facebookmetapixel
ब्रिटेन के PM कीर स्टार्मर 8-9 अक्टूबर को भारत दौरे पर आएंगे, बढ़ेगी भारत-UK रणनीतिक साझेदारीRenault लागत कम करने के लिए छंटनी करने की तैयारी में, 3,000 कर्मचारियों की नौकरी पर खतराExplainer: कौन हैं सनाए ताकाइची, जो जापान की पहली महिला प्रधानमंत्री बनने की राह पर हैहर साल मिलेंगे ₹15,000! इस राज्य सरकार का ऑटो रिक्शा, कैब और मैक्सी कैब ड्राइवरों का बड़ा तोहाफाIPO Calendar: मुख्य बोर्ड और SME दोनों में निवेशकों को मिलेगा मौका, जानें लिस्टिंग और आईपीओ का पूरा शेड्यूलपोस्ट ऑफिस की यह स्कीम 5 साल में बना देगी आपको लखपति… बस हर महीने करें 25 हजार का निवेशसरकार ने शुरू की ‘आपकी पूंजी, आपका अधिकार’ मुहिम, ₹1.84 लाख करोड़ उनके हकदारों तक पहुंचेगाWeWork India IPO: अप्लाई करें या इंतजार करें, देखें पूरी डिटेल्स और फायदे-नुकसानक्या शेयर बाजार में निवेश अब जोखिम भरा है? ‘रिच डैड पुअर डैड’ के लेखक ने निवेशकों को क्यों चेतायाCorporate Actions: निवेशकों की बल्ले-बल्ले! अगले हफ्ते मार्केट में स्प्लिट-बोनस-डिविडेंड का तगड़ा कॉम्बिनेशन

Trump Tariff से Global Crude कीमतों में भारी उथल-पुथल की आशंका, लेकिन भारत कमाएगा करोड़ों-अरबों

रूस से आने वाला तेल भारत की कुल 5.3 मिलियन बैरल प्रति दिन (bpd) की कच्चे तेल की जरूरत का 35 प्रतिशत से अधिक हिस्सा पूरा करता है।

Last Updated- April 09, 2025 | 8:34 PM IST
US exports of crude oil to India last month climbed to their highest in over two years.
प्रतीकात्मक तस्वीर

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए हाई टैक्स से भारतीय रिफाइनरों को अप्रत्याशित लाभ मिलने की उम्मीद है। सरकारी और रिफाइनिंग सेक्टर के अधिकारियों ने बताया कि इन शुल्कों ने जनवरी में अमेरिका द्वारा रूसी तेल निर्यात पर लगाए गए कड़े प्रतिबंधों का प्रभाव लगभग समाप्त कर दिया है।

इसके अलावा, भारत के तीसरे सबसे बड़े आपूर्तिकर्ता सऊदी अरब द्वारा मई महीने के लदान के लिए एशियाई खरीदारों को तेल की कीमतों में की गई बड़ी कटौती और ट्रंप के शुल्कों के चलते तेल बाजार में बढ़ी अस्थिरता के कारण ओपेक के उत्पादन में अपेक्षा से अधिक बढ़ोतरी ने भी भारत की सार्वजनिक क्षेत्र की रिफाइनिंग कंपनियों को फायदा पहुंचाया है।

इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम जैसी कंपनियों ने इस साल इराक, सऊदी अरब और यूएई से दीर्घकालिक अनुबंधों का विस्तार किया है। ये तीनों देश मिलकर भारत की कुल कच्चे तेल की ज़रूरतों का 40 प्रतिशत तक आपूर्ति करते हैं।

‘भारत को होगा बहुत फायदा’

एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा कि भारत इस समय एक ‘स्वीट स्पॉट’ में है क्योंकि न केवल तेल की कीमतें गिर गई हैं, बल्कि रूसी तेल की कीमतें भी 50 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई हैं, जिससे अमेरिकी प्रतिबंधों का असर खत्म हो गया है। रूसी एक्सपोर्ट ग्रेड ‘यूराल्स’ की कीमत यूरोपीय बेंचमार्क ब्रेंट की तुलना में भारी छूट पर है।

लंदन की ऑयल प्राइसिंग एजेंसी Argus के अनुसार, ब्रेंट के 63 डॉलर प्रति बैरल के मुकाबले यूराल्स 15 डॉलर की छूट पर यानी 48 डॉलर प्रति बैरल पर उपलब्ध है। इससे पश्चिमी शिपिंग कंपनियों और बीमा सेवाओं का उपयोग किया जा सकता है, क्योंकि ये प्रतिबंधों के दायरे में नहीं आते।

2023 की शुरुआत में पश्चिमी देशों ने रूसी कच्चे तेल के निर्यात पर 60 डॉलर प्रति बैरल की प्राइस कैप लागू की थी। इस सीमा से ऊपर मूल्य वाले माल पर पश्चिमी सेवाओं का उपयोग नहीं किया जा सकता। लेकिन अब यूराल्स की कीमत इस कैप से नीचे होने के कारण भारतीय रिफाइनरों के लिए खरीदारी आसान हो गई है।

हालांकि पश्चिमी शिपिंग सेवाओं का उपयोग किए बिना भी रूसी आपूर्तिकर्ताओं के पास 100 से अधिक टैंकर हैं जो भारत तक तेल पहुंचाने में सक्षम हैं और अमेरिकी प्रतिबंधों के दायरे में नहीं आते, शिप ट्रैकिंग डेटा से यह सामने आया है। हालांकि, इन विकल्पों में दस्तावेज़ीकरण अधिक जटिल है।

एक सरकारी रिफाइनरी अधिकारी ने बताया कि जनवरी में लगे अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद बैंक अब तेल खेपों की गहन जांच कर रहे हैं और अधिक दस्तावेज़ों की मांग कर रहे हैं।

सऊदी अरब ने भी क्रूड कीमतों में कटौती

यूके की एनर्जी इंटेलिजेंस की रिपोर्ट के मुताबिक, सऊदी अरामको ने अप्रैल की तुलना में मई लदानों के लिए एशियाई खरीदारों को आधिकारिक बिक्री मूल्य (OSP) में 2.30 डॉलर प्रति बैरल की कटौती की है। यह कटौती अक्टूबर 2022 के बाद सबसे बड़ी मानी जा रही है और इसके तहत अरब लाइट व अरब मीडियम ग्रेड शामिल हैं। सऊदी दरों का असर इराक और यूएई द्वारा तय की जाने वाली कीमतों पर भी पड़ता है। इसलिए पश्चिम एशिया में किसी भी तरह का मूल्य परिवर्तन भारत की करीब 45 प्रतिशत तेल आपूर्ति को प्रभावित करता है।

मुंबई स्थित एक विश्लेषक के अनुसार, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के चलते पेट्रोल और डीजल पर रिफाइनरों को ₹12 प्रति लीटर से अधिक का लाभ मिल रहा है। यह महामारी से पहले की औसत कमाई से पांच गुना ज्यादा है। इससे सरकार पर वित्तीय बोझ भी कम होगा क्योंकि रिफाइनर एलपीजी पर होने वाले नुकसान की आंशिक भरपाई खुद कर सकते हैं।

रूसी तेल बना भारतीय अर्थव्यवस्था का सहारा

एक वरिष्ठ भारतीय रिफाइनिंग अधिकारी ने बताया कि रूस से आने वाला तेल भारत की कुल 5.3 मिलियन बैरल प्रति दिन (bpd) की कच्चे तेल की जरूरत का 35 प्रतिशत से अधिक हिस्सा पूरा करता है। बीते तीन वर्षों में डिलीवर्ड रूसी क्रूड पर मिल रही छूट ने भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए संजीवनी का काम किया है।

Kpler के शिप ट्रैकिंग डेटा के मुताबिक, अप्रैल के पहले सप्ताह में रूसी तेल की आपूर्ति औसतन 1.6 मिलियन bpd रही, जो मार्च के 1.88 मिलियन bpd से 2.8 लाख bpd कम है। हालांकि महीने की शुरुआत होने के कारण यह आंकड़ा अंतिम नहीं माना जा सकता।

फरवरी में भारत को रूसी तेल आपूर्ति में बड़ी दिक्कतें आई थीं और आपूर्ति घटकर 1.46 मिलियन bpd रह गई थी, जो दिसंबर 2023 के बाद सबसे कम थी। इसकी वजह यह रही कि अमेरिका ने 183 टैंकरों, बीमा कंपनियों, व्यापारियों और रूसी तेल उत्पादकों पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिससे कुछ समय के लिए भारत-रूस तेल व्यापार ठप हो गया था।

Explainer: क्या है Trump Tariff? क्यों लगाया? कैसे वसूलेगा US दूसरे देशों से; जानें हर बात

China का US पर पलटवार, अब अमेरिकी सामान पर चीन में लगेगा 84% टैक्स

गजब है Reliance! Russia से खरीदा सस्ता Crude Oil, प्रोसेस कर बेचा US को, कमाई? सालभर में 6850 करोड़

 

First Published - April 9, 2025 | 7:51 PM IST

संबंधित पोस्ट