Trump impact on Stock market: अमेरिकी चुनाव में शानदार जीत के बाद डोनल्ड ट्रंप (Donald Trump) एक बार फिर सत्ता पर काबिज होने के लिए तैयार हैं। ट्रंप 20 जनवरी, 2025 को अपने शपथ ग्रहण के साथ दूसरी बार अमेरिकी राष्ट्रपति की जिम्मेदारी संभालेंगे। उनके शपथ ग्रहण में कई बड़ी हस्तियां शामिल होंगी। हालांकि, ट्रंप के शपथ ग्रहण ने भारत जैसे इमर्जिंग शेयर बाजारों की चिंता बढ़ा दी है। हाई टेरिफ को लेकर ट्रंप के बयान से पहले ही निवेशक घबराये हुए हैं। ऐसे में ट्रंप 2.0 में ग्लोबल मार्केट कैसे रियेक्ट करेंगी इसे लेकर चारो तरफ असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
डोनल्ड ट्रम्प और उनकी टीम ने ग्लोबल मार्केट्स और अन्य देशों को यह अनुमान लगाने के लिए छोड़ दिया है उनकी सरकार नए टैरिफ किस तरह से लगाएगी। ट्रंप ने अपने चुनावी अभियान के दौरान इम्पोर्ट की जाने वाली सभी वस्तुओं पर 10 प्रतिशत से 20 प्रतिशत टैरिफ और चीनी सामानों पर 60 प्रतिशत तक टैरिफ लगाने का वादा किया था।
इतना ही नहीं। जीतने के बाद ट्रंप ने चीन से आने वाले सामानों पर 10 प्रतिशत और मेक्सिको तथा कनाडा से आने वाले सभी प्रोडक्ट्स पर 25 प्रतिशत एक्स्ट्रा टैरिफ लगाने की धमकी देकर एक बार फिर मार्केट को डरा दिया।
स्वस्तिक इन्वेस्टमार्ट के रिसर्च हेड संतोष मीणा ने कहा कि डोनल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह का ग्लोबल और भारतीय बाजारों पर प्रभाव पड़ने की संभावना है। जबकि ग्लोबल मार्केट कैसे रियेक्ट करेंगे, इस पर अनिश्चितता बनी हुई है। इसका मार्केट के कुछ सेक्टर्स पर प्रभाव पड़ने की भी उम्मीद है।
मीणा ने कहा कि अमेरिकी ट्रेड पॉलिसीज और टैरिफ में संभावित बदलावों के कारण मेटल सेक्टर में असर देखने को मिल सकता है। जबकि एच-1बी वीजा रिफॉर्म्स पर ट्रंप के हालिया रुख का भारतीय आईटी सेक्टर (IT Sector) पर प्रभाव पड़ सकता है। यदि सुधार अनुकूल रहे तो इससे भारतीय आईटी कंपनियों को फायदा हो सकता है।
उन्होंने कहा कि इस दौरान अमेरिकी डॉलर में किसी भी तरह की घटबढ़ भी महत्वपूर्ण होगा। मजबूत डॉलर से भारतीय रुपया कमजोर हो सकता है। इससे फार्मा सेक्टर को एक्सपोर्ट में फायदा हो सकता है।
छह नवम्बर को राष्ट्रपति चुनावों में डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की जीत की खबर से भारतीय शेयर बाजारों में शानदार तेजी आई थी। तब आईटी और फार्मा शेयरों में भारी खरीदारी हुई थी। देसी बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स और निफ्टी एक प्रतिशत से ज्यादा चढ़कर बंद हुए थे।
छह नवम्बर को तीस शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स 80,338 के स्तर पर बंद हुआ था। जबकि 9 जनवरी, 2025 को यह 77,682 पर बंद हुआ। इस लिहाज से ट्रंप के जीतने के बाद सेंसेक्स 2656 अंक गिर चुका है। हालांकि, इस गिरावट की वजह केवल ट्रंप नहीं है। बाजार में अन्य कई कारणों की वजह से भी गिरावट आई है।
VT मार्केट्स में ग्लोबल स्ट्रेटिजी ऑपरेशंस लीड रॉस मैक्सवेल ने कहा, ”ट्रंप 2.0 एशिया के आर्थिक आउटलुक को नया आकार दे सकता है। चीन, जापान, दक्षिण कोरिया और वियतनाम जैसे देशों को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। ये देश अमेरिकी के साथ व्यापार पर बहुत ज्यादा निर्भर हैं।”
उन्होंने कहा कि कम लागत का लाभ उठाने के लिए कंपनियां चीन से बाहर निकलेंगी। इससे भारत, वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे देशों को फायदा मिलेगा। अगर चीन के साथ अमेरिका की ट्रेड परेशानियां बनी रहती हैं, तो उभरते मेन्यूफेक्चरिंग केंद्र के रूप में भारत में तीव्र वृद्धि देखी जा सकती है।
मैक्सवेल के मुताबिक़, टेक्नोलॉजी सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ट्रंप की इमिग्रेशन पॉलिसी स्किलड लेबर (Skilled Labor) तक एशिया की पहुंच को प्रभावित कर सकती हैं। अमेरिक में सख्त इमिग्रेशन कानूनों का मतलब है कि ज्यादातर टेक्नीकल स्किल वर्कर्स एशिया में ही रहेंगे। इससे भारत, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया जैसे देशों को रीजनल इनोवेशन हब के रूप में उभरने में फायदा हो सकता है।
उन्होंने कहा कि इस बदलाव से छोटी ब्लॉक चेन कंपनियों समेत फिनटेक कंपनियों को भी फायदा मिलेगा। साथ ही उन्हें भी लाभ मिलेगा जो वीजा और अमेजन जैसी ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी में इन्वेस्ट कर रहे हैं।
ट्रंप के ट्रेड और टैरिफ वॉर की वजह से एशिया की अर्थव्यवस्थाओं को अस्थिरता का सामना करना पड़ सकता है। मगर टेक्नोलॉजी और डिफेंस जैसे कुछ सेक्टर्स फल-फूल सकते हैं। ऐसे में निवेशकों को टैरिफ और ग्लोबल ट्रेड से प्रभावित होने वाले सेक्टर्स से बचना चाहिए। निवेशक छोटे फिनटेक स्टार्टअप और बढ़ती क्रिप्टो मार्केट जैसे हाई रिवार्ड वाले अवसरों की ओर रुख कर सकते हैं।