उद्योग के अधिकारियों ने गुरुवार को कहा कि जीएसटी दर में कटौती का हॉस्पिटैलिटी, यात्रा और पर्यटन क्षेत्र पर मिला-जुला असर होगा। 7,500 रुपये प्रति रात से कम किराये वाले होटल के कमरों के 5 प्रतिशत स्लैब (इनपुट टैक्स क्रेडिट लाभ के बिना) में आने से यात्रा को बढ़ावा मिलेगा, वहीं प्रीमियम हवाई यात्रा 18 प्रतिशत स्लैब में आने से और महंगी हो जाएगी।
जीएसटी परिषद ने बुधवार को 12 प्रतिशत और 28 प्रतिशत के स्लैब को हटाकर दो स्लैब वाली व्यवस्था को मंजूरी दे दी। 7,500 रुपये प्रति रात से अधिक कीमत वाले होटल के कमरे 18 प्रतिशत के स्लैब में बने रहेंगे। लेकिन इससे कम कीमत वाले कमरों पर कर की दर 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दी गई है।
होटल एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने एक मीडिया नोट में कहा, ‘स्लैब की संख्या कम करने सहित संरचनात्मक सुधार समय की मांग थी और ये बदलाव स्वागत योग्य हैं। 7,500 रुपये और उससे कम किराये वाले होटल आवास पर कर की दर 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने से सिर्फ यात्रियों को ही कुछ राहत मिल सकती है।’
मेकमायट्रिप के सह-संस्थापक और समूह मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) राजेश मागो ने कहा, ‘जीएसटी दरों में यह बदलाव स्वागत योग्य कदम है जो न केवल डिस्क्रेशनरी खर्च बल्कि सभी क्षेत्रों में खपत को बढ़ावा देगा जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिलेगा। यात्रा और पर्यटन के लिए, 7,500 रुपये से कम किराये वाले होटल के कमरों पर जीएसटी में कटौती से भारतीय यात्रियों के एक बड़े हिस्से के लिए ठहरना अधिक सस्ता हो जाएगा, जिससे घरेलू बाजार में मांग बढ़ेगी।’
भारतीय पर्यटन एवं हॉस्पिटैलिटी क्षेत्र महामारी के बाद से मजबूत घरेलू मांग दर्ज कर रहा है। अब इसमें और अधिक मजबूती आने का अनुमान है, क्योंकि मिडस्केल सेगमेंट (जिसमें आईएचसीएल के जिंजर, हिल्टन के हैम्पटन और ट्रीबो के मिडालियो जैसे ब्रांड परिचालन करते हैं) पर जीएसटी दर कटौती का सकारात्मक असर दिखेगा। विला रेंटल फर्म स्टेविस्टा के सह-संस्थापक अमित दमानी ने कहा, सरकार ने भारतीय उपभोक्ताओं को दीवाली से पहले ही तोहफा दे दिया है, जिससे मांग बढ़ेगी क्योंकि होटल और होमस्टे इसका लाभ यात्रियों को देंगे।