विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) उभरते बाजारों (ईएम) से निवेश निकाल रहे हैं। आंकड़ों से पता चलता है कि उन्होंने ताइवान, दक्षिण अफ्रीका, थाइलैंड, मलेशिया, फिलीपींस और दक्षिण कोरिया समेत ऐसे कई देशों से पिछले 12 महीनों के दौरान (अक्टूबर 2020 से) अपना निवेश निकाला है।
हालांकि भारत, इंडोनेशिया और ब्राजील इसका अपवाद हैं, जहां एफआईआई प्रवाह अभी भी इस अवधि के दौरान सकारात्मक दायरे में बना हुआ है।
वैश्विक प्रवाह में यह बदलाव ऐसे समय में दर्ज किया गया है जब एमएससीआई ईएम सूचकांक ने अक्टूबर 2020 से कमजोर प्रदर्शन किया है और वह महज 5 प्रतिशत चढ़ा है जबकि एमएससीआई वल्र्ड सूचकांक में 27 प्रतिशत की तेजी आई है। इस साल अब तक (वाईटीडी) आधार पर, एमएससीआई ईएम सूचकांक करीब 2 प्रतिशत गिरा है जबकि एमएससीआई वल्र्ड सूचकांक में करीब 20 प्रतिशत की कमजोरी आई है।
किमेंग सिक्योरिटीज इंडिया के मुख्य कार्याधिकारी जिगर शाह का कहना है, ‘कोविड-19 संकट दूर होता दिख रहा है। ब्याज दरें अब ज्यादा नीचे जाने की संभावना नहीं है और ईएम में तरलता भी बेहतर नहीं हो रही है। बाजार आखिर कंपनियों की आय वृद्घि के आधार पर वापसी करेंगे और मौजूदा मूल्यांकन को आय वृद्घि संभावना के लिए उचित नहीं माना जा सकता। यदि अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ती हैं तो पूंजी ईएम से बाहर जाएगी। कैलेंडर वर्ष 2022 में कई देशों में बड़ा आर्थिक सुधार दिखेगा।’
मॉर्गन स्टैनली के विश्लेषकों को भी ईएम के इक्विटी बाजारों को 2022 में संघर्ष से जूझने का अनुमान है, क्योंकि उन्हें धीरे धीरे वैश्विक और स्थानीय मौद्रिक हालात और कई अन्य दिक्कतों से जूझना पड़ रहा है। उनके अनुसार, दक्षिण कोरिया और ताइवान दोनों को सेमीकंडक्टर और टेक हार्डवेयर क्षेत्रों में नकारात्मक चक्रीयता परिदृश्य का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि वर्क फ्रॉम होम में तेजी आई है।
हालांकि वैश्विक शोध एवं ब्रोकरेज हाउस का मानना है कि बीएसई का सेंसेक्स दिसंबर 2022 तक 70,000 के निशान को छू सकता है, लेकिन उसने अपने वैश्विक इमर्जिंग मार्केट (जीईएम) कंट्री पोर्टफोलियो में भारतीय इक्विटी-इक्वल-वेट (ईडब्ल्यू) में डाउनग्रेड की है।
मॉर्गन स्टैनली के विश्लेषकों ने एक ताजा रिपोर्ट में लिखा है, ‘ब्राजील को चुनौतीपूर्ण परिवेश के साथ साथ राष्ट्रपति चुनाव से भी जूझना पड़ रहा है, हालांकि मूल्यांकन समायोजित हुआ है और हम ईडब्ल्यू पर अपने रुख पर कायम हैं। इन चार बाजारों का एमएससीआई ईएम में बाजार पूंजीकरण के लिहाज से 65 प्रतिशत का योगदान है।’
जहां तक भारत का सवाल है, किमेंग सिक्योरिटीज के शाह का मानना है कि देश 2022 में भी पूंजी प्रवाह आकर्षित करने में सक्षम बना रहेगा, क्योंकि चीन का आकर्षण घटा है। उन्होंने कहा, ‘पिछले कुछ सप्ताहों में, भारत को इक्विटी सेगमेंट में एफआईआई बिकवाली का सामना करना पड़ा है। बढ़ती मुद्रास्फीति भी मुख्य चिंता है, खासकर भारत के लिए। मुद्रास्फीति समायोजन का असर कुछ समय में मुद्रा में भी दिखेगा। इसके अलावा, सूक्ष्म स्तर पर, भारत आकर्षक बना रहेगा।’
