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अमेरिका-चीन टकराव तेज! ट्रंप बोले – समझौता नहीं हुआ तो लगेगा 155% टैक्स

व्हाइट हाउस में ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री से मुलाकात के दौरान ट्रंप ने दी सख्त चेतावनी, बोले – समझौता न हुआ तो 1 नवंबर से बढ़ेगा टैक्स, लेकिन सौदे की उम्मीद अब भी बरकरार

Last Updated- October 21, 2025 | 9:35 AM IST
India's own strategy in view of the possibility of US-China trade war अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध की आशंका को देखते हुए भारत की अपनी रणनीति

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने चीन को सख्त चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि अगर अमेरिका और चीन के बीच व्यापार समझौता नहीं होता, तो 1 नवंबर से चीन से आने वाले सामानों पर 155% तक टैरिफ (शुल्क) लगाया जा सकता है। ट्रंप ने यह बयान ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज के साथ व्हाइट हाउस में हुई बैठक के दौरान दिया। उन्होंने कहा कि चीन अमेरिका के प्रति “बहुत सम्मानजनक” रवैया रख रहा है और पहले से ही भारी रकम के रूप में टैरिफ दे रहा है।

ट्रंप ने कहा, “कई देशों ने अमेरिका का फायदा उठाया, लेकिन अब वे ऐसा नहीं कर सकते। चीन अभी 55% टैरिफ दे रहा है, और अगर समझौता नहीं हुआ तो यह 1 नवंबर से 155% तक जा सकता है।”

क्या ट्रंप को अब भी समझौते की उम्मीद है?

हालांकि ट्रंप ने यह भी कहा कि उन्हें भरोसा है कि चीन के साथ एक ‘न्यायपूर्ण और शानदार’ व्यापार समझौता जल्द हो जाएगा। उन्होंने बताया कि इस महीने के आखिर में वे दक्षिण कोरिया में एशिया पैसिफिक इकनॉमिक कोऑपरेशन (APEC) शिखर सम्मेलन के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करेंगे।

ट्रंप ने कहा, “मुझे लगता है कि जब हम दक्षिण कोरिया में बैठक खत्म करेंगे, तब चीन और अमेरिका के बीच एक बहुत अच्छा समझौता हो जाएगा। मैं चाहता हूं कि वे हमारे सोयाबीन खरीदें… यह दोनों देशों और पूरी दुनिया के लिए फायदेमंद होगा।” उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें अगले साल चीन आने का निमंत्रण मिला है।

अमेरिका-चीन के बीच तनाव क्यों बढ़ा है?

ट्रंप का यह बयान उस समय आया है जब अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ रहा है। राष्ट्रपति बनने के बाद से ही ट्रंप ने चीन के माल पर करीब 55% टैरिफ लगा दिया है, जिससे अमेरिका को अरबों डॉलर की आमदनी हुई है। कुछ दिन पहले ट्रंप ने इन टैरिफ पर अतिरिक्त 100% शुल्क और महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर के निर्यात पर रोक लगाने की घोषणा की थी, जो 1 नवंबर से लागू होगी। यह फैसला चीन के रेयर अर्थ मटीरियल्स (दुर्लभ धातुओं) पर निर्यात नियंत्रण लगाने के जवाब में लिया गया था।

ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा, “इन नए नियमों का असर लगभग हर चीनी उत्पाद पर पड़ेगा। यह अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है।”

चीन की इस पर क्या प्रतिक्रिया रही?

ट्रंप के बयान पर चीन ने नाराजगी जताई है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा कि टैरिफ की धमकी देना चीन के साथ व्यवहार करने का “सही तरीका नहीं” है। इसके जवाब में चीन ने रेयर अर्थ और अन्य अहम सामग्रियों पर निर्यात नियंत्रण और कड़े कर दिए हैं। ये वही पदार्थ हैं जिनका इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक्स और नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादों में होता है। इस कदम से वैश्विक सप्लाई चेन पर दबाव बढ़ सकता है।

क्या चीन ने अपनी वार्ता टीम में बदलाव किया है?

इसी बीच, चीन ने अपने मुख्य व्यापार वार्ताकार को बदल दिया है। अब ली चेंगगैंग की जगह ली योंगजिए को नया प्रतिनिधि बनाया गया है। यह फैसला तब लिया गया जब अमेरिका के वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने ली के काम की आलोचना की थी।

हाल ही में अमेरिका और चीन के अधिकारियों के बीच एक ऑनलाइन बैठक हुई, जिसमें दोनों देशों ने आगे बातचीत जारी रखने पर सहमति जताई। खबरों के मुताबिक, अगली बैठक मलेशिया में हो सकती है, जो शी जिनपिंग और डॉनल्ड ट्रंप की मुलाकात से पहले होगी।

टैरिफ ट्रंप के लिए कितना बड़ा हथियार है?

ट्रंप ने कहा कि चीन पर टैरिफ लगाना उनका “सबसे बड़ा दबाव का हथियार” है। उन्होंने बताया कि जब चीन ने रेयर अर्थ मटीरियल्स के निर्यात को सीमित करने की धमकी दी, तो उन्होंने इसके जवाब में टैरिफ बढ़ाने की चेतावनी दी।

ट्रंप ने कहा, “उन्होंने हमें रेयर अर्थ्स से धमकाया, तो मैंने टैरिफ से जवाब दिया। लेकिन मैं चीन के साथ अच्छे संबंध रखना चाहता हूं। मुझे राष्ट्रपति शी के साथ अपना रिश्ता बहुत पसंद है।” उन्होंने यह भी कहा कि अगर सब कुछ ठीक रहा तो 1 नवंबर से पहले समझौता संभव है, और उनकी रणनीति दबाव और बातचीत दोनों को साथ लेकर चलने की है।

First Published - October 21, 2025 | 9:35 AM IST

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