facebookmetapixel
अमर सुब्रमण्य बने Apple AI के वाइस प्रेसिडेंट, जॉन जियानएं​ड्रिया की लेंगे जगहमारुति सुजूकी ने देशभर में 2,000 से अधिक ईवी चार्जिंग पॉइंट स्थापित कर इलेक्ट्रिक वाहन नेटवर्क किया मजबूतNLCAT ने व्हाट्सऐप और मेटा के डेटा-शेयरिंग मामले में स्पष्टीकरण याचिका पर सुनवाई पूरी कीरुपया 90 के करीब पहुंचा: RBI की दखल से मामूली सुधार, एशिया में सबसे कमजोर मुद्रा बनासुप्रीम कोर्ट फरवरी में करेगा RIL और उसके साझेदारों के कृष्णा-गोदावरी D6 गैस विवाद पर अंतिम सुनवाईसूरत संयंत्र में सुची सेमीकॉन ने शुरू की QFN और पावर सेमीकंडक्टर चिप पैकेजिंगपुतिन की भारत यात्रा: व्यापार असंतुलन, रक्षा सहयोग और श्रमिक गतिशीलता पर होगी अहम चर्चाविमानन सुरक्षा उल्लंघन: DGCA जांच में एयर इंडिया के अधिकारियों को डी-रोस्टर किया गया‘संचार साथी’ पर सरकार का नया स्पष्टीकरण: ऐप हटाने की आजादी, निगरानी न होने का दावाभारत निश्चित रूप से हमारा सरताज है, युवा डिजिटल आबादी ने बढ़ाया आकर्षण: एसबी शेखर

IPO से कंपनियों ने जुटाए ₹1.82 लाख करोड़, जानें कहां गई ये भारी-भरकम रकम

नए शेयर जारी कर जुटाई गई रकम का इस्तेमाल कंपनियां मुख्य रूप से मौजूदा ऋण चुकाने के लिए कर रही हैं

Last Updated- December 02, 2025 | 10:48 PM IST
IPO

अप्रैल और अक्टूबर 2025 के बीच बाजार नियामक के पास 200 से अधिक फाइलिंग पर बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, नए शेयर जारी कर जुटाई गई रकम का इस्तेमाल कंपनियां मुख्य रूप से मौजूदा ऋण चुकाने के लिए कर रही हैं। इसके बाद पूंजीगत व्यय के लिए आवंटन किया जाता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) को दी गई इन जानकारियों में से वित्त वर्ष 2026 में पहले ही जुटाई जा चुकी धनराशि और भविष्य की मंशा दोनों को शामिल करते हुए 189 कंपनियों ने रकम जुटाने के मकसद के बारे में स्पष्ट आंकड़े उपलब्ध कराए हैं। रिपोर्ट में निर्गम के मकसद का पता लगाने के लिए कंपनी रजिस्ट्रार के पास जमा कराए गए पेशकश का मसौदा और ​आईपीओ विवरणिका का भी अध्ययन किया गया है।

रिपोर्ट में पाया गया कि कुछ कंपनियों ने फंड के निवेश की जानकारी नहीं दी, क्योंकि आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ)/अनुवर्ती सार्वजनिक निर्गम (एफपीओ) दाखिल करते समय निर्गम राशि का पता नहीं था। इसी कारण से बैंक ऑफ बड़ौदा ने कई कंपनियों को अध्ययन से बाहर रखा। कुछ कंपनियों ने फंड के मकसद की जानकारी तो दी, लेकिन पूरी जानकारी नहीं दी, इसलिए उन्हें भी बाहर रखा गया। कई कंपनियां ऐसी हैं, वे या तो आईपीओ के लिए आवेदन नहीं कर पाई हैं या प्रक्रिया में हैं।

रकम की तैनाती

189 आईपीओ से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रस्तावित कुल राशि 1.82 ट्रिलियन रुपये है, जिसमें 1.20 ट्रिलियन रुपये नए शेयर से तथा 62,000 करोड़ रुपये बिक्री प्रस्ताव (ओएफएस) घटक से जुटाए जाएंगे।

रिपोर्ट में कहा गया है, यह (ओएफएस राशि) महत्वपूर्ण है, क्योंकि जब मौजूदा शेयरधारक अपनी हिस्सेदारी बेचते हैं तो यह उनके खातों में लाभ के रूप में जा सकता है और इसलिए यह कंपनी को अपनी कारोबारी योजनाओं को पूरा करने के लिए नहीं मिलेगा।

नए शेयर के जरिये जुटाए गए 1.2 लाख करोड़ रुपये में से सबसे बड़ा हिस्सा 29 प्रतिशत यानी 34,441 करोड़ रुपये कर्ज चुकाने में इस्तेमाल किया जा रहा है। बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, यह डीलिवरेजिंग प्रक्रिया का हिस्सा है, जिसमें कंपनियां बाजार से धन जुटाती हैं, जिसका इस्तेमाल कर्ज चुकाने में किया जाता है। सबनवीस ने कहा कि फंड के उपयोग में पूंजीगत व्यय का हिस्सा एक चौथाई से थोड़ा अधिक है और यह देश में समग्र निवेश से जुड़ जाएगा, जिसे पूंजी निर्माण के तहत वर्गीकृत किया जाता है।

कार्यशील पूंजी, ब्रांडिंग और पट्टा भुगतान जैसे अन्य घटकों का योगदान करीब 12 फीसदी है, जबकि अन्य तिमाही का खुलासा कंपनियों द्वारा नहीं किया गया है। इक्विरस कैपिटल के प्रबंध निदेशक और निवेश बैंकिंग प्रमुख भावेश शाह ने कहा कि नई पीढ़ी और डिजिटल अर्थव्यवस्था के आईपीओ के लिए निवेशकों की मजबूत रुचि बनी रहेगी। उन्हें उम्मीद है कि 2026 तक प्राथमिक बाजार के जरिये पूंजी जुटाने का आंकड़ा 20 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा।

शाह ने कहा, बड़े आकार के आईपीओ नए मानक स्थापित कर रहे हैं और बाजार में तरलता बढ़ा रहे हैं। इसके अलावा, टियर-2 और टियर-3 शहरों से बढ़ते आईपीओ के कारण पूंजी बाजार का लोकतंत्रीकरण भी 2026 में प्राथमिक बाजार को उछाल भरा बनाए रखेगा।

First Published - December 2, 2025 | 10:22 PM IST

संबंधित पोस्ट