Power Stocks: विश्लेषकों का कहना है कि विद्युत उत्पादन कंपनियों (जेनको) के शेयरों में तेजी की रफ्तार बरकरार रहने की संभावना है, क्योंकि आने वाली तेज गर्मियों में बिजली की मांग बढ़ जाएगी। भारत में बिजली की मांग 2024 में सालाना आधार पर 7 प्रतिशत तक बढ़कर 260 गीगावॉट पर पहुंचने का अनुमान है। यह अनुमान केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण द्वारा जताया गया है।
इन्वासेट में पार्टनर और फंड प्रबंधक अनिरुद्ध गर्ग का मानना है कि भारत की सर्वाधिक विद्युत मांग 2023 की 243 गीगावॉट से काफी बढ़ जाएगी। उनका कहना है कि इस वृद्धि को पूरी करने के लिए सरकार ने कम से कम 20 गीगावॉट की नई कोयला क्षमताएं पेश कर ऊर्जा ढांचा मजबूत बनाने की योजना बनाई है। गर्ग का मानना है, ‘वृद्धि और तकनीकी नवाचार पर जोर दिए जाने के कारण 2024 के लिए विद्युत क्षेत्र का परिदृश्य मजबूत बना हुआ है।’
एसीई इक्विटी के आंकड़ों से पता चलता है कि शेयर बाजार में विद्युत उत्पादन कंपनियों ने निफ्टी-50 और निफ्टी-500 दोनों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया है। अदाणी पावर, रतनइंडिया पावर, गुजरात इंडस्ट्रीज पावर कंपनी, टॉरंट पावर, एनएचपीसी, टाटा पावर और एनटीपीसी जैसे शेयरों का मूल्य पिछले एक साल के दौरान 99 प्रतिशत से 220 प्रतिशत के बीच बढ़ा है। तुलना करें तो एनएसई बेंचमार्क 27 प्रतिशत और निफ्टी-500 सूचकांक इस अवधि में 37 प्रतिशत तक बढ़ा है।
रिपोर्टों के अनुसार मांग को ध्यान में रखकर सरकार कम ‘अक्षय ऊर्जा उत्पादन देयता’ (आरजीओ) लागू करने पर विचार कर रही है। नए कोयला एवं लिग्नाइट विद्युत संयंत्रों के लिए इसे मौजूदा 40 प्रतिशत से घटाकर 6-10 प्रतिशत किया जा रहा है, जिससे कि ताप विद्युत उत्पादन को प्रोत्साहित किया जा सके।
आरजीओ में गारंटीड विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए जरूरी न्यूनतम अक्षय ऊर्जा उत्पादन क्षमताके बारे में बताया गया है। एचएसबीसी के विश्लेषकों ने संकेत दिया है कि जनवरी-फरवरी 2024 के दौरान ताप विद्युत के लिए मांग सालाना आधार पर 5 प्रतिशत और तिमाही आधार पर 9 प्रतिशत तक बढ़ी है।
ज्यादा मांग वाले दिनों में कभी-कभार बढ़ोतरी के बावजूद मांग संबंधित कमी प्रबंधन योग्य बनी हुई है। इसके अलावा मांग पूरी करने के लिए ताप संयंत्रों का प्लांट लोड फैक्टर तिमाही आधार पर 7 प्रतिशत अंक और सालाना आधार पर 5 प्रतिशत सुधरा है। विद्युत संयंत्रों में कोयला भंडार भी 15 दिन तक बढ़कर 4.3 करोड़ टन हो गया जो करीब साढ़े तीन साल में सर्वाधिक स्तर है।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज में रिटेल रिसर्च के प्रमुख दीपक जसानी का मानना है, ‘बढ़ती आर्थिक गतिविधियों और मौसम में उतार-चढ़ाव से विद्युत मांग को बढ़ावा मिलेगा। हालांकि विद्युत उत्पादन कंपनियों ने पिछले साल में बेहतर प्रदर्शन किया, लेकिन इन शेयरों से अगली दो तिमाहियों में नरम प्रतिफल की उम्मीद की जा सकती है।’
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज में रिटेल रिसर्च और ब्रोकिंग एवं वितरण मामलों की सहायक उपाध्यक्ष स्नेहा पोद्दार ने निवेशकों को विद्युत शेयरों में गिरावट का फायदा उठाकर खरीद का सुझाव दिया है क्योंकि इनमें रेटिंग सुधार की संभावना बनी हुई है।
उन्होंने कहा, ‘विद्युत उत्पादन कंपनियों के लिए 2023-24 की चौथी तिमाही आशाजनक दिख रही है, क्योंकि उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में गर्मी की शुरुआत हो गई है और जनवरी में ठंड की वजह से हीटिंग उपकरणों का इस्तेमाल काफी बढ़ गया था। इस बार गर्मी के मौसम में मांग नई ऊंचाई पर पहुंच सकती है, जिससे तीन से छह महीने के लिहाज से इस क्षेत्र को लेकर दृष्टिकोण सकारात्मक है।’
हालांकि विश्लेषक इसे लेकर सतर्क हैं कि मौजूदा विद्युत खरीद समझौतों के कारण बिजली उत्पादन कंपनियां बढ़ती मांग के फलस्वरूप विद्युत कीमतों में वृद्धि का पूरी तरह लाभ नहीं उठा पाएंगी। बर्न्सटीन के विश्लेषकों ने एक ताजा रिपोर्ट में लिखा है, ‘मौजूदा विद्युत मांग चक्र में सबसे बड़ा जोखिम अनुमान से कम 0.8-1 गुना (जीडीपी का) की वृद्धि हो सकती है। लेकिन हम इस क्षेत्र पर खास चयन के आधार पर सकारात्मक बने हुए हैं। हम एनटीपीसी, पावरग्रिड और रीन्यू जैसे शेयरों को पसंद कर रहे हैं।’