सरकार ने पिछले हफ्ते अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के नियम आसान बना दिए। इसके तहत कलपुर्जों, सैटेलाइट, ग्राउंड सेगमेंट्स और यूजर सेगमेंट्स के लिए सिस्टम्स या सब-सिस्टम्स के विनिर्माण पर 100 फीसदी एफडीआई की अनुमति दी गई है।
सरकार ने सैटलाइट विनिर्माण व परिचालन, सैटलाइट डेटा प्रॉडक्ट्स में 74 फीसदी एफडीआई और लॉन्च व्हीकल व स्पेसस्पोर्ट्स के विकास पर 49 फीसदी एफडीआई की भी इजाजत दी है।
इसके बाद इससे संबंधित कंपनियों के शेयरों में तेजी देखने को मिली। मिश्र धातु निगम, एमटीएआर टेक्नोलॉजिज, डेटा पैटर्न्स, एस्ट्रा माइक्रोवेव प्रॉडक्ट्स, सेंट्रम इलेक्ट्रॉनिक्स, वालचंदनगर इंडस्ट्रीज और पारस डिफेंस के शेयरों में 21 फरवरी को हुई घोषणा के बाद 4 से 25 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई। हालांकि इनमें रुक-रुककर मुनाफावसूली भी हुई।
सैमको सिक्योरिटीज के शोध विश्लेषक संजय मूरजानी ने कहा कि यह कदम सकारात्मक है और देसी कंपनियों को विदेशी गठजोड़ के जरिये उन्नत तकनीक और विशेषज्ञता तक पहुंच में मदद मिलेगी। मौजूदा मूल्यांकन और फंडामेंटल को देखते हुए हमारा सुझाव नई खरीद टालने का है लेकिन मौजूदा निवेशक इनमें बने रह सकते हैं।
रक्षा व अंतरिक्ष कारोबार के ज्यादातर शेयरों में पिछले साल एकतरफा तेजी रही है और इन्होंने 367 फीसदी तक का भारी-भरकम रिटर्न दिया जिसे रक्षा विनिर्माण के देसीकरण पर सरकार के जोर से सहारा मिला। मूल्यांकन के लिहाज से ज्यादातर का कारोबार पिछले 12 महीने की आय के आधार पर 50 से 100 पीई गुणक पर हो रहा है। बीएसई के आंकड़ों से यह जानकारी मिली।
अपोलो माइक्रो सिस्टम्स का पीई 152 गुना है, जो सबसे ज्यादा है। विश्लेषको का मानना है कि एफडीआई के नियमों में नरमी से सूचीबद्ध रक्षा कंपनियों को राजस्व के लिहाज से अपना ध्यान अंतरिक्ष पर केंद्रित करने में मदद मिलेगी।
वेल्थमिल्स सिक्योरिटीज के निदेशक क्रांति बातिनी ने कहा कि एफडीआई के नियमों में नरमी से कंपनियों को अंतरिक्ष के क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलेगी क्योंकि यह ऐसा क्षेत्र है जहां वैश्विक मानकों के हिसाब से चलने के लिए काफी ज्यादा शोध की दरकार होती है।
कई कंपनियां पहले से ही चंद्रयान परियोजना से जुड़ी हैं लेकिन बड़े कारोबार की संभावना सीमित है क्योंकि अकेला इसरो ही उनका मुख्य ग्राहक है। लेकिन एफडीआई में नरमी से कंपनियां अब वैश्विक मिशन में भी भाग ले सकती हैं और अपना राजस्व बढ़ा सकती हैं।
इन शेयरों पर बाजार का नजरिया तेजी का दिख रहा है। विश्लेषकों का सुझाव है कि निवेशकों को शेयर विशेष पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि महज इस कदम के बाद ऊंचे भाव पर नई खरीद नहीं हो सकती। बातिनी का सुझाव है कि कंपनियों का आकलन उनके विशिष्ट शोध आदि के आधार पर और अंतरिक्ष की गतिविधियों व उनकी विशेषज्ञता से किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अंतरिक्ष सेगमेंट से ज्यादा राजस्व वाली कंपनियों को एक अवधि में नए नियमों से सबसे ज्यादा फायदा होगा।
रक्षा व एरोस्पेस थीम में पीटीसी इंडस्ट्रीज, वालचंदनगर इंडस्ट्रीज, बीईएल और एचएएल उनका अग्रणी दांव बना हुआ है। पहली तीन कंपनियां उन फर्मों में शामिल है, जिनने चंद्रयान-3 मिशन के लिए काफी अहम हार्डवेयर की आपूर्ति की है।