मार्च 2022 में अमेरिका में महंगाई सर्वोच्च स्तर 8.5 फीसदी पर पहुंचने के बाद फेडरल रिजर्व की तरफ से ब्याज दरों में तीव्र गति से बढ़ोतरी की संभावना ने शुक्रवार को भारतीय बाजारों को परेशान कर दिया। फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जीरोम पॉवेल ने मई में ब्याज दरों में 50 आधार अंकों की बढ़ोतरी का संकेत दिया है।
नोमूरा के विश्लेषकों का हालांकि मानना है कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक जून व जुलाई की बैठक में ब्याज दरों में 75 आधार अंकों का इजाफा करेगा। उनका मानना है कि बाजार हालांकि 75 आधार अंकों की बढ़ोतरी को समाहित करने का अनिच्छुक रहा है लेकिन बाजारों ने अगर इसे मजबूती से समाहित कर लिया तो फेडरल ओपन मार्केट कमेटी की राह आसान हो सकती है और भागीदार ऐसे नीतिगत कदमों पर तीव्रता के साथ आमराय बना सकते हैं।
नोमूरा के विश्लेषकों ए. अमेया, रॉबर्ट डेंट और केनी ली ने हालिया नोट में कहा है, हमारा मानना है कि इस साल किसी समय 75 आधार अंकों की बढ़ोतरी की संभावना में तेजी आई है। हमें लगता है कि जून व जुलाई की एफओएमसी की बैठकों में 75 आधार अंकों का इजाफा हो सकता है। मई की बैठक मेंं हालांकि ब्याज दरों में 50 आधार अंकों के इजाफे की संभावना जताई गई है।
जून व जुलाई में बढ़ोतरी के बाद नोमूरा को उम्मीद है कि फेडरल रिजर्व साल 2022 व 2023 की हर बैठक में ब्याज दरों में 25 आधार अंकों की बढ़ोतरी कर सकता है। इस बीच, अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने संकेत दिया है कि वह अपनी भारी भरकम बॉन्ड होल्डिंग में मई से हर महीने 95 अरब डॉलर की रफ्तार से कटौती करेगा।
नोमूरा ने कहा, यह संचयी तौर पर इस साल 300 आधार अंकों की सख्ती का संकेत देता है जबकि हमारा पिछला अनुमान साल 2023 में 250 व 75 आधार अंकों का था।
ऐसे में इन चीजों का इक्विटी बाजारों के लिए क्या मतलब है?
विश्लेषकों ने कहा, बाजार अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज बढ़ोतरी को पहले ही समाहित कर रहा है, लेकिन कितनी बढ़ोतरी होगी और इसकी रफ्तार कैसी रहेगी, इस पर बाजार तात्कालिक प्रतिक्रिया जता सकता है। उनका कहना है कि बाजार धीरे-धीरे इसे समाहित कर लेगा और अपनी खोई जमीन दोबारा हासिल कर लेगा।
अल्फानीति के सह-संस्थापक व निदेशक यू आर भट्ट ने कहा, यहां सिर्फ सख्ती की रफ्तार ही चौंकाएगा। बाजार पहले ही 25 आधार अंकों की बढ़ोतरी मानकर चल रहा है। इसमें तेजी से कुछ घबराहट हो सकती है लेकिन बाजार धीरे-धीरे इसे समाहित कर लेगा। फेड 25 आधार अंकों का इजाफा आठ बार करने के बजाय 50 आधार अंकों का इजाफा चार बार करेगा। बढ़त के चक्र के आखिर में ब्याज दरों का स्तर 2 से 2.5 फीसदी होगा।
अक्टूबर 2021 को सर्वोच्च स्तर के बाद भारतीय सूचकांकों एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स व निफ्टी-50 में करीब 5 फीसदी की गिरावट आई है क्योंंकि वैश्विक केंद्रीय बैंकों की तरफ से महंगाई को थामने के लिए उठाए जा रहे कदों की पृष्ठभूमि में निवेशक अपने पोर्टफोलियो का दोबारा आकलन कर रहे हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध ने अलावा अहम जिंसों खास तौर से कच्चे तेल को 14 साल के उच्चस्तर 140 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंचा दिया।