एक ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय स्टार्टअप तंत्र में फंडिंग गतिविधियों में मौजूदा सुस्ती के बीच वर्ष 2022 में हेल्थ टेक्नोलॉजी कंपनियों के लिए फंडिंग 55 प्रतिशत घटकर 1.4 अरब डॉलर रह गई, जो 2021 में 3.2 अरब डॉलर थी।
बाजार इंटेलीजेंस प्लेटफॉर्म ट्रैक्सकन की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह कमजोरी बाद में हुए निवेश में आई 75 प्रतिशत की बड़ी गिरावट की वजह से दर्ज की गई। जहां 2021 में निवेश का आंकड़ा 2.4 अरब डॉलर था, वहीं 2022 में यह 60.6 करोड़ डॉलर रह गया।
गिरावट के बावजूद, 2022 पिछले दशक में 2021 को छोड़कर दूसरा सर्वाधिक फंडिंग वाला वर्ष बना रहा। रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी ने ज्यादा संख्या में लोगों को स्वास्थ्य की महत्ता से अवगत कराया है, जिससे डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं के इस्तेमाल को बढ़ावा मिला है।
महामारी की अवधि में हेल्थटेक क्षेत्र में निवेशक दिलचस्पी ऐसे खर्च को लेकर काफी बढ़ गई थी और 2021 की चौथी तिमाही से फंडिंग में नरमी का रुझान शुरू हो गया।
फंडिंग में सुस्ती की वजह से, मौजूदा वृहद आर्थिक हालात, और बढ़ती ब्याज दरों से दुनियाभर के निवेशक अपना पैसा खर्च करने को लेकर ज्यादा सतर्कता बरत रहे हैं। यह रुझान हेल्थटेक क्षेत्र में भी देखा गया है।
ऑनलाइन फार्मेसी टाटा 1एमजी वर्ष 2022 में यूनिकॉर्न बनने वाली एकमात्र भारतीय हेल्थटेक कंपनी थी। कंपनी ने टाटा डिजिटल के नेतृत्व वाले निवेश राउंड में 4.08 करोड़ डॉलर की पूंजी जुटाई।
इस निवेश में केडब्ल्यूई बेटलिगुनगेन एजी, एचबीएम हेल्थकेयर इन्वेस्टमेंट्स ने भी हिस्सा लिया था। इससे टाटा 1एमजी का मूल्यांकन बढ़कर 1.3 अरब डॉलर पर पहुंच गया था, और वह यूनिकॉर्न बन गई।
2022 में 10 करोड़ डॉलर मूल्य से ज्यादा के सिर्फ दो फंडिंग राउंड हुए थे, जबकि पूर्ववर्ती वर्ष के दौरान यह संख्या 10 थी। डिजिटल हेल्थकेयर प्लेटफॉर्म मेडिबड्डी ने क्वाड्रिया कैपिटल, लाइटरॉक इंडिया और अन्य कंपनियों से 12.5 करोड़ डॉलर जुटाए। कंज्यूमर न्यूट्रीशन प्लेटफॉर्म हेल्थकार्ट ने भी सीरीज एच राउंड में 12.5 करोड़ डॉलर की पूंजी जुटाई थी।
डिजिटल चयन में आ रही तेजी और अनुकूल सरकारी नीतियों से हेल्थ टेक क्षेत्र में निवेश बढ़ने की संभावना है।