सरकार स्वास्थ्य एवं सौंदर्य सेगमेंट में अपनी सलाह एवं विचारों से लोगों की सोच को प्रभावित करने वाले लोगों (इन्फ्लुएंसर) के लिए नियम-कायदे कड़े करने जा रही है। उपभोक्ता मामलों के विभाग के सचिव रोहित कुमार सिंह ने बिजनेस स्टैंडर्ड के साथ एक साक्षात्कार में यह बताया। ये ऐसे इन्फ्लुएंसर हैं, जो विभिन्न उत्पाद ब्रांड के साथ स्वास्थ देखभाल एवं सौंदर्य उत्पाद को बढ़ावा देते हैं। स्वास्थ देखभाल एवं सौंदर्य उत्पाद तेजी से बढ़ती कारोबारी श्रेणी है, जिसका लोगों के स्वास्थ्य पर सीधा असर होता है।
इन दिशानिर्देशों के बाद इन इन्फ्लुएंसर को स्वास्थ्य एवं सौंदर्य पर सलाह देने से पहले अपनी योग्यता की जानकारी देनी होगी। ये योग्यताएं दर्शकों को स्पष्ट तौर पर दिखनी चाहिए। पिछले महीने उपभोक्ता मामलों के विभाग ने दिशानिर्देश जारी कर कहा था कि सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और मशहूर हस्तियों को बताना होगा कि वे किस हैसियत से सलाह दे रहे हैं या किसी उत्पाद को बढ़ावा दे रहे हैं। दिशानिर्देश में उनसे यह भी पूछा गया कि ऐसा करने से इन्फ्लुएंसर को कोई मौद्रिक लाभ तो नहीं हो रहा है।
सिंह ने कहा, ‘अगर आप कह रहे हैं कि अमुक भोजन अच्छा है या खराब है या फिर यह नसीहत दे रहे हैं कि कौन सी दवा अच्छी है या बुरी है तो ऐसा कहने के लिए आपके पास पर्याप्त योग्यता होनी चाहिए। वरना यह लोगों को गुमराह करने वाली बात होगी।’
भारत में बुनियादी पोषण देने के साथ सेहत सुधारने का दावा करने वाले खाद्य पदार्थों (पोषाहार) का बाजार 2025 तक बढ़कर 18 अरब डॉलर हो जाने का अनुमान है। इंटरनैशनल ट्रेड एडमिनिस्ट्रेशन के अनुसार इनमें अनुपूरक आहार की हिस्सेदारी 17 प्रतिशत सालाना रफ्तार के साथ बढ़कर 65 प्रतिशत रहने का अनुमान है। हाल में तो ये अनुमान और अधिक बताए गए हैं। कुछ विशेषज्ञों के अनुसार भारत का 2030 तक पोषाहार बाजार बढ़कर 100 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा।
एक महीने पहले उपभोक्ता मामलों के विभाग ने लोगों को गुमराह होने से बचाने के लिए सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और नामी हस्तियों के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे। दिशानिर्देश में कहा गया है कि किसी उत्पाद को बढ़ावा सरल एवं स्पष्ट भाषा में किया जाना चाहिए और ‘विज्ञापन’, ‘प्रायोजित’, ‘सहयोग’ या ‘बढ़ावा देने के लिए भुगतान’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल स्पष्ट रूप से होना चाहिए। दिशानिर्देश में कहा गया कि लोगों को उन वस्तुओं या सेवाओं का प्रचार नहीं करना चाहिए, जिनका इस्तेमाल उन्होंने स्वयं नहीं किया है या जिनके बारे में स्वयं समझ नहीं रखते हैं।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) भी वित्तीय क्षेत्र के इन्फ्लुएंसर पर पैनी नजर रख रहा है। सेबी उन लोगों पर नकेल कस रहा है, जो शेयर बाजार या वित्तीय मसलों पर बिन मांगी सलाह देते हैं। ये ऐसे व्यक्ति हैं जो नियमित निवेश सलाहकार नहीं हैं। पिछले सप्ताह शेयर बाजार नियामक ने निवेश सलाहकारों और शोध विश्लेषकों के लिए एक विज्ञापन संहिता भी जारी की।
अब सरकार की नजर स्वास्थ्य एवं सौंदर्य सेगमेंट हैं, जहां मार्केटिंग और प्रमोशन के लिए इन्फ्लुएंसर अहम जरिया हो गए हैं। कोविड-19 महामारी के बाद लोग स्वास्थ्य के प्रति अधिक जागरूक हुए हैं, जिसके बाद सोशल मीडिया पोस्ट और वीडियो के जरिये स्वास्थ्य संबंधी सलाह की बाढ़ ही आ गई है।
सिंह ने कहा, ‘क्षेत्रवार महत्त्व के लिहाज से भी देखें तो स्वास्थ्य एवं सौंदर्य सेगमेंट काफी महत्त्वपूर्ण है। यह सीधे लोगों के स्वास्थ्य से जुड़ा है।’
सिंह ने कहा कि विभाग इन दिशा में अनुपालन बढ़ाने के लिए उच्च तकनीक का इस्तेमाल करने की सोच रहा है। इसके साथ ही विभाग इस मामले में सावधानी से कदम बढ़ाना चाहता है। सिंह ने कहा, ‘पहले हम इन्फ्लुएंसर को जानकार बनाने की कोशिश कर रहे हैं। ये ज्यादातर युवा हैं, जिनके कमाई के स्रोत को हम प्रभावित नहीं करना चाहते हैं। हम केवल इस बात से चिंतित हैं कि इससे उपभोक्ताओं के गुमराह होने का जोखिम पैदा हो गया है।’