Debt-plus-arbitrage FoF: यूटीआई इनकम प्लस आर्बिट्राज एक्टिव फंड ऑफ फंड (FoF) की नई फंड पेशकश (NFO) फिलहाल खुली हुई है। हाल के दिनों में कई एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMC) ने अपने पारंपरिक डेट फंड को डेट प्लस आर्बिट्राज स्ट्रैटेजी में बदला है। सरकार ने 1 अप्रैल 2023 से डेट फंड्स पर मिलने वाला इंडेक्सेशन बेनिफिट हटा लिया था। मिरे असेट शेयरखान में इनवेस्टमेंट सॉल्यूशंस और डिस्ट्रीब्यूशन के प्रमुख गौतम कालिया कहते हैं, “इससे डेट फंड्स में रिटेल निवेश घटा है। फंड हाउस इस समस्या को हल करने के लिए टैक्स एफिशिएंसी बेहतर बनाने वाले हाइब्रिड फॉर्मेट ला रहे हैं।”
ये फंड ऑफ फंड्स (FoFs) डेट और आर्बिट्राज फंड्स के मिश्रण में निवेश करते हैं। यूटीआई एसेट मैनेजमेंट कंपनी में फिक्स्ड इनकम के प्रमुख अनुराग मित्तल कहते हैं, “इनका आवंटन ऐसे डेट फंड में किया जाएगा जिसकी क्रेडिट क्वालिटी अच्छी हो और ड्यूरेशन मध्यम हो। बाकी पोर्टफोलियो आर्बिट्राज में रहेगा। चूंकि यह पूरी तरह से हेज्ड इक्विटी पोर्टफोलियो होगा इसलिए अगले दो वर्षों में इसका रिटर्न अपेक्षाकृत स्थिर रहने की संभावना है।”
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ये फंड्स पारंपरिक डेट फंड्स की तुलना में टैक्स में लाभ देते हैं। कॉरपोरेट ट्रेनर और लेखक जॉयदीप सेन कहते हैं, “प्योर डेट फंड्स की तरह स्लैब रेट पर टैक्स नहीं लगता बल्कि यहां निवेशकों को दो साल की होल्डिंग के बाद सिर्फ 12.5% टैक्स देना होता है। साथ ही जब तक पोर्टफोलियो में अनहेज्ड इक्विटी एक्सपोजर न हो इन फंड्स में जोखिम का स्तर भी ज्यादा नहीं बदलता।”
फंड मैनेजर अपनी स्ट्रैटेजी में बदलाव कर सकता है। मित्तल कहते हैं, “फंड मैनेजरों (FMs) को ब्याज दर चक्र (interest-rate cycle) के अनुसार स्ट्रैटेजी बदलने की सुविधा होती है। अगर ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद हो तो फंड मैनेजर हाई ड्यूरेशन वाले विकल्पों में शिफ्ट कर सकता है। वहीं, अगर ब्याज दरें पहले से कम हैं और बढ़ने की संभावना है तो फंड मैनेजर ड्यूरेशन घटा सकता है।”
15 साल की अवधि में, क्रिसिल शॉर्ट ड्यूरेशन A2 इंडेक्स ने औसतन दो साल की रोलिंग रिटर्न के तौर पर 7.7% रिटर्न दिया जबकि निफ्टी 50 आर्बिट्राज इंडेक्स ने 6.2% का रिटर्न दिया। मित्तल कहते हैं, “अगर पोर्टफोलियो का 64% हिस्सा डेट और 36% हिस्सा आर्बिट्राज में हो तो शॉर्ट ड्यूरेशन प्लस आर्बिट्राज इंडेक्स का औसत रिटर्न 7.2% बनता है। 12.5% टैक्स लागू करने के बाद यह रिटर्न 6.3% होता है। यह आंकड़े ऐतिहासिक सिमुलेशन पर आधारित हैं।”
आर्बिट्राज फंड आमतौर पर लिक्विड फंड के रिटर्न को ट्रैक करते हैं जबकि डेट फंड्स का प्रदर्शन ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव पर निर्भर करता है। मित्तल कहते हैं, “हाई टैक्स ब्रैकेट में आने वाले निवेशकों के लिए यह फंड टैक्स कटौती के बाद प्योर फिक्स्ड इनकम स्ट्रैटेजी की तुलना में बेहतर रिटर्न दे सकता है।”
सेन कहते हैं कि आर्बिट्राज फंड आमतौर पर अस्थिर और बिना स्पष्ट दिशा वाले बाजार में अच्छा प्रदर्शन करते हैं जबकि डेट फंड तब बेहतर करते हैं जब उन्हें एक्रुअल गेन के अलावा मार्क-टू-मार्केट फायदा भी मिले।
इन फंड्स का प्रदर्शन कुछ परिस्थितियों में कमजोर भी हो सकता है। मनीएडुस्कूल के फाउंडर अर्नव पंड्या कहते हैं, “जब ब्याज दरें बढ़ रही हों तब फंड का डेट पोर्शन थोड़े समय के लिए निगेटिव रिटर्न दे सकता है।”
क्रेडिट क्वालिटी भी अहम है। कालिया कहते हैं, “अगर फंड मैनेजर लोअर ग्रेड के पेपर्स में निवेश करता है तो फंड में क्रेडिट रिस्क बढ़ जाता है।” स्थिर बाजारों में आर्बिट्राज के अवसर कम हो जाते हैं। कालिया कहते हैं, “जब स्प्रेड कम होते हैं तब आर्बिट्राज फंड्स का रिटर्न 4% तक गिर सकता है। ट्रेडिंग के दौरान देरी, गलती या सिस्टम फेल्योर का जोखिम हमेशा बना रहता है।”
इस फंड में रिडेम्पशन का समय थोड़ा लंबा होगा। मित्तल कहते हैं, “एक सामान्य डेट फंड का रिडेम्पशन साइकल T+1 होता है। लेकिन चूंकि इसमें आर्बिट्राज का तत्व भी शामिल है। इसलिए इसकी रिडेम्पशन साइकल फंड की स्ट्रैटेजी पर निर्भर करते हुए T+2 या T+3 हो सकती है।” पंड्या चेतावनी देते हैं कि फंड ऑफ फंड (FoF) स्ट्रक्चर के कारण रिटर्न थोड़ा कम हो सकता है।