मांग में जोरदार बढ़ोतरी का भारी असर सिल्वर एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों (ईटीएफ) पर पड़ा है। गुरुवार को ये ईटीएफ अपने सांकेतिक शुद्ध परिसंपत्ति मूल्यों (आईएनएवी) से काफी ज्यादा प्रीमियम पर कारोबार कर रहे थे क्योंकि फंड मांग जितनी आपूर्ति न होने की समस्या से जूझ रहे थे। इसका एक कारण यह भी था कि ईटीएफ की अंतर्निहित परिसंपत्ति यानी चांदी सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंच गई थी।
इस श्रेणी में सबसे बड़ा निप्पॉन इंडिया का सिल्वर ईटीएफ गुरुवार को 156 रुपये पर बंद हुआ, जो उसके 148.3 रुपये के सांकेतिक एनएवी से 5.5 फीसदी अधिक है। एचडीएफसी, टाटा और यूटीआई फंडों के ईटीएफ के मामले में प्रीमियम 10 फीसदी या उससे ज्यादा रहा।
म्युचुअल फंडों के अधिकारियों के अनुसार नए यूनिट बनाने में चुनौतियां थीं क्योंकि इसके लिए भौतिक चांदी का समर्थन होना जरूरी है जिसकी वैश्विक मांग में तेज वृद्धि के बीच आपूर्ति की समस्याएं आ रही हैं। उन्होंने कहा कि चांदी का आकार और वजन उतनी ही कीमत के सोने से कहीं ज्यादा होने के कारण तुरंत इसे जुटाना मुश्किल हो जाता है।
एसबीआई म्युचुअल फंड के डिप्टी एमडी और संयुक्त सीईओ डीपी सिंह ने कहा, नई यूनिट बनाने के लिए हमें अपने पास भौतिक चांदी की जरूरत होती है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आपूर्ति कम होने के कारण हम चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। विकल्प तलाशे जा रहे हैं और यह समस्या जल्द ही सुलझ जानी चाहिए।
पिछले छह महीनों में सोने के साथ-साथ चांदी की कीमतों में भी भारी उछाल आई है। निवेश और औद्योगिक मांग के कारण पिछले छह महीनों में घरेलू बाजार में इस धातु की कीमतों में 60 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
निप्पॉन इंडिया म्युचुअल फंड के जिंस प्रमुख और फंड मैनेजर विक्रम धवन ने कहा, वैश्विक चांदी बाजार वास्तविक मांग-आपूर्ति की किल्लत से गुजर रहा है। यह स्थिति लगातार पांचवें साल भी जारी है। भारत में त्योहारों के दौरान जोरदार खरीदारी और स्टॉक जमा होने से स्थिति और बिगड़ गई है। भौतिक बाजार में और भी तंगी पैदा हो गई है। उन्होंने कहा, यह प्रीमियम घरेलू सिल्वर ईटीएफ में भी दिखाई दे रहा है जो पूरी तरह से ठोस चांदी से समर्थित होते हैं। एक्सचेंजों में प्रीमियम भाव सावधानी की जरूरत बता रहे हैं।
चॉइस वेल्थ के सहायक उपाध्यक्ष अक्षत गर्ग ने कहा, निवेशकों को सावधानी अपनाने की जरूरत है। भारी प्रीमियम पर ईटीएफ खरीदने का मतलब है कि आप सिर्फ अतिशयता के लिए अतिरिक्त भुगतान कर रहे हैं। अगर धारणा कमजोर पड़ती है और प्रीमियम घट जाता है तो नुकसान हो सकता है, भले ही चांदी की कीमतें स्थिर रहें।