भारतीय बाजारों ने वैश्विक बाजारों के मुकाबले लगातार दूसरे साल बेहतर प्रदर्शन किया है। महामारी के बाद की रिकवरी को आगे बढ़ाते हुए बेंचमार्क निफ्टी वित्त वर्ष 22 में 19 फीसदी चढ़ा। इसकी तुलना में एमएससीआई इमर्जिंग मार्केट 13 फीसदी फिसल गया जबकि एमएससीआई वल्र्ड में 10 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई। इक्विटी ने सोने के मुकाबले भी बेहतर प्रदर्शन किया, जिसमें 13 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। हालांकि पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले बढ़त कम रही क्योंंकि तब शेयर बाजार में 70 फीसदी की उछाल दर्ज हुई थी, जिसकी वजह कोविड-19 के निचले स्तर से आई तेज रिकवरी थी।
महामारी के बाद प्रोत्साहन से जुड़े कदम और कम ब्याज दर से निफ्टी में 26 फीसदी तक की बढ़ोतरी दर्ज हुई और यह अक्टूबर 2021 में नए उच्चस्तर पर पहुंच गया था। हालांकि महंगाई के दबाव से प्रोत्साहन पैकेज की वापसी के कारण हाल के महीनों में कुछ बढ़त जाती रही और इस दौरान उतारचढ़ाव भी ज्यादा रहा।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के खुदरा शोध प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने कहा, देसी इक्विटी में वित्त वर्ष 22 के दौरान काफी घट-बढ़ रही, जिस पर वैश्विक व देसी कारकों का असर रहा। सकारात्मक चीजें मसलन अर्थव्यवस्था का दोबारा खुलना, बेहतर आर्थिक आंकड़े और मजबूत कॉरपोरेट आय ने निफ्टी को अक्टूबर 2021 में 18,604 की नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया। हालांकि महंगाई को लेकर चिंता, केंद्रीय बैंकों की तरफ से मौद्रिक नीति पर सख्ती, अनिश्चित भूराजनीतिक माहौल (रूस-यूक्रेन के कारण) और जिंसों की कीमतोंं में उतारचढ़ाव ने बाजार की बढ़त को नियंत्रण में रखा।
वित्त वर्ष 22 में दर्ज हुई बढ़ोतरी एफपीआई की तीव्र निकासी के बावजूद देखने को मिली। वित्त वर्ष 21 में रिकॉर्ड 2.7 लाख करोड़ रुपये निवेश करने के बाद विदेशी निवेशकों ने देसी शेयरों से 1.44 लाख करोड़ रुपये निकाले। ज्यादातर बिकवाली अक्टूबर के बाद से हुई। इसके बावजूद बाजार अपने सर्वोच्च स्तर से महज छह फीसदी की नीचे आया, जिसकी वजह देसी निवेशकों व देसी म्युचुअल फंडों की खरीदारी रही। एमएफ ने वित्त वर्ष 22 के दौरान 1.74 लाख करोड़ रुपये झोंके, जिसकी वजह इक्विटी योजनाओं में लगातार निवेश रही।
स्वतंत्र बाजार विश्लेषक अंबरीश बालिगा ने कहा, वित्त वर्ष 22 में बाजार को खुदरा निवेशकों की खरीदारी ने सहारा दिया और इसी वजह से बाजार टिका रहा। अन्य वर्षों में जब एफपीआई आक्रामकता से बिकवाली करते थे तब बाजारों में बड़ी गिरावट आती थी।
धातु व एनर्जी ने आईटी के साथ बेहतर प्रदर्शन किया, वहीं उपभोक्ता सामान, वाहन और वित्तीय क्षेत्र का प्रदर्शन कमजोर रहा। साथ ही मिडकैप व स्मॉलकैप ने लगातार दूसरे साल उम्दा प्रदर्शन किया।
विशेषज्ञों ने कहा, वित्त वर्ष 23 में कई अवरोधों के कारण रिटर्न कम हो सकता है। एमके ग्लोबल ने एक नोट में कहा है, उसे लगता है कि वित्त वर्ष 23 में निफ्टी 10 फीसदी बढ़ेगा और कंपनियों की आय 20 फीसदी बढ़ेगी। कच्चे तेल व अन्य जिंसों की कीमतों में बढ़ोतरी के अलावा नीतिगत सख्ती अगले 12 महीनों की अहम चुनौतियां हैं।
ऐसे में वित्त वर्ष 23 में किन क्षेत्रों पर दांव लगाया जा सकता है? इक्विनॉमिक्स के संस्थापक जी चोकालिंगम ने कहा, एफएमसीजी पर फसल व तेल की महंगाई का असर पड़ेगा और सीमेंट भी इससे प्रभावित होगी। सुरक्षित दांव होगा दवा, आईटी और तेल व गैस। खुदरा निवेशकों के लगातार हो रहे प्रवेश से मिडकैप व स्मॉलकैप शेयरों में दिलचस्पी सुनिश्चित बनी रहेगी।
