पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवाओं (PMS) के लिए प्रदर्शन बेंचमार्किंग मानकों के क्रियान्वयन में एक महीने से भी कम का वक्त रह गया है, और इस बदलावों के लिए पूरी तरह तैयार नहीं दिख रहे उद्योग ने पूंजी बाजार नियामक से तीन महीने की और मोहलत मांगी है।
दिसंबर में जारी एक सर्कुलर में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने PMS उद्योग को 1 अप्रैल से प्रदर्शन बेंचमार्किग और श्रेणीकरण पर अमल करने का निर्देश दिया। इसका मकसद निवेशकों को म्युचुअल फंड उद्योग के साथ साथ सेवा प्रदाताओं के प्रदर्शन के आकलन तथा तुलना करने में सहूलियत प्रदान करना है।
हालांकि पोर्टफोलियो प्रबंधक कम से कम एक तिमाही तक का समय दिए जाने की मांग कर रहे हैं, जिससे कि वे मानकों का पालन करने के लिए पूरी तरह सक्षम हो जाएं। इस घटनाक्रम से अवगत लोगों का कहना है कि उद्योग संस्था, भारत में पोर्टफोलियो प्रबंधकों के संगठन (APMI) को यह समय-सीमा 1 जून तक बढ़ाए जाने के बारे में छोटे पोर्टफोलियो प्रबंधकों से अनुरोध प्राप्त हुए हैं।
प्रभुदास लीलाधर पीएमएस के मुख्य अधिकारी एवं प्रमुख नुपुर पटेलने कहा, ‘रिस्क-रिवार्ड प्रोफाइल के आधार पर, पोर्टफोलियो को जरूरत-केंद्रित सॉल्युशन बनाया जा सकता है। इनका सीमित शेयरों में जरूरत के आधार पर निवेश हो सकता है। बेंचमार्किंग व्यवस्था पेश किए जाने पर उद्योग को पुर्नसंतुलन कायम करने के लिए समय की जरूरत होगी।’
बाजार नियामक सेबी ने इक्विटी, डेट, हाइब्रिड, और मल्टी-ऐसेट के तौर पर श्रेणीबद्ध प्रत्येक रणनीति के लिए अधिकतम तीन बेंचमार्क तय करने की जिम्मेदारी APMI को सौंपी है।
कुछ छोटे PMS प्रबंधकों का कहना है कि उन्हें मौजूदा बेंचमार्क के बारे में सूचित किए जाने के बाद कुछ बदलाव करने के लिए एक महीने के समय की जरूरत होगी। हालांकि APMI के साथ अभी किसी बेंचमार्क को साझा नहीं किया गया है, लेकिन विभिन्न कंपनियों के साथ लगातार परामर्श किया जा रहा है।