केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने कहा है कि देश में कुत्तों के काटने की घटनाएं इस वर्ष 26.5 प्रतिशत की दर से बढ़ी हैं। वर्ष 2022 में जहां ऐसी 21.8 लाख घटनाएं हुई थीं, वहीं इस वर्ष इनकी संख्या 27.5 लाख रही। राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में मंत्रालय ने कहा कि इस साल केरल, झारखंड, दिल्ली, असम और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में कुत्तों के काटने की घटनाएं सबसे अधिक बढ़ीं।
कुत्तों के काटने और हमला करने की घटनाएं हाल के दिनों में सुर्खियों में रही हैं। इनमें वाघ बकरी चाय कंपनी के एग्जीक्यूटिव निदेशक और मालिक 49 वर्षीय पराग देसाई का मामला ताजा है, जिसमें उन्हें सुबह की सैर करते समय कुत्ते ने हमला कर दिया था। उससे बचने की कोशिश में उनके सिर में गंभीर चोट लगी और वह उससे उबर नहीं पाए।
मंत्रालय के अनुसार अगर वर्ष दर वर्ष प्रतिशत बढ़त के मामले में देखें तो केरल इस मामले में सबसे आगे रहा है। इसके बाद झारखंड, दिल्ली, असम और चंडीगढ़ में कुत्तों के काटने की घटनाएं सबसे ज्यादा बढ़ीं। इस दक्षिणी राज्य में पिछले साल जहां 4000 लोगों को कुत्तों ने काटा था, इस वर्ष 1,486 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 63,458 ऐसी वारदात हुईं।
कुत्तों के काटने के मामले में दिल्ली में 143 फीसदी की वृद्धि हुई है। राष्ट्रीय राजधानी में पिछले साल 6,634 के मुकाबले इस वर्ष 16,133 घटनाएं हुईं। हालांकि पिछले पांच साल के आकलन में दिल्ली में 85 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। यहां वर्ष 2018 में 1,07,642 लोगों को कुत्तों ने काटा था।
कुत्तों के काटने और हमला करने की घटनाओं में वृद्धि पर बिज़नेस स्टैंडर्ड के सवाल पर नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) ने कहा कि एनजीओ की मदद से संस्था नसबंदी, टीकाकरण और रैबीजरोधी टीका लगाने के लिए हर महीने 100 से 125 कुत्तों को सड़कों से उठाकर ले जाती है। एनडीएमसी द्वारा तय एनजीओ औसतन दो से चार कुत्तों की नसबंदी करते हैं। अधिकारियों ने बताया कि इस वर्ष अप्रैल से सितंबर के बीच नसबंदी और इलाज के लिए लाए गए कुत्तों की संख्या 451 रही।
कुत्ता काटने की कुल घटनाओं के मामले में महाराष्ट्र शीर्ष पर है, जहां इस वर्ष 4,35,136 लोग कुत्तों के काटने के शिकार हुए। यहां पिछले साल कुत्तों से पीडि़त लोगों की संख्या 3,90,878 थी। इसके बाद तमिलनाडु का नंबर आता है, जहां 404,488 मामले सामने आए। इसी प्रकार गुजरात में 2,41,846, बिहार में 2,19,086 और उत्तर प्रदेश में 2,18,79 लोगों को कुत्तों ने काटा।
कुत्तों के काटने की सबसे कम घटनाएं नगालैंड (569), मिजोरम (1,035), लद्दाख (2,316), मणिपुर (2,511) और अरुणाचल प्रदेश (3,757) से सामने आई हैं। रैबीज रोधी इंजेक्शन की कीमत के सवाल पर मंत्रालय ने कहा कि रैबीज रोधी वैक्सीन (एआरवी) की एक शीशी की कीमत 250 रुपये और रैबीज इम्यूनोग्लोबिन (आरआईजी) की एक शीशी की औसत कीमत 350 रुपये होती है।
देश में इस समय दो तरह के रैबीज इम्यूनोग्लोबिन टीके उपलब्ध हैं। इनमें एक ह्यूमन इम्यूनोग्लोबिन (एचआरआईजी) और दूसरा इक्यिन इम्यूनोग्लोबिन (ईआरआईजी) है, जिसमें एचआरआईजी का आयात किया जाता है।
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत राष्ट्रीय मुफ्त दवा पहल के माध्यम से मंत्रालय ने वित्तीय वर्ष 2020-21 में राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को एआरवी तथा आरआईजी की खरीद के लिए फंड मुहैया कराया था, ताकि रैबीज को फैलने से रोका जा सके।
सरकार के आकड़ों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2024 के लिए एआरवी और एंटी रैबीज सीरम (एआरएस) खरीदने के लिए एनएचएम ने 99.77 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की थी। इससे पिछले वर्ष के लिए यह धनराशि 98.75 करोड़ रुपये थी। एआरवी और आरआईजी दोनों ही दवाएं राज्यों की आवश्यक दवा सूची में शामिल हैं और सरकारी अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों एवं एंटी रैबीज क्लीनिकों में ये मुफ्त उपलब्ध हैं।