क्लीयरिंग कॉरपोरेशन से लेकर विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के वैश्विक डेरिवेटिव मार्केट निकाय फ्यूचर इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (एफआईए) ने वायदा एवं विकल्प (एफऐंडओ) नियमों में व्यापक बदलाव का विरोध किया है। असल में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने इंडेक्स वायदा और विकल्प के लिए ओपन इंटरेस्ट की गणना और पोजीशन सीमा में व्यापक बदलाव का प्रस्ताव किया है, जिसका एफआईए विरोध कर रहा है।
सेबी के परामर्श पत्र पर 13 पृष्ठ के विस्तृत जवाब में एफआईए ने आगाह किया है कि प्रस्तावित उपायों से अनजाने में कीमतों में हेरफेर का जोखिम बढ़ सकता है, बाजार में तरलता घट सकती है, ट्रेडिंग का खर्च बढ़ सकत है और परिचालन संबंधी जटिलताएं हो सकती हैं। एफआईए ने कहा, ‘इन बदलाव से बोली और मांग के बीच अंतर बढ़ सकता, बाजार में अस्थिरता बढ़ सकती है और संस्थागत निवेशकों की भागीदारी घट सकती है, जिससे अंततः बाजार की व्यापकता और दक्षता प्रभावित होगी।
जोखिम प्रबंधन को बढ़ाने के इरादे लगाई जाने वाली इन पाबंदियों से अक्षमता पैदा हो सकती है और कीमत में हेरफेर की आशंका भी बढ़ेगी।’ सेबी ने 24 फरवरी को जारी परामर्श पत्र में ‘डेल्टा’ या ‘फ्यूचर इक्विवेलेंट’ ढांचे का उपयोग करके ओपन इंटरेस्ट की गणना के लिए एक नई विधि का प्रस्ताव किया था। इसमें बाजार-व्यापी पोजीशन सीमा की समीक्षा करने और एक शेयर और इंडेक्स डेरिवेटिव के लिए पोजीशन सीमा तय करने का भी सुझाव दिया गया है।
एफआईए ने तर्क दिया कि डेल्टा गणना वैश्विक डेरिवेटिव बाजार में असामान्य है और इससे परिचालन संबंधी चुनौतियां आती हैं। एसोसिएशन ने कहा, ‘डेल्टा-समायोजित सीमा लागू करने के लिए ट्रेडिंग ईकोसिस्टम में गणना, निगरानी और प्रसार के कई स्तर की आवश्यकता होती है, जिससे परिचालन बोझ और त्रुटि का जोखिम बढ़ जाता है।’
इंडेक्स एफऐंडओ के लिए सेबी की प्रस्तावित पोजीशन सीमा पर एफआईए ने कहा कि इकाइयां अभी भी अल्पावधि आउट-ऑफ-द-मनी ऑप्शन में बड़ी पोजीशन ले सकती हैं। प्रस्तावित उपाय इस समस्या से निपटने में विफल हो सकते हैं। इसके अलावा एफआईए ने बताया कि सकल डेल्टा सीमा सामान्य रूप से उपयोग की जाने वाली ट्रेडिंग रणनीति में बाधा पैदा कर सकती है।
इसके विपरीत अन्य रणनीतियों में सकल डेल्टा गणना द्वारा दर्शाए गए जोखिम से कम जोखिम हो सकता है। एफआईए ने इस बात पर भी जोर दिया कि ऐसी सीमा बाजार में तरलता सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले ट्रेडर्स और मार्केट मेकर पर गंभीर पाबंदी लगा सकती हैं। एसोसिएशन ने आगाह किया कि यह मांग तथा तरलता की आपूर्ति सीमित करने सहित बाजार में बुनियादी असंतुलन पैदा करेगी।