वैश्विक तौर पर 2022 में प्रमुख बाजारों में शानदार प्रदर्शन के बाद भारत जनवरी में खराब प्रदर्शन वाले प्रमुख शेयर बाजारों में शुमार हो गया था।
आईआईएफएल सिक्योरिटीज के चेयरमैन आर वेंकटरमण ने समी मोडक के साथ साक्षात्कार में कहा कि बाजार में ताजा कमजोरी काफी हद तक ज्यादा ऊंची उम्मीदों की वजह से आई है। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:
भारतीय बाजार पिछले साल शानदार प्रदर्शन करने के बाद अब कमजोर हुए हैं। क्या यह रुझान बना रह सकता है?
हमारा मानना है कि बाजार ने कुछ कॉरपोरेट नतीजों पर नकारात्मक प्रतिक्रिया दिखाई है। अदाणी समूह कंपनियों की शेयर कीमतों में गिरावट से भी बाजार पर दबाव बढ़ा है। अदाणी मुद्दे, खासकर अत्यधिक कर्ज को लेकर स्थिति स्पष्ट होने पर बदलाव आ सकता है। हम उतने ज्यादा चिंतित नहीं हैं, जितना कि बाजार में जोखिम दिख रहा है। अर्थव्यवस्था में विकास के कई वाहक मौजूद हैं और इनसे वृद्धि को फिर से मजबूत बनाने में मदद मिल सकती है। वैश्विक तौर पर मुद्रास्फीति नरम पड़ने या अनुकूल स्तरों पर आने से कम आय वर्ग को राहत मिल सकती है।
बैंकिंग और एनबीएफसी उद्योग की सेहत कैसी रहेगी? क्या फंसे कर्ज में कमी आएगी?
फंसे कर्ज कॉरपोरेट क्षेत्र द्वारा लगातार कर्ज-मुक्त होने के प्रयासों की वजह से बढ़ रहे थे। समग्र गैर-वित्त ऋण पिछले 9 वर्षों में 41 प्रतिशत से घटकर जीडीपी के 31 प्रतिशत पर आया है। बेहतर एवं सुरक्षात्मक नियमन से समय पर खुलासे होने और फंसे कर्ज पर नियंत्रण में मदद मिल रही है। हमारा मानना है कि वृद्धि की बहाली की रफ्तार मजबूत है। इसलिए हम बैंकों और एनबीएफसी, दोनों पर आशान्वित हैं।
घरेलू तरलता में कमजोरी को लेकर चिंताएं हैं। म्युचुअल फंडों (एमएफ) में प्रवाह सुस्त पड़ रहा है। बजट कर प्रस्ताव से बीमा प्रवाह प्रभावित हो सकता है। क्या यह बाजार के लिए एक जोखिम है?
एमएफ उद्योग पर इसकी वजह से सकारात्मक असर पड़ सकता है। लेकिन यदि मुद्रास्फीति मौजूदा स्तरों पर बनी रही, तो जमा दरें बढ़ेंगी और कुछ पूंजी फंडों से बैंक जमाओं में जा सकती है। लेकिन मौजूदा समय में, ये बड़े जोखिम नहीं हैं।
मौजूदा हालात में अन्य मुख्य जोखिम क्या हैं?
कम चर्चित जोखिमों में केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा विद्युत क्षेत्र को बढ़ावा देने की असमर्थता है। दो मुख्य सुधार जरूरी हैं – नया विद्युत अधिनियम और बिजली के उचित उपभोक्ता मूल्य निर्धारण को ध्यान में रखकर राज्य विद्युत बोर्डों की बैलेंस शीट में बदलाव लाना।
क्या आप मानते हैं कि विदेशी पूंजी भारत लौटेगी? कैसे और कब तक?
वैश्विक तौर पर मुद्रास्फीति में नरमी आ रही है। दरअसल, हमारे अनुमान से पता चलता है कि अमेरिकी मुद्रास्फीति पहले ही घटकर शून्य पर आ चुकी है। हमारा अनुमान है कि अमेरिकी फेड इस कैलेंडर वर्ष की दूसरी छमाही से दरे घटाने शुरू करेगा। इससे मौद्रिक हालात में सुधार आएगा। तब भारत भी ज्यादा पूंजी प्रवाह आकर्षित करने में सक्षम हो सकेगा।
भविष्य में आय वृद्धि के मुख्य वाहक क्या होंगे?
वित्त वर्ष 2020 और वित्त वर्ष 2022 के बीच कॉरपोरेट लाभ जीडीपी के 1 प्रतिशत से बढ़कर 5 प्रतिशत पर पहुंचा है। इसलिए, परिचालन दक्षता का पूरा फायदा अगले तीन-चार साल के दौरान दिखेगा। सुधार की गति मजबूत है। बैंक और कंपनी बैलेंस शीट पर भी कम कर्ज है। पीएलआई और चीन की वजह से आए वैश्विक बदलाव के कारण निर्माण क्षेत्र में निवेश का माहौल सुधरता दिख रहा है।