राष्ट्रीय राजधानी में हवाई अड्डे का परिचालन और प्रबंधन करने वाली कंपनी दिल्ली इंटरनैशनल एयरपोर्ट (डायल) ने नए टर्मिनल 4 (टी4) की योजना रोक दी है और इसके बजाय वह पुराने टर्मिनल 2 (टी2) के नवीनीकरण को तेजी से पूरा करेगी। इसकी वजह नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) और आईआईटी मद्रास की जांच में इसके एप्रन और बोर्डिंग ब्रिज में दिक्कतें मिलना है। बिजनेस स्टैंडर्ड को पता चला है कि डायल के मुख्य कार्य अधिकारी विदेह कुमार जयपुरियार ने जनवरी में विमानन हितधारकों के साथ बैठक में इसका खुलासा किया।
जांच के ये निष्कर्ष दिल्ली हवाई अड्डे पर टर्मिनल 1 (टी1) की छत गिरने के कुछ ही महीने बाद सामने आए हैं। छत गिरने से 45 वर्षीय कैब चालक रमेश कुमार की मौत हो गई थी और कम से कम आठ अन्य घायल हुए थे। पिछले महीने अखबार ने बताया था कि डीजीसीए की ओर से नियुक्त विशेषज्ञ समिति, जिसमें आईआईटी दिल्ली के दो और आईआईटी जम्मू के एक प्रोफेसर शामिल थे, ने पाया कि त्रुटिपूर्ण डिजाइन, खराब कारीगरी, रखरखाव की कमी तथा डिजाइन और निर्माण के बीच बड़ी विसंगतियां संभवत: वे प्रमुख कारण थे जिनकी वजह से छत ढही।
दिल्ली हवाई अड्डे के तीन टर्मिनल हैं। टी1, जिसकी क्षमता प्रति वर्ष चार करोड़ यात्री; टी2, जिसकी क्षमता 1.5 करोड़ यात्री और टर्मिनल 3 (टी3), जिसकी क्षमता 4.5 करोड़ यात्री हैं। डायल के साल 2016 के मास्टर प्लान के अनुसार टी2 को ध्वस्त करके उसके बदले टी4 को लाया जाना था जिसे सालाना चार करोड़ यात्रियों को संभालने के लिए डिजाइन किया जाना है। अलबत्ता टी1 की छत ढहने और उसके बाद की जांच ने इस योजना को बाधित कर दिया है।
पिछले साल मार्च में डायल ने कहा था टी4 के साल 2028-29 तक चालू होने की उम्मीद है। लेकिन 6 जनवरी की बैठक के दौरान जयपुरियार ने कहा कि परिचालक अब मौजूदा मांग को पूरा करने के लिए अल्पकालिक समाधान के रूप में टी2 के नवीनीकरण को प्राथमिकता दे रहा है। उसी बैठक में एक विमानन कंपनी ने सवाल उठाया था कि टी4, जो कभी डायल की विस्तार योजनाओं के केंद्र में था।