भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपनी भुगतान प्रणाली रिपोर्ट में भू-राजनीतिक तनावों को सीमा पार भुगतान और वित्तीय प्रवाह के लिए प्रमुख जोखिम बताया है। रिजर्व बैंक ने कहा कि वैश्विक वित्तीय बुनियादी ढांचे के केंद्रीकृत ढांचे और निपटान की कुछ प्रमुख मुद्राओं पर निर्भरता के कारण इस पर असर पड़ता है।
केंद्रीय बैंक ने कहा, ‘प्रतिबंध, वित्तीय प्रणालियों या मुद्राओं पर प्रतिबंध और अन्य परिचालन बाधाओं के कारण बाजारों और पहुंच में बाधा पड़ती है। प्रभावित देश इन बाधाओं से बचाव के लिए द्विपक्षीय या बहुपक्षीय विकल्प विकसित करके इससे बचाव कर सकते हैं।’ इस रिपोर्ट में भारत में भुगतान प्रणालियों के वर्तमान परिदृश्य का अवलोकन प्रस्तुत किया गया है।
रिजर्व बैंक ने रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि सीमा पार भुगतान तकनीकी नवाचारों, अधिक निवेश और विभिन्न कानूनी इलाकों में लेन-देन और नौकरियों के कारण प्रवास से हो रहे धन प्रेषण से संचालित होकर लगातार बदलाव के दौर से गुजर रहा है। इसे देखते हुए रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि कुछ गलियारों में कई मध्यस्थों की वजह से लेनदेन की लंबी श्रृंखला, बिखरे हुए आंकड़ों के कारण अंतर संचालन क्षमता में कमी, अनुपालन संबंधी जांच की जटिल प्रक्रिया, अनुपालन जांच की प्रक्रिया संबंधी जटिलता और टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्मों की विरासत के कारण इनकी कुशलता और लागत संबंधी व्यावहारिकता प्रभावित हो रही है। खासकर व्यक्तिगत लेनदेन करने वालों और छोटे कारोबारियों पर इसका असर पड़ रहा है।
रिजर्व बैंक ने अपनी ओर से अन्य देशों के साथ विभिन्न प्रकार के सहयोग को प्रोत्साहित करके सीमा पार भुगतान को बढ़ाने के उपाय किए हैं। इसमें व्यक्तिगत धनप्रेषण और विदेश में व्यापारिक स्थानों पर क्यूआर कोड के माध्यम से एफपीएस की स्वीकृति के लिए द्विपक्षीय और बहुपक्षीय आधार पर यूपीआई को अन्य देशों की फास्ट पेमेंट सिस्टम (एफपीएस) के साथ जोड़ना शामिल है।
रिजर्व बैंक और सिंगापुर के मौद्रिक प्राधिकरण (एमएएस) ने 2023 में अपनी संबंधित एफपीएस यानी यूपीआई और पेनाउ के लिंकेज को चालू कर दिया है। इसके अलावा, भूटान, फ्रांस, मॉरिशस, नेपाल, सिंगापुर, संयुक्त अरब अमीरात और कतर में क्यूआर कोड के माध्यम से भारत के यूपीआई ऐप्स की स्वीकृति हुई है। इसकी वजह से इन देशों में भारतीय यात्री यूपीआई ऐप्स का उपयोग करके व्यापारियों को भुगतान कर सकते हैं। इसके अलावा भारत प्रोजेक्ट नेक्सस में शामिल हो गया है, जिसमें मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर और थाईलैंड हैं। यह घरेलू एफपीएस को आपस में जोड़कर तत्काल सीमा पार खुदरा भुगतान को सक्षम करने के लिए एक बहुपक्षीय अंतर्राष्ट्रीय पहल है।