संपत्ति प्रबंधन कंपनियां बड़े शहरों से आगे भी अपनी मौजूदगी बढ़ाने पर जोर दे रही हैं, क्योंकि छोटे शहरों में HNI यानी अमीर निवेशक अपने पोर्टफोलियो को सोने और रियल एस्टेट के अलावा अन्य अन्य निवेश के साथ भी नया रूप देना चाहते हैं। संपत्ति प्रबंधकों ने कहा है कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के बाद मांग में तेजी आई है और कुछ उद्योगों में वैश्विक महामारी ने नई जान फूंक दी है।
संपत्ति प्रबंधन में वित्तीय नियोजन से लेकर कराधान और संपत्ति नियोजन पर सलाह तक की सेवाओं की एक व्यापक श्रृंखला शामिल है। वे निवेश सलाहकार और पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवाओं जैसे उच्च स्तरीय संपत्ति प्रबंधन की तुलना में निवेश उत्पादों का व्यापक विस्तार देते हैं। अधिकतर संपत्ति प्रबंधक एक करोड़ रुपये से लेकर 25 करोड़ रुपये तक के उच्च टिकट आकार मानदंड रखते हैं।
मझोले शहरों में संपत्ति प्रबंधकों की मांग में वृद्धि का बड़ा कारण इनके द्वारा प्रबंधित की जा रही कुल संपत्ति के बदलते भौगोलिक अनुपात है। एएसके प्राइवेट वेल्थ का कहना है कि मझोले शहरों में ग्राहकों का अनुपात अभी 22 फीसदी है, जो वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के दौरान 17 फीसदी था। इसी अवधि के दौरान मझोले शहरों में प्रबंधन के तहत संपत्ति (एयूएम) 13 फीसदी से बढ़कर 22 फीसदी हो गई। नुवामा प्राइवेट के लिए मझोले शहरों में ग्राहकों का अनुपात अब 20 फीसदी है, जो वैश्विक महामारी से पहले 15 फीसदी था।
इसकी लोकप्रियता बढ़ने का मतलब है कि देश भर में अधिक से अधिक कंपनियां अपनी उपस्थिति बढ़ाने पर जोर दे रही हैं। कुछ संपत्ति प्रबंधकों ने कानपुर, लखनऊ, लुधियाना, चंडीगढ़, रांची, इंदौर और गोवा में अपनी शाखाएं खोली हैं। वरिष्ठ अधिकारियों की मानें तो मांग में यह वृद्धि देश के कुछ इलाकों में व्यापार परिदृश्य सुधरने के कारण है।
मोतीलाल ओसवाल प्राइवेट वेल्थ के जयेश फारिया का कहना है कि इसका एक उदाहरण वैश्विक महामारी के बाद विशेष रासायनिक क्षेत्रों में वृद्धि का है। मोतीलाल ओसवाल प्राइवेट वेल्थ के निदेशक, क्षेत्रीय प्रमुख-पश्चिम फारिया ने कहा, ‘वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के बाद उद्योग के रूप में विशेष रसायनों ने दमदार प्रदर्शन किया है, जिसमें प्रवर्तकों और इस व्यवसाय में शामिल अन्य लोगों ने संपत्ति अर्जित की है। यह देखते हुए कि इन शहरों में अधिक खर्च नहीं किया जा सकता फिर भी इन शहरों में रहने वाले लोगों के खर्च करने लायक आमदनी में काफी वृद्धि हुई है।’
छोटे शहरों में स्टार्टअप में हुई वृद्धि इसके अन्य उदाहरण हैं। मार्च, 2022 में सरकार ने संसद में जानकारी दी थी कि करीब 50 फीसदी स्टार्ट-अप मझोले और छोटे शहरों में स्थित
हैं।
नुवामा प्राइवेट के प्रेसिडेंट और हेड आलोक सेगल कहते हैं, ‘मझोले और छोटे शहरों के बुनियादी ढांचे में सुधार हो रहा है और इससे वहां व्यवसाय करने में भी आसानी हो रही है। इसके अलावा, व्यवासायों को सरकार द्वारा कर में छूट, सब्सिडी और अन्य प्रोत्साहन भी मिल रहा है।’