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भारत और चीन की विमानन कंपनियों की रणनीति में बाजार भागीदारी बढ़ाने की होड़

पांच साल बाद अब फिर सीधी उड़ानों के लिए विमानन क्षेत्र को खोला जा रहा है, 26 अक्टूबर को इंडिगो कोलकाता और ग्वांगझू के बीच अपनी सेवाएं पुन: शुरू करेगी

Last Updated- October 03, 2025 | 9:49 PM IST
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इंडिगो और एयर इंडिया जैसी भारतीय विमानन कंपनियां भारत-चीन के विमानन क्षेत्र में बड़ी हिस्सेदारी हासिल करने के लिए चीन की विमानन कंपनियों से प्रतिस्पर्धा करने को तैयार हैं। यह क्षेत्र 2020 की शुरुआत में परिचालन बंद होने के पांच साल से अधिक समय के बाद अब फिर से सीधी उड़ानों के लिए खोला जा रहा है।

वर्ष 2019 में जब दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें थीं तो उस समय चीनी एयरलाइन कंपनियां चाइना ईस्टर्न, चाइना सदर्न, चाइना एयर और शांडोंग का दबदबा था। सीएपीए-ओएजी के आंकड़ों के अनुसार ये कंपनियां मिलकर भारत-चीन रूट पर 89 प्रतिशत सीटों पर हावी थीं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एकमात्र बड़ी कंपनी एयर इंडिया वित्तीय संकट से जूझ रही थी, उसकी भागीदारी सिर्फ 11 प्रतिशत थी और वह मुख्य रूप से दिल्ली से शांघाई और पेइचिंग की उड़ानें संचालित करती थी।

सितंबर 2019 में, इंडिगो ने दिल्ली-चेंगदू उड़ान के साथ इस क्षेत्र में प्रवेश किया और अगले महीने ही कोलकाता से ग्वांगझू के लिए एक और उड़ान शुरू की। आंकड़ों के अनुसार, उसने जल्द ही कुल बाजार का 16.8 प्रतिशत हिस्सा हासिल कर लिया। लेकिन फिर कोविड-19 आ गया। इस साल 26 अक्टूबर को इंडिगो कोलकाता और ग्वांगझू के बीच अपनी सेवाएं पुन: शुरू करेगी। यह इस रूट पर हफ्ते में तीन बार उड़ान भरेगी। एयरलाइन दिल्ली से ग्वांगझू के लिए एक और उड़ान शुरू करने की भी तैयारी कर रही है, हालांकि इसकी शुरुआत की तारीख अभी तय नहीं हुई है।

सूत्रों के अनुसार एयर इंडिया इस साल के आ​खिर तक दिल्ली और शांघाई के बीच उड़ान शुरू करने की भी तैयारी कर रही है। चाइना सदर्न, चाइना ईस्टर्न और शांडोंग एयरलाइंस के अलावा, अन्य चीनी एयरलाइंस ने भी पेइचिंग, शांघाई, ग्वांगझू और कुनमिंग से भारत के लिए उड़ानें शुरू करने में दिलचस्पी दिखाई है।

यह कदम प्रतिबंधों को समाप्त करने की दिशा में महत्त्वपूर्ण है। ये प्रतिबंध 2020 की शुरुआत में लागू हुए थे, जब महामारी के कारण भारत और चीन के बीच सीधी उड़ानें दोनों देशों द्वारा निलंबित कर दी गई थीं। लेकिन गलवान सीमा विवाद के बाद दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के कारण वे निलंबित ही रहीं। विश्लेषकों का कहना है कि 2025 में अब हालात बदल गए हैं। इंडिगो और एयर इंडिया (जो अब टाटा समूह के स्वामित्व में है) ने मीडियम और लॉन्ग रूट के लिए 1,800 से अधिक विमानों का ऑर्डर दिया है और वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी ताकत दिखाने तथा तेजी से विस्तार करने की कोशिश कर रही हैं।

एयर इंडिया और इंडिगो जैसी भारतीय एयरलाइंस दिल्ली और मुंबई में अंतरराष्ट्रीय हब बनाने की योजना भी बना रही हैं और इस योजना में चीनी बाजार तक पहुंच महत्त्वपूर्ण हो सकती है। इसके अलावा, अब जब इंडिगो के बेड़े में ए321 एक्सएलआर विमान शामिल हो गया है, तो यह एयरलाइन आठ से दस घंटे की दूरी वाले और भी चीनी गंतव्यों तक उड़ानें संचालित कर सकेगी, जो कोलकाता से उड़ान भरने वाले ए320नियो विमान से संभव नहीं है।

ओएजी आंकड़े के अनुसार, वर्ष 2024 में (जब दोनों देशों के बीच उड़ानें नहीं थीं) करीब 572,000 यात्रियों ने अप्रत्यक्ष रूप से यात्रा की और सिंगापुर, हांगकांग, बैंकॉक तथा वियतनाम जैसी जगहों का भी इस्तेमाल किया।

भारतीय एयरलाइनों ने सीधी उड़ानें शुरू करने के लिए कम से कम चार प्रमुख चीनी शहरों का चयन किया है। ये  पेइ​चिंग, शांघाई, ग्वांगझू और चेंगदू हैं।

First Published - October 3, 2025 | 9:47 PM IST

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