भारतीय शेयर बाजार को लेकर HSBC ने अपना रुख बदल दिया है। पहले जहां इसे ‘ओवरवेट’ यानी मजबूत माना गया था, अब इसे ‘न्यूट्रल’ कर दिया गया है। इसकी वजह ऊंची वैल्यूएशन और धीमी ग्रोथ माना जा रहा है। HSBC ने 2025 के अंत तक सेंसेक्स का नया टारगेट 85,990 तय किया है, जो पहले 90,520 था। हालांकि, मौजूदा स्तर (78,148.49) से यह अभी भी 10% की बढ़त दिखाता है।
HSBC के विशेषज्ञ हेराल्ड वान डेर लिंडे, प्रेरणा गर्ग, एडम क्यूई और वरुण पाई ने कहा, “भारतीय बाजार की ग्रोथ अच्छी है, लेकिन ऊंचे दाम (हाई वैल्यूएशन) और कमाई की रफ्तार थमने से अगले साल रिटर्न सीमित रह सकते हैं।”
भारतीय शेयर बाजार ने बीते कुछ सालों में शानदार तेजी दिखाई, लेकिन सितंबर 2024 के बाद से तस्वीर बदल गई। FTSE इंडिया इंडेक्स ने डॉलर के लिहाज से करीब 12% की गिरावट दर्ज की है। इस गिरावट के पीछे ग्लोबल हालात और घरेलू चुनौतियां जिम्मेदार हैं। ऊंचे दाम और धीमी आर्थिक बढ़त के उतार-चढ़ाव ने बाजार के जोश को ठंडा कर दिया है।
HSBC के मुताबिक, भारत एशिया की सबसे अच्छी ‘स्ट्रक्चरल स्टोरी’ है। युवा आबादी, बढ़ता कंज्यूमर बेस और इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश भारत को खास बनाते हैं। इसके अलावा, बढ़ती वैश्विक व्यापार हिस्सेदारी और मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार बाजार को स्थिरता देते हैं।
सरकारी खर्च (कैपेक्स) कमजोर रहा है, लेकिन अगर इसमें सुधार होता है तो मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को फायदा मिलेगा। वहीं, रिजर्व बैंक महंगाई के कारण पॉलिसी दरें नहीं घटा रहा, लेकिन 2025 में दो बार 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की उम्मीद जताई जा रही है।
सितंबर 2024 से विदेशी निवेशकों ने 12 अरब डॉलर निकाले हैं। लेकिन घरेलू निवेशकों की खरीदारी ने बाजार को सहारा दिया है। HSBC ने चीन, हांगकांग और दक्षिण कोरिया को लेकर पॉजिटिव रुख रखा है। चीन और हांगकांग को ‘ओवरवेट’ रेटिंग दी गई है। दूसरी तरफ, ताइवान, जापान और सिंगापुर को लेकर HSBC ने ‘अंडरवेट’ रेटिंग बरकरार रखी है।