शेयर बाजार में जारी बिकवाली सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) का इस्तेमाल कर रहे निवेशकों के धैर्य की परीक्षा ले रही है। यह बाजार को सहारा देने वाला अहम स्तंभ है। पहली बार ऐसा हुआ कि जनवरी में एसआईपी खातों के बंद होने की संख्या नए खुले खातों से ज्यादा हो गई। इस दौरान 61 लाख एसआईपी खाते बंद हुए जबकि 56 लाख नए खाते जुड़े। एसआईपी खातों में शुद्ध रूप से कमी का यह लगातार छठा महीना है।
उद्योग विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि अगर बाजार में गिरावट जारी रही तो एसआईपी खाते बंद होने की दर और बढ़ सकती है। खातों में शुद्ध वृद्धि में नरमी के बावजूद जनवरी में कुल एसआईपी निवेश 26,400 करोड़ रुपये पर रहा जो दिसंबर 2024 के रिकॉर्ड निवेश से थोड़ा ही कम है। हालांकि ये आंकड़े सकल निवेश को दर्शाते हैं क्योंकि शुद्ध एसआईपी निवेश के आंकड़े सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं हैं।
द एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) ने बुधवार को एक कॉन्फ्रेंस कॉल के दौरान स्पष्ट किया कि पिछले महीने 25 लाख खाते बंद होने का कारण एक्सचेंजों और रजिस्ट्रार व ट्रांसफर एजेंट्स के बीच समन्वय था। नियामक मानदंडों के अनुरूप तीन महीने तक एसआईपी निवेश न आने के बाद इन खातों को बंद माना गया था। फिर भी सितंबर के अपने शिखर से बाजार में गिरावट के बीच हाल के महीनों में एसआईपी में वृद्धि धीमी रही है। दिसंबर में रिकॉर्ड 45 लाख एसआईपी खाते परिपक्व हुए या बंद हो गए। नतीजतन बाकी एसआईपी खाते दिसंबर में 10.32 करोड़ से घटकर जनवरी में 10.27 करोड़ रह गए। साथ ही एसआईपी खातों की प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां सितंबर के अंत के 13.82 लाख करोड़ रुपये के शिखर से जनवरी में घटकर 13.2 लाख करोड़ रुपये रह गईं।
व्हाइटओक कैपिटल एएमसी के सीईओ आशीष सोमैया ने चिंता जताते हुए कहा कि अगर निवेशक परेशानी के पहले संकेत पर एसआईपी रद्द करा रहे हैं तो यह चिंताजनक है। फरवरी में यह रुझान और तेज हो सकती है। ऐसेट मैनेजमेंट इंडस्ट्री की भूमिका सिर्फ बेंचमार्क से बेहतर प्रदर्शन करना ही नहीं है बल्कि निवेशकों का मार्गदर्शन करना भी है और दीर्घकालिक निवेश का महत्त्व बताना है।
बाजार के शिखर पर पहुंचने से अब तक निफ्टी, निफ्टी मिडकैप 100 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 में क्रमशः 13 फीसदी, 17 फीसदी और 19 फीसदी की गिरावट आई है। अधिकांश निवेशक हालांकि लाभ में हैं, लेकिन यह गिरावट पिछले साल म्युचुअल फंडों में निवेश करने वाले 1 करोड़ निवेशकों में से कई के लिए बुरा अनुभव रही है।
यह रुझान चिंताजनक है क्योंकि मजबूत घरेलू निवेश ने ऐतिहासिक रूप से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की निकासी के असर को कम किया है। कोटक इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज की रिपोर्ट में कहा गया है कि किसी भी कीमत स्तर पर खरीद के इस व्यवहार ने पिछले 9 से 12 महीनों में बाजार का मूल्यांकन ज्यादा बढ़ाने में योगदान दिया है। इस कारण वे ज्यादा बड़ी गिरावट रोकने में मददगार रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि खुदरा निवेशकों का रिटर्न स्मॉल और मिडकैप इंडेक्स से पीछे रह गया है, क्योंकि कई निवेशकों ने बाजार के ऊंचे स्तरों पर अधिक निवेश किया है। रिपोर्ट में कहा गया कि पिछले 12 महीने के पिछले रिटर्न कमजोर हो रहे हैं और 3 और 6 महीने के रिटर्न अब घाटे में चले गए हैं।
वित्त वर्ष 2025 के पहले नौ महीनों में म्युचुअल फंडों से करीब 18 फीसदी नए निवेशक जुड़े। एम्फी के मुख्य कार्याधिकारी वेंकट चलसानी ने जोर देकर कहा कि हम निवेशकों को उतार-चढ़ाव के दौरान निवेशित रहने के महत्त्व के बारे में जागरूक करना जारी रखेंगे। साथ ही धन सृजन के लिए अनुशासित, दीर्घकालिक दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
हालांकि, उद्योग जगत की कई कंपनियां एसआईपी बंद होने की बढ़ती संख्या को अभी कोई बड़ी चिंता नहीं मानती हैं। मॉर्निंगस्टार में फंड रिसर्च के निदेशक कौस्तुभ बेलापुरकर ने बताया कि एसआईपी अक्सर एक खास अवधि के लिए शुरू की जाती हैं और निवेशक बाद में अपने निवेश को दूसरे फंड में स्थानांतरित कर सकते हैं। पिछले एक साल में शुद्ध एसआईपी संख्या सकारात्मक रही है।
बेलापुरकर ने कहा कि एसआईपी बाजार में अनुशासित सहभागिता के लिए बेहतरीन साधन बना हुआ है, जिससे निवेशकों को जोखिम-प्रतिफल का उतार-चढ़ाव समझते हुए बाजार में खरीद-बिक्री की सुविधा मिलती है। बिकवाली के बावजूद इक्विटी योजनाओं ने जनवरी में 39,688 करोड़ का शुद्ध निवेश हासिल किया जिससे दीर्घकालिक निवेश रणनीति के लचीलेपन का पता चलता है।