बंधन ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) के इक्विटी प्रमुख मनीष गुनवानी का कहना है कि अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल और डॉलर में मजबूती के रूप में इक्विटी बाजार को दो बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।
अभिषेक कुमार के साथ इंटरव्यू में गुनवानी ने कहा कि जब तक इक्विटी के लिए इन दो मोर्चों पर राह आसान नहीं होगी, दबाव रह सकता है। उनसे बातचीत:
क्या मजबूत तेजी के बाद बाजार में नरमी का दौर आ सकता है?
बाजार के लिए कई वैश्विक समस्याएं बरकरार हैं। इस समय दो बेहद प्रमुख चुनौतियां हैं, अमेरिका में ऊंचा बॉन्ड प्रतिफल और डॉलर में तेजी। दोनों का ही आपस में संबंध है। जब तक बॉन्ड प्रतिफल नीचे नहीं आएगा या अमेरिकी डॉलर कमजोर नहीं होगा, इसकी मजबूत संभावना नहीं है कि इक्विटी बाजार वैश्विक तौर पर ऊंचा प्रतिफल देने में सक्षम होंगे। भारत के लिहाज से भी यह सही है।
मौजूदा समय में बाजार के लिए जोखिम मुख्य तौर पर वैश्विक परिदृश्य से है। आप इनसे कैसे निजात पाएंगे?
एक फंड हाउस के तौर पर हमारी अधिकांश ओवरवेट पोजीशन घरेलू अर्थव्यवस्था पर निर्भर क्षेत्रों में है क्योंकि हमें लगता है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था अगली कुछ तिमाहियों के लिए कठिन दौर में रह सकती है।
क्या दूसरी तिमाही के नतीजे अनुमान के अनुरूप रहे हैं? अर्थव्यवस्था व कंपनियों के बारे में आप क्या कहेंगे?
तिमाही नतीजे अब तक मिले-जुले रहे हैं। आईटी और उपभोक्ता क्षेत्र कमजोर दिख रहे हैं जबकि वित्त में मजबूती आई है। खपत की बात की जाए तो यह एक मजबूत सेगमेंट है, लेकिन तेज खपत का अभाव है, भले ही कुछ सेगमेंटों में बड़ा सुधार दिखा है। पूंजीगत खर्च संबंधित कंपनियों (खासकर विद्युत क्षेत्र से संबंधित) ने शानदार प्रदर्शन किया है।
क्या आईटी शेयरों में दबाव बने रहने की आशंका है?
आईटी शेयर मुख्य तौर पर वैश्विक अर्थव्यवस्था के हालात बयां करते हैं और इसलिए हमें आगामी राह चुनौतीपूर्ण रहने का अनुमान है। हमारा मानना है कि आईटी शेयरों को कुछ और समय तक कठिनाइयों से जूझना पड़ सकता है।
सेक्टर की बात करें तो आप कहां अवसर देख रहे हैं? क्या आप किसी सेक्टर पर नकारात्मक रुख अपना रहे हैं?
हमारा मानना है कि वित्त, वाहन और उद्योग जैसे घरेलू क्षेत्रों में खास शेयर ज्यादा आकर्षक हो सकते हैं। फार्मास्युटिकल भी दिलचस्प दिख रहा है। हमें लगता है कि आईटी, रसायन और उपभोक्ता आधारित क्षेत्र पहले जैसा प्रदर्शन नहीं कर सकते हैं।