Cement Sector Outlook: यह काम हर साल थोड़ी-थोड़ी बढ़त दिखा रहा है। इसके पीछे कई वजहें हैं। अब इमारतें और सड़कें बनाने का काम बढ़ रहा है, खर्चे थोड़ा कम हुए हैं और कई जगह नई फैक्ट्रियां खुल रही हैं। अक्टूबर 2025 में सीमेंट की मांग कम रही क्योंकि त्योहारों के समय कामकाज धीमा हो गया था। साथ ही, कई जगह मजदूरों की कमी थी और कुछ राज्यों में चुनाव चल रहे थे, जिससे काम रुक गया। कारोबारियों का कहना है कि नवंबर के बीच से जब मजदूर वापस आएंगे और ठंड के मौसम में काम बढ़ेगा, तब सीमेंट की मांग फिर से बढ़ेगी।
साल 2025 की दूसरी तिमाही में देशभर में सीमेंट की औसत कीमत लगभग एक प्रतिशत से थोड़ी ज्यादा घट गई। दक्षिण, पूर्व और पश्चिम भारत में दाम कम हुए, जबकि उत्तर और मध्य भारत में कीमतें लगभग पहले जैसी रहीं। अक्टूबर में भी सितंबर के मुकाबले करीब आधा प्रतिशत की कमी आई है। यह गिरावट ज्यादातर दक्षिण और पूर्वी इलाकों में देखी गई है। कारोबारियों का कहना है कि अभी सीमेंट के दाम बढ़ने की कोई संभावना नहीं है। कंपनियां जनवरी 2026 के बाद ही कीमतें बढ़ाने पर सोच सकती हैं।
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इस समय सीमेंट बेचने से कंपनियों को जो आमदनी हो रही है, वह लगभग पहले जैसी बनी हुई है। इसका कारण यह है कि दाम ज्यादा नहीं घटे हैं और ईंधन पर खर्च भी ठीक-ठाक है। लेकिन आने वाले महीनों में मुनाफा थोड़ा कम हो सकता है, क्योंकि बिक्री कम होने से कंपनियों की कमाई पर असर पड़ रहा है। इसे कारोबार की कमजोरी या घटते मुनाफे के रूप में देखा जा रहा है।
अभी सीमेंट कारोबार को कुछ मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। सीमेंट की मांग कमजोर है, दाम ज्यादा नहीं बढ़ रहे और पेटकोक जैसे ईंधन की कीमतें ऊंची हैं। फिर भी आने वाले समय, यानी साल 2026 और 2027 में, इस कारोबार के बेहतर होने की उम्मीद है। खर्चों में कमी, कोयले की स्थिर कीमतें और बिजली के लिए हरित ऊर्जा के बढ़ते इस्तेमाल से कंपनियों का कामकाज बेहतर होगा और मुनाफा भी बढ़ेगा। इसके साथ ही, ढुलाई और उत्पादन में किए जा रहे नए निवेश से यह उद्योग पहले से ज्यादा मजबूत और प्रतिस्पर्धी बनेगा।
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अल्ट्राटेक सीमेंट आने वाले सालों में लगातार आगे बढ़ने को तैयार दिख रही है। गांवों और शहरों दोनों जगह सीमेंट की मांग बढ़ रही है। सड़कों, पुलों और अन्य निर्माण कामों के साथ-साथ निजी निवेश भी कंपनी के कारोबार को मजबूत बना रहा है। कंपनी अपने चौथे विस्तार की तैयारी कर रही है, जिससे उत्तर और पश्चिम भारत में उत्पादन क्षमता और बढ़ेगी। इससे क्लिंकर बनाने की प्रक्रिया और बेहतर होगी, जिससे खर्च कम होगा और मुनाफा बढ़ेगा। कंपनी अब ज्यादा मात्रा में मिक्स सीमेंट बना रही है, जिससे उसकी कमाई और मुनाफे की क्वालिटी दोनों में सुधार हो रहा है। इस समय कंपनी का बाजार हिस्सा करीब 28 प्रतिशत है, जो आने वाले समय में बढ़कर 32 से 33 प्रतिशत तक पहुंच सकता है। स्थिर कमाई और मजबूत कैश फ्लो के कारण यह कंपनी लंबे समय के निवेश के लिए एक भरोसेमंद विकल्प मानी जा रही है।
डालमिया भारत कंपनी धीरे-धीरे लगातार आगे बढ़ रही है। कंपनी खर्चों पर नियंत्रण रखती है, अपनी फैक्ट्रियों की क्षमता बढ़ा रही है और बिजली के लिए हरित ऊर्जा का इस्तेमाल कर रही है। बेलगाम और कडप्पा में चल रही परियोजनाएं पूरी होने के बाद कंपनी की उत्पादन क्षमता और बढ़ जाएगी, जिससे आने वाले सालों में बिक्री भी बढ़ेगी। कंपनी अब ऐसे सीमेंट पर जोर दे रही है जो पर्यावरण के लिए बेहतर हो। इससे खर्च कम होंगे और मुनाफा बना रहेगा। कंपनी की पहचान और ब्रांड भी पहले से बेहतर हो रहा है। समझदारी से निवेश और सही कामकाज की वजह से कंपनी की कमाई और मुनाफा दोनों बढ़ने की उम्मीद है। इसकी अच्छी कीमत और बढ़ते मुनाफे को देखते हुए इसे लंबे समय के निवेश के लिए एक मजबूत कंपनी माना जा रहा है।
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मोतीलाल ओसवाल का कहना है, कुल मिलाकर अभी सीमेंट कारोबार को कुछ मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन ये परेशानी ज्यादा दिनों तक नहीं रहेगी। आने वाले समय में हालात बेहतर होने की पूरी उम्मीद है। जब निर्माण का काम फिर से तेजी पकड़ेगा, मांग बढ़ेगी और ईंधन की कीमतें स्थिर रहेंगी, तब यह उद्योग फिर से मजबूत हो जाएगा।
(डिस्क्लेमर: यह लेख मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज की रिसर्च रिपोर्ट पर आधारित है। निवेश का फैसला लेने से पहले वित्तीय सलाहकार से सलाह लें।)