फार्मा सेक्टर पर निवेशकों की नजर बनी हुई है क्योंकि अमेरिका जल्द ही दवाइयों के इंपोर्ट पर टैक्स लगाने का ऐलान कर सकता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिए हैं कि दवाओं पर भी “बड़े टैरिफ़” लगाए जाएंगे, जिससे सस्ती ग्लोबल दवा ट्रेडिंग पर असर पड़ सकता है। अभी तक दवाइयों पर कितना टैक्स लगेगा, इसकी जानकारी नहीं दी गई है लेकिन बाकी सामानों पर 10% बेसलाइन टैरिफ लागू किया गया है।
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हालांकि इस अनिश्चितता के बीच भी फार्मा कंपनियों के शेयरों में जबरदस्त रिकवरी देखने को मिली है। अप्रैल महीने में अब तक 82 फार्मा कंपनियों के शेयरों ने निफ्टी फार्मा और हेल्थकेयर इंडेक्स को पछाड़ा है। इनमें से 3 स्टॉक्स ने तो 50% से ज़्यादा की तेजी दिखाई है।
मार्च 2025 की तिमाही खत्म होने तक म्यूचुअल फंड्स ने 38 फार्मा और हेल्थकेयर स्टॉक्स में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई है। इनमें से 14 कंपनियों में 10% से अधिक की हिस्सेदारी बढ़ाई गई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि दवाइयों की मांग हमेशा बनी रहती है और इन पर खर्च कम नहीं होता, यानी ये ‘इनएलेस्टिक डिमांड’ वाली कैटेगरी है। इसलिए अगर टैक्स बढ़े भी, तो कंपनियां दवाओं की कीमतें बढ़ाकर लागत वसूल सकती हैं। इसके अलावा, बीते साल फार्मा शेयरों ने रिकवरी दिखाई है और मौजूदा वैल्यूएशन आकर्षक हैं, जिससे खरीदारों की दिलचस्पी बनी हुई है।
कुछ कंपनियों में म्यूचुअल फंड्स ने हिस्सेदारी घटाई भी है, जैसे Supriya Lifescience, Vimta Labs और Suven Life Sciences। इसके अलावा Strides Pharma, Emcure, Laurus Labs, AstraZeneca और Mankind Pharma में भी स्टेक कम किया गया है। फिलहाल, पूरा फार्मा सेक्टर अमेरिका की अगली टैरिफ घोषणा का इंतजार कर रहा है। यह तय करेगा कि फार्मा शेयरों की दिशा आगे किस ओर जाएगी।