डॉलर के मुकाबले रुपये ने मंगलवार को काफी मजबूती दर्ज की और इस तरह से रुपये में 11 नवंबर के बाद से सबसे बड़ी एकदिवसीय उछाल दर्ज हुई। इसकी वजह विदेशी निवेश और तेल आयातकों के बदले सार्वजनिक बैंकों की तरफ से डॉलर की मांग में आई तेज गिरावट है। डीलरों ने यह जानकारी दी।
देसी मुद्रा अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 81.79 पर टिकी, जो सोमवार को 82.36 पर रही थी। मंगलवार का स्तर 2 दिसंबर के बाद सबसे मजबूत बंद स्तर के रेखांकित करता है। ब्लूमबर्ग के आंकड़ों से यह जानकारी मिली।
करेंसी ट्रेडरों ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की तरफ से डॉलर व रुपये के निचले स्तर पर डॉलर की खरीद के अभाव से स्थानीय मुद्रा को बढ़त दर्ज करने में मदद मिली। दो दिन कारोबारी सत्र में रुपये में 94 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई है।
एएनजेड बैंक के ट्रेडिंग प्रमुख नितिन अग्रवाल ने कहा, मुझे लगता है कि RBI आज डॉलर खरीद से दूर रहा और इसकी संभावना थी। इसी वजह से डॉलर में नरमी आई। मुझे संदेह है कि देश में कुछ विदेशी निवेश भी आया है।
उन्होंने कहा, अगर RBI इस स्तर पर सहज होता है तो वह यहां अपना भंडार और बढ़ा सकता है। दूसरी ओर, अगर बाजार को लगता है कि RBI ने पर्याप्त भंडार 82.20 प्रति डॉलर पर बना रखा है और वह 81.50 प्रति डॉलर पर और भंडार बना सकता है और तब 81.50 के स्तर की परख होगी।
फरवरी से सितंबर तक भंडार में करीब 100 अरब डॉलर की गिरावट के बाद RBI का भंडार दिसंबर के आखिर में 30 अरब डॉलर बढ़कर 562.85 अरब डॉलर पर पहुंच चुका है।
ट्रेडरों ने कहा कि मंगलवार को मुद्रा बाजार में जो निवेश आया वह अदाणी एंटरप्राइजेज के 20,000 करोड़ रुपये के एफपीओ से संबंधित हो सकता है, जो इसी महीने आना है, साथ ही कार्लाइल की तरफ से वीएलसीसी की हिस्सेदारी खरीद पर 30 करोड़ डॉलर का भी इसमें योगदान हो सकता है।
कोटक सिक्योरिटीज के उपाध्यक्ष ए. बनर्जी ने कहा, वास्तव में हुआ यह है कि बाजार में तेल आयातकों की डॉलर मांग नहीं आई तो फिर एक बार जब 82.10 प्रति डॉलर का स्तर आ गया तो कई स्टॉप लॉस टूटे। यही आज देखने को मिला।
उन्होंने कहा, पिछली बार दिसंबर की शुरुआत में यह 82 प्रति डॉलर पर था। काफी लोगों ने डॉलर में लॉन्ग पोजीशन बनाई और निर्यातकों ने हेजिंग नहीं की क्योंकि प्रीमियम कम था। ऐसे में मुझे लगता है कि 82 प्रति डॉलर का स्तर टूटने के बाद इसका असर दिखा। अब यह अन्य मुद्राओं के साथ कदमताल की कोशिश में है क्योंकि समकक्ष देशों की मुद्राओं व भारतीय रुपये के बीच काफी अंतर आ गया है।
ट्रेडरों ने कहा, पिछले महीने ज्यादातर उभरते देशों की मुद्राओं के मुकाबले रुपये का प्रदर्शन कमजोर रहा था, लेकिन मंगलवार को इसने बेहतर किया।
बनर्जी के मुताबिक, जब तक कि आरबीआई डॉलर की बड़ी खरीद के जरिये नहीं उतरता तब तक रुपया अल्पावधि में 81 प्रति डॉलर तक मजबूत हो सकता है।