इनवेस्को म्युचुअल फंड में प्रमुख (निश्चित आय) विकास गर्ग का कहना है कि दीर्घावधि में रीपो दर अधिक रहने की उम्मीद है क्योंकि घरेलू विकास मुद्रास्फीति के असर से वर्ष 2023 में शायद दर कटौती के लिए कोई गुंजाइश न रहे। अभिषेक कुमार के साथ ई-मेल पर हुई बातचीत में गर्ग ने कहा कि मौजूदा परिदृश्य में 3 से 7 साल के प्रतिफल के झुकाव का दायरा जोखिम-प्रतिफल के नजरिये से अधिक आकर्षक है। संपादित अंश:
RBI ने पिछले कुछ महीने के दौरान बाह्य लचीलेपन में सुधार और वैश्विक मौद्रिक नीति का परिदृश्य बिगड़ने के बावजूद घरेलू मुद्रास्फीति को नियंत्रित करते हुए अपेक्षा के अनुरूप नीतिगत दरों पर यथास्थिति बनाए रखी।
हालांकि बाजार को थोड़ी निराशा हुई क्योंकि मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने वैश्विक मौद्रिक नीति के मोर्चे के साथ-साथ मॉनसून के संबंध में अनिश्चितताओं के मद्देनजर नीतिगत रुख को ‘समायोजन की वापसी’ के रूप में कायम रखा है। यह चार प्रतिशत मुद्रास्फीति स्तर का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए ज्यादा सुदृढ़ लगा।
पैसिव डेट फंडों ने पिछले कुछ वर्षों के दौरान बढ़ती ब्याज दरों की पृष्ठभूमि में भी स्थिर प्रतिफल प्रदान करते हुए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अब जबकि दरें शीर्ष स्तर पर हैं और दर में कटौती का चक्र कभी किसी वक्त शुरू हो जाएगा, ऐसे में हमारा मानना है कि ऐक्टिव प्रबंधन पैसिव की तुलना में फायदे की स्थिति में है। ऐक्टिव फंड दरों में कटौती से होने वाला पूंजीगत लाभ बेहतर ढंग से हासिल कर सकते हैं।
हम उम्मीद करते हैं कि नीतिगत दरें लंबी अवधि तक अधिक बनी रहेंगी क्योंकि घरेलू विकास-मुद्रास्फीति के प्रभाव से वर्ष 2023 के दौरान शायद दर कटौती के लिए कोई जगह उपलब्ध न हो। हालांकि मुद्रास्फीति कम हो गई है, लेकिन फिर भी इस बात की संभावना है कि यह चार प्रतिशत के लक्ष्य की तुलना में पांच प्रतिशत से अधिक स्तर पर बनी रहेगी।
अगर मॉनसून ने निराश किया, तो यह और भी ज्यादा बढ़ सकती है। दर कटौती का चक्र वैश्विक मौद्रिक नीतियों, खास तौर पर अमेरिका की मौद्रिक नीतियों पर भी निर्भर करेगा। नीतिगत दर में कम अंतर को देखते हुए अमेरिका में दरों में कटौती की शुरुआत के बाद ही इसकी शुरुआत होने की संभावना है।
मौजूदा प्रतिफल का रुख ऐतिहासिक स्तरों की तुलना में स्थिर है। बाजार को उम्मीद है कि मध्यम अवधि में दरों में कटौती होगी। पिछले दो महीने में म्युचुअल फंड, बीमा कंपनियों और कुछ कॉरपोरेट की ओर से अपेक्षाकृत अधिक जी-सेक मांग से भी इन स्तरों को समर्थन मिला है। अगले तीन से छह महीने प्रतिफल वक्र में कुछ तेजी देखने को मिलेगी।
निवेशक दर के रुख के विभिन्न बिंदुओं पर विचार कर सकते हैं क्योंकि बढ़े हुए ब्याज से मुद्रास्फीति के तुलना में सकारात्मक प्रतिफल मिलने की उम्मीद है।