वित्त वर्ष 2024-25 (FY25) में सक्रिय इक्विटी म्यूचुअल फंड (MF) प्लान्स ने रिकॉर्ड निवेश हासिल किया, जो पिछले साल की तुलना में दोगुना से अधिक रहा। साल के पहले छमाही में शेयर बाजार की तेजी के बीच फंड हाउस ने जमकर फायदा उठाया। मौजूदा योजनाओं में भारी निवेश के साथ-साथ, नई योजनाओं ने FY25 में इक्विटी म्यूचुअल फंड के खजाने में 85,000 करोड़ रुपये और जोड़े। पिछले साल 70 सक्रिय इक्विटी प्लान्स लॉन्च की गईं, जिनमें से ज्यादातर सेक्टोरल और थीमैटिक सेक्टर में थी। फंड हाउस ने थीमैटिक फंड्स की संख्या बढ़ाने के लिए पैसिव रणनीति भी अपनाई। FY25 में पैसिव पक्ष में 145 नए प्लान्स शुरू हुए, जिससे कुल फंड्स की संख्या 614 हो गई।
अक्टूबर के आसपास बाजार की उतार-चढ़ाव से एकमुश्त निवेश भी प्रभावित हुआ और नई फंड पेशकशों (NFOs) में कमी आई। हालांकि, सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान्स (SIPs) के जरिए निवेश का प्रवाह बिना किसी रुकावट के जारी रहा।
मासिक SIP निवेश, जो साल की शुरुआत में लगभग 20,000 करोड़ रुपये था, दिसंबर 2024 तक बढ़कर 26,460 करोड़ रुपये हो गया। पिछले कुछ महीनों में यह 26,000 करोड़ रुपये के आसपास स्थिर रहा, भले ही बाजार में सुधार ने ज्यादातर इक्विटी योजनाओं के निकट अवधि के SIP रिटर्न को प्रभावित किया।
वैल्यू रिसर्च के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) धीरेंद्र कुमार ने कहा, “घरेलू निवेशक रिकॉर्ड SIP निवेश म्यूचुअल फंड्स में कर रहे हैं, जो अनुशासित और लंबी अवधि के बाजार भागीदारी की ओर एक निर्णायक बदलाव को दर्शाता है। यह उछाल बढ़ती वित्तीय साक्षरता और भारत की विकास गाथा में अटूट विश्वास को दिखाता है।”
कुमार ने आगे कहा, “बाजार की अस्थिरता भी SIP निवेशकों के विशाल आधार को डिगा नहीं सकी, जो उनकी मजबूती और प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।”
म्यूचुअल फंड्स की प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां (AUM) FY25 में 23 प्रतिशत बढ़कर 65.7 लाख करोड़ रुपये हो गईं। यह बढ़ोतरी इक्विटी, डेट, हाइब्रिड और कमोडिटी सेगमेंट्स से आई। पैसिव फंड्स में, जिसमें डेट, गोल्ड और सिल्वर फंड्स शामिल हैं, 1.4 लाख करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश हुआ। डेट फंड्स ने भी 1.4 लाख करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश जोड़ा। हाइब्रिड फंड्स, विशेष रूप से मल्टी-एसेट फंड्स की अगुआई में, 1.2 लाख करोड़ रुपये का निवेश मिला।
एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया के मुख्य कार्यकारी वेंकट चालासानी ने कहा, “बाजार की अस्थिरता और अमेरिकी टैरिफ बदलावों से उत्पन्न वैश्विक नीतिगत अनिश्चितताओं के बावजूद उद्योग ने लचीलापन और बढ़ोतरी दिखाई है। मार्च तक, हमने फोलियो संख्या में 31.85 प्रतिशत की साल-दर-साल बढ़ोतरी और AUM में 23 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी है।”
उन्होंने कहा, “औसत मासिक SIP योगदान 24,113 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो पिछले वित्त वर्ष में देखे गए 16,602 करोड़ रुपये से उल्लेखनीय बढ़ोतरी है।”