बढ़ती मुद्रास्फीति, अधिक ब्याज दरों और भू-राजनीतिक अशांति के कारण रियल एस्टेट क्षेत्र में पीई निवेश में सालाना आधार पर 17 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है, जो वर्ष 2021 में दर्ज 6.2 अरब डॉलर से घटकर वर्ष 2022 में 5.13 अरब डॉलर रह गया है। रियल एस्टेट सलाहकार नाइट फ्रैंक की रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है।
रिपोर्ट में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि भारतीय रियल एस्टेट क्षेत्र ने वर्ष 2022 में कार्यालय, गोदाम, आवासीय और खुदरा क्षेत्रों में 29 सौदों के माध्यम से 513.4 करोड़ ( 5.1 अरब डॉलर) का पीई निवेश दर्ज किया। रिपोर्ट के अनुसार गोदाम खंड में वर्ष 2022 में 1.9 अरब डॉलर का निवेश दर्ज किया गया, जबकि वर्ष 2021 में यह 1.3 अरब डॉलर था। इसमें सालाना आधार पर 45 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
वर्ष 2022 के दौरान कार्यालय क्षेत्र कुल पीई निवेश में 45 प्रतिशत योगदान के साथ पसंदीदा परिसंपत्ति वर्ग बना रहा। साथ ही गोदाम खंड का हिस्सा भी 37 प्रतिशत रहा, जो कार्यालय क्षेत्र के बाद दूसरा सबसे अधिक योगदान था।
इसके अलावा इस कैलेंडर वर्ष के दौरान निवेश की कुल हिस्सेदारी में आवासीय और खुदरा क्षेत्रों का हिस्सा क्रमशः 12 प्रतिशत और छह प्रतिशत रहा। वास्तव में गोदाम परिसंपत्ति वर्ग में वर्ष 2022 के दौरान 1.9 अरब डॉलर निवेश के साथ सालाना आधार पर 45 प्रतिशत की जोरदार वृद्धि नजर आई, जबकि पिछले साल 1.3 अरब डॉलर का निवेश किया गया था।
देश के शीर्ष आठ बाजारों में पीई निवेश के परिदृश्य के संबंध में मुंबई ने वर्ष 2022 में कुल निवेश का सबसे अधिक 41 प्रतिशत हिस्सा प्राप्त किया, इसके बाद 15 प्रतिशत के साथ एनसीआर और 14 प्रतिशत के साथ बेंगलूरु का स्थान रहा।
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रिपोर्ट में वर्ष 2023 में पूंजी निवेश के माहौल में सुधार की भी भविष्यवाणी की गई है क्योंकि 2023 के मध्य तक वैश्विक स्तर पर विपरीत परिस्थितियों के कम होने की उम्मीद है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2011 से 2022 तक 659 सौदों के माध्यम से भारतीय रियल एस्टेट क्षेत्र में कुल निजी इक्विटी निवेश 54.8 अरब डॉलर रहा।