अगस्त में होने वाली पुनर्संतुलन कवायद में एमएससीआई इंडिया इंडेक्स (MSCI India Index) में इंडसइंड बैंक को फिर से शामिल किया जा सकता है क्योंकि इसमें विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के निवेश के लिए काफी गुंजाइश बनी है। अगर इसे शामिल किया जाता है तो यह निजी क्षेत्र के बैंक के शेयर कीमतों में मजबूती लाएगा क्योंकि इसके परिणामस्वरूप करीब 2,500 करोड़ रुपये का निवेश इंडसइंड बैंक में आएगा।
इंडसइंड बैंक में विदेशी निवेश की गुंजाइश दिसंबर 2020 में महज 1.2 फीसदी थी, जो मार्च 2023 में बढ़कर 14.5 फीसदी पर पहुंच गई है।
पेरिस्कोप एनालिटिक्स (Periscope Analytics) के विश्लेषक ब्रायन फ्रिएटस ने कहा, जून के आखिर तक विदेशी निवेश की गुंजाइस बढ़कर 15 फीसदी पहुंचने से इंडसइंड बैंक को अगस्त में होने वाली तिमाही समीक्षा बैठक में एमएससीआई इंडिया इंडेक्स में शामिल किया जा सकता है। अगर इसे शामिल किया जाता है तो 0.5 फीसदी का लिमिटेड इन्वेस्टिबिलिटी फैक्टर इस शेयर पर लागू होगा और पैसिव खरीद रोजाना औसत वॉल्यूम का 6 गुना होगा और डिलिवरी वॉल्यूम का 15 गुना।
उन्होंने कहा, FPI के निवेश की गुंजाइश इच्छित 15 फीसदी की सीमा पर पहुंचने के लिए 18.7 लाख शेयरों की शुद्ध विदेशी बिकवाली की दरकार होगी।
अगर विदेशी निवेश की गुंजाइस 15 फीसदी से 25 फीसदी के बीच हो तो एमएससीआई 0.5 फीसदी (आंशिक रूप से शामिल करना) का लिमिटेड इन्वेस्टिबिलिटी फैक्टर (एलआईएफ) लागू करता है। अगर विदेशी निवेश की गुंजाइश 25 फीसदी से ज्यादा हो तो एलआईएफ 1 फीसदी (पूरी तरह शामिल करना) होता है।
इंडसइंड बैंक को फरवरी 2012 की तिमाही समीक्षा में एमएससीआई इंडिया इंडेक्स से बाहर निकाला गया था, जब विदेशी निवेश की गुंजाइश घटी थी।
कोविड के दौरान मार्च 2020 में हुई बिकवाली में इंडसइंड बैंक का शेयर काफी टूटा था। यह शेयर अभी महामारी पूर्व स्तर से आधे पर है।
पिछले दो साल में इंडसइंड बैंक ने आईसीआईसीआई बैंक व ऐक्सिस बैंक के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन किया है। इसके परिणामस्वरूप इंडसइंड बैंक निजी क्षेत्र के अन्य बैंकों के मुकाबले सस्ता है।