बैंकिंग और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) शेयरों के प्रदर्शन का डाइवर्सिफाइड म्युचुअल फंड (एमएफ) पोर्टफोलियो पर व्यापक असर प्रभाव पड़ा है। पिछले दो महीनों के दौरान इन क्षेत्रों का लगातार भार बढ़ा है और कई डाइवर्सिफाइड फंडों के पोर्टफोलियो के कुल निवेश आवंटन में इनका योगदान करीब 30 फीसदी पर पहुंच गया है। यह बदलाव इन क्षेत्रों के मजबूत प्रदर्शन और इनमें नए निवेश को बताता है। अक्टूबर-नवंबर की अवधि में निफ्टी 50 में 6.5 प्रतिशत की गिरावट की तुलना में निफ्टी आईटी सूचकांक 2.9 प्रतिशत बढ़ा जबकि निफ्टी बैंक सूचकांक में 1.7 प्रतिशत की गिरावट आई।
ऐक्सिस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, भारतीय स्टेट बैंक और टीसीएस जैसे शेयर म्युचुअल फंडों के पसंदीदा शेयरों में रहे हैं। अपने साल के अंत के अनुमानों में अधिकांश फंडों और ब्रोकरेज ने दोनों क्षेत्रों पर सकारात्मक नजरिया साझा किया है। जहां वे बैंक शेयरों में वैल्यूएशन को सहज मानते हैं, वहीं आईटी शेयरों पर तेजी का रुख सुधार की उम्मीदों के कारण है।
टाटा म्युचुअल फंड ने कहा, ‘निफ्टी और बैंकों के लिए वृद्धि दर करीब एक जैसी है लेकिन मूल्यांकन विपरीत दिशा में बढ़ गए हैं। बैंकों का पीई अनुपात 10 साल के औसत से 15 गुना कम है। निफ्टी 50 के मुकाबले बैंकों का डिस्काउंट 35 प्रतिशत है जो 12 प्रतिशत डिस्काउंट के औसत का लगभग 3 गुना है। हम पीएसयू बैंकों के मुकाबले निजी बैंकों को लगातार प्राथमिकता दे रहे हैं क्योंकि दशकों से मूल्यांकन में अंतर कम है और लाभप्रदता बेहतर है। बैंकिंग क्षेत्र के लिए मूल्यांकन आकर्षक हैं। ’
शीर्ष 11 फंड हाउसों की प्रमुख इक्विटी योजनाओं के निवेश पैटर्न पर आधारित नुवामा अल्टरनेटिव ऐंड क्वांटीटेटिव रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार दो महीने की अवधि के दौरान बैंकिंग क्षेत्र के शेयरों का भार 15.7 प्रतिशत से बढ़कर 16.5 प्रतिशत हो गया। आईटी के मामले में औसत एक्सपोजर 11 प्रतिशत से बढ़कर 12 प्रतिशत हो गया।
हाल के महीनों में आईटी शेयरों के बेहतर प्रदर्शन की वजह अमेरिकी कंपनियों की सकारात्मक राय रही है। फंड हाउस भी उभरती प्रौद्योगिकियों पर बढ़ते आईटी खर्च से घरेलू कंपनियों को लाभ मिलने की उम्मीद जता रहे हैं।
आईटीआई म्युचुअल फंड ने कहा, ‘भारत का आईटी सेवा क्षेत्र लगातार वृद्धि की राह पर बढ़ने को तैयार है। इसकी वजह आर्टीफिशल इंटेलीजेंस (एआई), ब्लॉकचेन और साइबरसिक्योरिटी जैसी उभरते प्रौद्योगिकियों में निवेश बढ़ना है। क्लाउड सेवाओं की मांग भी निरंतर बनी रहने की उम्मीद है जिससे भारत प्रौद्योगिकी तंत्र में एक महत्वपूर्ण वैश्विक दिग्गज के रूप में स्थापित होगा। जेनरेटिव एआई का उदय एक प्रमुख विकास चालक साबित हो सकता है। इसकी मांग 2022 और 2027 के बीच 15 गुना बढ़ने का अनुमान है जिससे भारतीय प्रौद्योगिकी कंपनियों के लिए महत्वपूर्ण अवसर पैदा होंगे।’
साथ ही विश्लेषकों का कहना है कि वैश्विक अनिश्चितताओं और घरेलू अर्थव्यवस्था में मंदी के दौरान आने वाले महीनों में बाजार दबाव में रह सकता है जिससे 2025 में फंड प्रबंधकों के लिए क्षेत्रों और शेयरों के चयन पर ज्यादा ध्यान देना जरूरी हो जाएगा।