स इनोवेशन और तेज़ ग्रोथ दिखा रहे हैं। वहीं ब्रोकिंग में Angel One और वेल्थ मैनेजमेंट में Nuvama मजबूत पकड़ बना रहे हैं।
BFSI के अलावा अब पैसा इंडस्ट्रियल्स, कैपिटल गुड्स और चुनिंदा IT कंपनियों की ओर भी जाने लगा है। भारत में कैपेक्स बढ़ने और एक्सपोर्ट में सुधार की उम्मीद के चलते इन सेक्टर्स में मिड टर्म में अच्छा मौका दिख रहा है। इन क्षेत्रों में अभी वैल्यूएशन भी किफायती है।
अमेरिकी केंद्रीय बैंक (Federal Reserve) ने 2025 में दो बार ब्याज दरें घटाने के संकेत दिए हैं। साथ ही SLR में कटौती पर भी विचार हो रहा है, जिससे बैंकों के पास ज़्यादा पैसा आएगा और उभरते बाजारों में फंड फ्लो तेज़ हो सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का IPO बाजार ऐतिहासिक दौर में है। कई अच्छी कंपनियां शेयर बाजार में आ रही हैं, लेकिन निवेशकों की नजर अब बहुत सख्त हो गई है। केवल वही कंपनियां डिमांड में हैं जिनकी गवर्नेंस अच्छी है, बिजनेस मॉडल साफ़ है और भविष्य में कमाई की संभावना दिखती है।
कुल मिलाकर, 2025 की दूसरी छमाही में उभरते बाज़ारों में सकारात्मक माहौल रहेगा। ग्लोबल अनिश्चितता घटेगी, सेक्टर लीडरशिप साफ़ होगी और विदेशी निवेश फिर से लौटेगा। लेकिन निवेशकों को अब स्टॉक-स्पेसिफिक रहना होगा, वैल्यूएशन पर ध्यान देना होगा और लॉन्ग टर्म ग्रोथ वाली कंपनियों पर भरोसा करना होगा।