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Rice Export: चावल का निर्यात हुआ महंगा! सरकार ने परबॉयल्ड और मिल्ड चावल पर लगाया 20% टैक्स

सरकार ने उठाया सख्त कदम, देश में स्टॉक बचाना प्राथमिकता

Last Updated- May 01, 2025 | 5:03 PM IST
Rice export: Exporters who pay duty before the ban notification will be able to export rice

वित्त मंत्रालय ने परबॉयल्ड चावल और कुछ खास मिल्ड राइस की किस्मों पर 20% एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाने का फैसला किया है। यह नया नियम 1 मई 2025 से लागू हो गया है। सरकार का कहना है कि यह कदम देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और चावल के निर्यात को नियंत्रित करने के लिए उठाया गया है।

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किन चावलों पर लगेगा 20% टैक्स

मंत्रालय की ओर से जारी सर्कुलर के अनुसार, यह एक्सपोर्ट ड्यूटी उन परबॉयल्ड चावलों पर लागू होगी जिनमें जीआई टैग वाले और अन्य प्रकार के चावल शामिल हैं। इसके अलावा “Other Rice” श्रेणी के तहत आने वाले सेमी-मिल्ड या पूरी तरह से मिल्ड, पॉलिश या ग्लेज़्ड चावलों पर भी यह शुल्क लगेगा।

पहले हटाए गए थे प्रतिबंध, अब फिर सख्ती

गौरतलब है कि अक्टूबर 2023 में सरकार ने चावल निर्यात पर लगे कई पुराने प्रतिबंध हटा दिए थे, जो सितंबर 2022 से लागू थे। उस समय सरकार ने परबॉयल्ड चावल पर कस्टम ड्यूटी 10% से घटाकर शून्य कर दी थी और सफेद चावल पर लगे $490 प्रति टन का मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस भी हटा दिया गया था।

गोदामों में भराव को देखते हुए लिया गया था पिछला फैसला

ये छूट इसलिए दी गई थी क्योंकि उस समय हरियाणा और पंजाब के सरकारी गोदामों में चावल का भारी स्टॉक जमा था। सरकार ने तब निर्यात बढ़ाकर इन स्टॉक्स को कम करने का रास्ता अपनाया था। भारत सरकार ने पहली बार सितंबर 2022 में टूटे चावल के निर्यात पर रोक लगाई थी। इसके बाद सफेद चावल पर 20% एक्सपोर्ट ड्यूटी भी लगाई गई थी ताकि घरेलू सप्लाई बनी रहे और महंगाई पर काबू पाया जा सके।

अब फिर से सख्ती क्यों?

अब एक बार फिर 20% ड्यूटी लगाने का उद्देश्य है कि देश में खाद्यान्न की उपलब्धता को बेहतर तरीके से नियंत्रित किया जा सके और वैश्विक सप्लाई में अस्थिरता से निपटा जा सके।

First Published - May 1, 2025 | 5:03 PM IST

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