कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने शेयर बाजार में अपना निवेश को बढ़ाने और अपने करीब 7 करोड़ सबस्क्राइबरों की आमदनी बढ़ाने के मकसद से एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) से लाभ के साथ होने वाली निवेश निकासी (रिडम्पशन) का 50 फीसदी हिस्सा शेयर बाजार में लगाने का मन बनाया है। शनिवार को आगामी केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) की बैठक में इस पर फैसला हो सकता है।
ईटीएफ से लाभ के साथ होने वाली निवेश निकासी का बाकी हिस्सा सरकारी बॉन्ड और ऋण योजनाओं में भी किया जाएगा। अभी तक ईपीएफओ सभी लाभ वाली निवेश निकासी का हिस्सा सबस्क्राइबरों की आय के रूप में वितरित कर देता था। ताजा उपलब्ध आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2023 में सेवानिवृत्ति निधि कोष, ईपीएफओ के निवेश कोष में कुल राशि 21.3 लाख करोड़ रुपये थी।
श्रम मंत्री मनसुख मांडविया की अध्यक्षता वाली सामाजिक सुरक्षा संगठन की निर्णय लेने वाली शीर्ष संस्था बेहतर आमदनी के लिए वर्तमान में मौजूदा चार साल की ईटीएफ रिडम्पशन अवधि को बढ़ाकर सात साल करने पर भी विचार करेगी यानी ईपीएफओ को पहले शेयर बाजार से पैसा निकालने में 4 साल लगते थे लेकिन अब ईपीएफओ चाहता है कि यह अवधि बढ़ाकर 7 साल कर दिया जाए।
इस मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने कहा कि सीबीटी के अधीन एक उप समिति, निवेश समिति (आईसी) ने इस महीने की शुरुआत में इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी जिससे सीबीटी के लिए अंतिम मंजूरी देने का रास्ता तैयार हुआ है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक ईपीएफओ का ईटीएफ में कुल निवेश अक्टूबर 2023 तक 2.5 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया था।
ईपीएफओ केवल ईटीएफ के माध्यम से ही शेयर बाजार में निवेश करता है और इसने अगस्त 2015 से ही निवेश पर अधिक आय हासिल करने के मकसद से सेंसेक्स और नैशनल स्टॉक एक्सचेंज निफ्टी 50 में निवेश करने योग्य कोष का 5 प्रतिशत निवेश करना शुरू किया था। हालांकि बाद में यह सीमा बढ़ाकर 15 फीसदी कर दी गई थी और मार्च 2022 तक ईपीएफओ ने शेयरों में अपनी कुल निवेश पूंजी का केवल 8.7 प्रतिशत हिस्सा ही निवेश किया था।