भारतीय इक्विटी बाजार में पिछले दो वर्षों के दौरान मजबूत तेजी दर्ज की गई। एनएसई के निफ्टी-50 में अक्टूबर 2019 से 46.2 प्रतिशत तक की तेजी आई है जिससे इस अवधि के दौरान इक्विटी निवेशकों के लिए 21 प्रतिशत सालाना प्रतिफल का पता चलता है। प्रमुख बाजार का भी प्रदर्शन बेहतर रहा है। बीएसई पर सूचीबद्घ करीब 4,000 कंपनियों का संयुक्त बाजार पूंजीकरण इस अवधि के दौरान (अक्टूबर, 2019 से) 1.54 लाख करोड़ रुपये से 66 प्रतिशत बढ़कर गुरुवार को 2.56 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया। हालांकि क्षेत्रीय प्रदर्शन का विश्लेषण करें तो पता चलता है कि यह तेजी बहुत ज्यादा मजबूत नहीं रही है, जैसा कि प्रमुख आंकड़ों से संकेत मिलता है।
सिर्फ चार क्षेत्रीय सूचकांकों – धातु, आईटी, फार्मा और रियल्टी ने पिछले दो साल में प्रमुख सूचकांकों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया और कई क्षेत्रों सूचकांकों में बैंक, एनबीएफसी, एफएमसीजी, वाहन और तेल एवं गैस का प्रदर्शन कमजोर रहा। आंकड़ों से चढऩे वाले और गिरने वाले शेयरों के बीच बड़े अंतर का भी पता चलता है। धातु और खनन कंपनियों के शेयर सबसे ज्यादा चढ़े और निफ्टी मेटल इंडेक्स में पिछले दो साल में 130.5 प्रतिशत तक की तेजी आई है। इसके बाद निफ्टी आईटी सूचकांक अक्टूबर 2019 के बाद से 124 प्रतिशत तक चढ़ा है। इसलिए, शानदार प्रदर्शन करने वाले दो क्षेत्रों ने इस अवधि के दौरान बेंचमार्क सूचकांक के मुकाबले 3 गुना प्रतिफल दिया।
अच्छा प्रदर्शन करने वाले अन्य क्षेत्रों में निफ्टी फार्मा (82 प्रतिशत तक की तेजी) शामिल है जबकि निफ्टी रियल्टी सूचकांक में अक्टूबर 2019 से 55.2 प्रतिशत तक की तेजी आई है। धातु एवं खनन, सीमेंट, बिजली और तेल एवं गैस कंपनियों वाले निफ्टी जिंस सूचकांक ने भी शानदार प्रदर्शन किया और पिछले दो साल में इस सूचकांक में 65 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई, लेकिन यह काफी हद तक धातु और सीमेंट शेयरों में आई तेजी की वजह से संभव हुआ।
वहीं दूसरी तरफ, निफ्टी पीएसयू बैंक सूचकांक इस अवधि के दौरान 6.2 प्रतिशत नीचे आया है, जबकि बीएसई ऑयल एंड गैस इंडेक्स में महज 10.8 प्रतिशत (इस इंडेक्स में सबसे बड़़े घटक रिलायंस इंडस्ट्रीज में अच्छी तेजी के बावजूद) की तेजी आई। आरआईएल का शेयर पिछले दो साल में 67.2 प्रतिशत तक चढ़ा है, जबकि इस अवधि के दौरान उसका बाजार पूंजीकरण 74 प्रतिशत बढ़ा।
इस अवधि के दौरान कमजोरी दर्ज करने वालों में निफ्टी मीडिया भी शामिल रहा जिसमें 5 प्रतिशत की गिरावट आई। इसके बाद निफ्टी प्राइवेट बैंक में महज 14.6 प्रतिशत तक की तेजी आई, निफ्टी ऑटो में 19.7 प्रतिशत और निफ्टी बैंक में 22 प्रतिशत तक की तेजी आई। विश्लेषक क्षेत्रीय सूचकांकों के विपरीत प्रदर्शन के लिए तेजी में शेयर रोटेशन को जिम्मेदार मान रहे हैं। नारनोलिया सिक्योरिटीज के सीआईओ शैलेंद्र कुमार कहते हैं, ‘आईटी शेयरों (जिन्होंने लगातार इस अवधि में अच्छा प्रदर्शन किया) और बैंकों (जिनमें कमजोरी रही) को छोड़कर, कई क्षेत्रों ने 4-6 महीने की अवधि में बेहतर प्रदर्शन किया, और उन्होंने इस संदर्भ में अन्य क्षेत्रों की कंपनियों की जगह ली।’ हालांकि अन्य विश्लेषकों का कहना है कि पिछले दो वर्षों के दौरान तेजी, खासकर मार्च 2020 के बाद से, शेयर-केंद्रित रही है।
इक्विनोमिक्स रिसर्च ऐंड एडवायजरी सर्विसेज के संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक जी चोकालिंगम का कहना है, ‘ऐसे कई प्रमुख शेयर हैं जिन्होंने पिछले दो साल में बेहतर प्रदर्शन किया, भले ही उनके सेक्टर में कमजोरी दर्ज की गई हो।’